‘बिजनेस उत्तरायणी’ द्वारा आयोजित शैक्षिक उत्कृष्टता सम्मेलन और सम्मान समारोह-2024 संपन्न

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। हिमालय के उद्यम विकास के व्यावसायिक संवर्धन हेतु उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी जनों द्वारा ‘बिजनेस उत्तरायणी’ के तहत गठित ‘हिमालयन रिसोर्सेज एन्हांसमेंट सोसाइटी’ द्वारा 28 सितंबर को देश के प्रतिष्ठित कन्स्टीट्युशन क्लब आफ इंडिया में शैक्षिक उत्कृष्टता सम्मेलन और सम्मान समारोह-2024 का ज्ञानवर्धक एवं प्रभावशाली आयोजन आयोजित किया गया।

आयोजन के इस अवसर पर देश के सु-विख्यात शिक्षाविदों में प्रमुख प्रो.(डॉ.)धनंजय जोशी (उप कुलपति दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी), डॉ.राजेश नैथानी (उप कुलपति हिमालय यूनिवर्सिटी देहरादून तथा निर्देशक अप्रोप्रियेट टीचर्स इंडिया), संजय भारती (उपाध्यक्ष एक्सन कमेटी यू आर प्राइवेट स्कूल एवं संरक्षक फोरम ऑफ पब्लिक स्कूल), एस एस गुसाईं (चैयरमैन डिभाइन पब्लिक स्कूल), विरेंद्र दत्त सेमवाल (निर्देशक दीन दयाल रग्स एक्सपोर्ट्स), दुर्गा सिंह भंडारी (सेवा निवृत जीएम एचआर ओएनजीसी), चंद्र मोहन पपनैं (सैक्रेट्री जनरल एनएफएनई), ललित प्रसाद ढौंढियाल (निर्देशक ट्रेनिंग देवेंद्र ग्रुप), डॉ.राजेश्वरी कापड़ी (सेवा निवृत उप-निदेशक, शिक्षा निदेशालय दिल्ली सरकार), सीएमए जीवन चंद्रा (नॉर्थ इंडिया काउंसिल मैंबर द इंस्टिट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंट आफ इंडिया) इत्यादि इत्यादि की उपस्थिति मुख्य रही।

आयोजित ‘शैक्षिक उत्कृष्टता सम्मेलन और सम्मान समारोह-2024’ का विधिवत श्रीगणेश सम्मानित शिक्षाविदों व उद्यमिता विकास से जुड़े प्रतिष्ठत जनों द्वारा दीप प्रज्वलित कर तथा ‘हिमालयन हाइट्स पत्रिका’ के नए अंक के साथ-साथ सम्मान समारोह कार्यक्रम के फोल्डर का विमोचन तथा दुर्गा सिंह भंडारी द्वारा योग साधना के महत्व पर रचित अंग्रेजी पुस्तक ‘HOLISTIC HARMONY Key to Successful Life’ का विमोचन सम्मानित शिक्षाविदों तथा व्यवसायियों के कर कमलों किया गया।

सभागार में उपस्थित सभी प्रबुद्ध जनों द्वारा स्वयं का परिचय अपने जुडे व्यवसाय के साथ दिया गया। ओएनजीसी सेवा निवृत महाप्रबंधक दुर्गा सिंह भंडारी द्वारा बिजनेस उत्तरायणी आयोजक मंडल की ओर से सभागार में उपस्थित सभी शिक्षाविदों, उद्यमियों, व्यवसायियों व पत्रकारों का स्वागत अभिनंदन कर अवगत कराया गया, मध्य हिमालय उत्तराखंड के पर्वतीय भू-भाग में उद्यम विकास व व्यावसायिक संवर्धन हेतु 2007-2008 में स्थापित ‘बिजनिस उत्तरायणी’ (‘हिमालयन रिसोर्सेज एन्हांसमेंट सोसाइटी’) उत्तराखंड के प्रबुद्ध प्रवासी जनों द्वारा गठित एक प्रतिबद्ध पंजीकृत संस्था है। सोसाइटी का व्यवसायिक सरोकारों के विकास हेतु मिलकर काम करना मुख्य उद्देश्य है।

