हिंदी पखवाड़े के समापन पर छावनी परिषद द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में रचनाकारों ने कविता पाठ से किया मंत्रमुग्ध

रानीखेत – छावनी परिषद द्वारा यहां छावनी इंटर कालेज में हिंदी पखवाड़े के समापन पर कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि -कवयित्रियों ने अपनी शानदार रचना प्रस्तुति से श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।
कवि सम्मेलन की शुरुआत कवयित्री उमा जोशी ने मां दुर्गा की स्तुति ‘मैया ने शेर तज सिंह लिया है साथ में,आ रही है मंद गति से खड्ग खप्पर हाथ में ‘पंक्तियों से की। उन्होंने ‘दोष नहीं है यहां किसी का,यह कलिकाल की छाया है कविता सुनाई।कवि आनंद अग्रवाल ने सकारात्मक जीवन जीने का संदेश देते कहा” मुस्कराने की आदत डालो, रूलाने वालों की कमी नहीं है ‘.कवयित्री सीमा भाकुनी ने हिंदी को महान बताते हुए कहा’ सरल सहज मुझको है लगती,वो है एक ही भाषा’।
एडवोकेट दिनेश तिवारी ने अपने शहर के सूरते हाल को कुछ इसतरह बयां किया, “कत्ल हो गया जमीर शहर का, दिया है नाश इसशहर का,कैसा था ,कैसा हो गया है शहर,नक्शा बिगड़ गया है,शहर का। रंगकर्मी,कवि विमलसती ने पिता के त्याग व संघर्ष को याद करते हुए कुछ इस तरह कहा’खुद को रोने से रोकने की कोशिश में जबड़े कसते जाते पिता,हमें ऊंचा उठाने की कोशिश में खुद धंसते जाते पिता,जो कभी टपका ही नहीं वह आंसू थे पिता ‘। कवि संजय रौतेला ने सियासत पर तंज कसती पैरोडी पेश करते यूं कहा, बड़े गंदे लगते हैं,ये जपा,ये कांग्रेस और सब’।
कवयित्री अंकिता पंत बिष्ट ने जीवन जीने का सकारात्मक संदेश देते हुए कहा,’तुम सांझ को सवेरे में बदलना,अपना बेहतर देना कभी बंदमत करना।’डा.विनीता खाती ने हिंदी भाषा की व्यथा को अपने शब्दों में व्यक्त किया। कवयित्री ज्योति साह ने टूटते सामाजिक ताने-बाने पर दुख का इजहार करते हुए कहा,’हां मैं ज़िंदा हूं,पर शर्मिन्दा हूं।’
कवयित्री प्रीति पंत ने पर्यावरण का संदेश देते कहा,धरा से प्यार करो,दोहन नहीं,’कवयित्री गीता जोशी ने शब्दों की महिमा पर प्रकाश डालते कहा, ‘शब्द शब्दहैं कम न समझें,इसके साथ और पांव’।
इसके अलावा नरेश डोबरियाल, रिजवाना सिद्दीकी, माया बिष्ट, इमराना परवीन,रिदा सिद्दीकी,मेघा जोशी,कुनाल सिंह ने भी कविता पाठ किया। संचालन छावनी परिषद के राजस्व अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद पंत ने किया। इस अवसर पर गौरव भट्ट, गोपाल राम , रश्मि बिष्ट , सुनीता कार्की सहित अनेक लोग मौजूद रहे।