दुर्गा सिंह भंडारी द्वारा कहा गया, नई पीढ़ी पुरानी पीढ़ी से आगे बढ़ रही है, उनमें जागरुकता जरुर बढ़ रही है लेकिन कई मायनों में हास भी हो रहा है। सोचना होगा, मेरे संबंध कैसे हैं, मेरे अपनों से संबंध कैसे हैं, इन तथ्यों पर बच्चों पर कार्य करने की जरूरत है। जो हास हुआ है, पश्चिमी देशों की देन है। कोई भी चीज स्थाई नहीं है। शिक्षा में पश्चिम की अच्छी चीजों को लें। अपनी समृद्ध परंपराओं व बौद्धिक ज्ञान का उनमें तानाबाना बुन कर उसे समृद्धि हेतु आगे बढ़ाए।

‘बिजनिश उत्तरायणी’ संस्थापक सदस्य नीरज बवाडी द्वारा गठित संस्था के बावत स-विस्तार अवगत कराया गया। कहा गया, मध्य हिमालय उत्तराखंड के पर्वतीय भू-भाग में व्यवसायिक सरोकारों के विकास हेतु मिलकर काम करने से बहुत कुछ हासिल किया जा सकता है। उत्तराखंड में निवेश कर संयुक्त उपक्रम स्थापित कर नए आयाम स्थापित करने तथा रोजगार से संसाधनों के संवर्धन एवम पलायन के विरुद्ध एक सशक्त अभियान, जिसमे राष्ट्रीय सहभागिता का सामूहिक प्रयास मुख्य उद्देश्य रहा है। उत्तराखंड में उत्पादित कृषि उत्पादों व स्थानीय अन्य उद्यमों में युवाओं की रूचि बढाना। पलायन की रफ्तार पर लगाम लगाना। प्रवास में निवासरत उत्तराखंड के प्रवासियों को उनके मूल गांवो की ओर वापसी की राह दिखाना। उत्तराखंड के जन सरोकारों के उत्थान व संवर्धन हेतु निरंतर कार्य करना, गठित सोसाइटी के मुख्य उद्देश्यों में शामिल है।

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नीरज बवाडी द्वारा अवगत कराया गया, सोसाइटी से समय-समय पर जुड़े प्रबुद्ध उत्तराखंडियों में विख्यात विदेशी कम्पनियों तथा भारत सरकार में उच्च पदों पर आसीन अधिकारियों के साथ-साथ समाज से जुड़े सु-विख्यात समाजसेवी, ख्यातिप्राप्त रंगकर्मी, साहित्यकार तथा पत्रकारोंं के जुड़ने से सोसाइटी को अत्यधिक बल मिला है, साथ ही सोसाइटी के महत्व व कार्यरूप को बृहद फलक पर पहचाना जा सका है।

सम्मान समारोह के इस अवसर पर डॉ.राजेश नैथानी उप कुलपति हिमालय यूनिवर्सिटी देहरादून द्वारा कहा गया, जिस समाज में आप रह रहे हैं उसके लिए आप क्या कर रहे हैं, इस हेतु भावना का विकास जरुरी है। इस हेतु विभिन्न मंचों से जुड़ने का प्रयास किया जा रहा है, यह अवसर पहले नहीं मिलते थे। हम उस क्षेत्र से आते हैं, जहां समर्पण है, चालाकी या फरेब नहीं। मुक्त नवाचार में हमारी अपनी शक्ति है। जो लोग निरन्तर अच्छे सरोकारों में लगे हैं, निश्चय ही एक दिन सफल जरुर होंगे। पारंपरिक ज्ञान व भारतीयता का उद्गम उत्तराखंड से हो रहा है। शिक्षा भारतीय मूल्यों पर आधारित है। क्षमता विकास के लिए कार्यक्रम आयोजित हुआ है, ऐसे कार्यक्रमों का बहुत प्रभाव पड़ता है, संदेश बहुत दूर तक जाता है।

एस एस गुसाईं चेयरमैन डिभाइन स्कूल द्वारा कहा गया, हम अपने मौलिक गुण भूलते जा रहे हैं। आर्टिफिशियल को बढ़ावा मिल रहा है। हम आर्टिफिशियल जीवन जी रहे हैं। लक्ष्य बन गया है, पैसा कमाना। बच्चों को पढ़ा लिखा कर दूर कर दिया है। नैतिकता समाप्त हो गई है। उद्देश्य रहे, बच्चों को नैतिक मूल्यों के करीब कैसे लाए। आध्यात्मिक शिक्षा जरुरी है। साइंस व गणित से ही काम नहीं चलेगा। नैतिक मूल्यों के अभाव के पीछे भौतिकवाद है। भौतिकवाद जीने के लिए जरूरी है, लेकिन नैतिकता तो पिछड़ रही है। शिक्षक के प्रति आस्था जरूरी है। बच्चों को अच्छा आचरण देना व अच्छे मार्ग से परिचित कराना जरूरी है, तभी वह नैतिकता का मार्ग प्राप्त कर पाएगा। समाज को जागरूक होने की जरूरत है। चिंतन जरूरी है। नियम बनाने, लागू करने तथा ग्रहण करने वाले अलग-अलग लोग हैं, ऐसे में सामंजस्य नहीं बन पाता है।

आयोजन के इस अवसर पर उत्तराखंड की शिक्षा से जुड़े मुद्दों पर एक परिचर्चा का आयोजन भी किया गया। आयोजित परिचर्चा में डॉ.शिवांगी नैथानी देवरानी (असिस्टेंट लेकच्चरार माता सुंदरी कालेज), ललित प्रसाद ढौंढियाल (डायरेक्टर ट्रेनिंग्स देवरादा ग्रुप), चारु तिवारी (वरिष्ठ पत्रकार) तथा जीवन चंद्र (नॉर्थ इंडिया कौंसिल मेंबर) द्वारा विचार व्यक्त कर कहा गया, शिक्षा के क्षेत्र में लोक के साथ क्या संबंध बन सकता है, शिक्षा की संस्कृति बच्चों के लिए ही नहीं शिक्षकों के लिए भी जरूरी है।

परिचर्चा में उत्तराखंड के विभिन्न स्थानों में आयोजित हुए किताब कौतिक के महत्व पर सारगर्भित प्रकाश डाल कर उसके प्रभाव पर प्रकाश डाला गया। कहा गया, लोगों को शिक्षा के साथ कैसे जोड़ा जाए। वक्ताओं द्वारा कहा गया, उत्तराखंड की मौलिकता व भोगोलिकता शिक्षा से गोल है। लोक के अंतरसंबंधो को शिक्षा के साथ कैसे जोड़े यह सोचना होगा। व्यक्त किया गया, लोक में पांव रहे, अमेरिका की समझ रहे। पढ़े लिखे लोगो की जगह बिना पढ़े लिखे ज्यादा सफल हो रहे हैं क्यों? समझा जा सकता है। जो असमानता बढ़ रही है उसे मिटाना होगा।

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परिचर्चा में कहा गया, उद्यमिता विकास की समझ किसी भी उम्र में आ सकती है। हर किसी के पास साधन, संसाधन नहीं होते हैं। स्कूलों में उद्यमिता विकास की शिक्षा देकर कार्य आगे बढ़ाया जा सकता है। उत्तराखंड में दिल्ली का शिक्षा मॉडल नहीं डाल सकते हैं । उत्तराखंड की जरूरत के मुताबिक़ सोचना होगा। बच्चों की रुचि के मुताबिक उसे आगे बढ़ाया जाए।

अन्य शिक्षाविदों व व्यवसायियों में प्रमुख विरेंद्र दत्त सेमवाल, सुमित खंडेलवाल, माया विजयन, डॉ.राजेश्वरी कापड़ी, चंद्र मोहन पपनैं द्वारा कहा गया, मेरा गांव ही मेरा देश है। शुरुवाती शिक्षा पर ध्यान देना जरूरी है। हर कोई नब्बे या सौ प्रतिशत अंक नहीं ला सकता। टॉपर बच्चे सामाजिक ज्ञान को बहुत पीछे छोड़ते नजर आते हैं। शिक्षा के माध्यम से बच्चों के जीवन को हकीकत व जरूरतों के बावत शिक्षा देना जरूरी है। उत्तराखंड के संसाधनों, पर्यावरण व जलवायु इत्यादि इत्यादि जैसे विषयों पर हुए शोध कार्यों का अध्ययन मनन कर उन्हें प्रदेश व देश की प्रगति हेतु व्यवहार में लाने की कोशिश की जानी चाहिए। शिक्षा या अन्य किसी भी विधा के क्षेत्र में अगर किसी को सम्मानित किया जाता है तो वह सम्मान उसे ऊर्जा देने का काम करता है।

वक्ताओं द्वारा कहा गया, भू-मंडलीकरण के बढते दौर व रोजगार की दशा व दिशा को देख, नोनिहालों को जीवन के अन्य उपायों व क्षेत्रों से भी अवगत कराया जाना चाहिए। उत्तराखंड के बच्चे मेधावी हैं। उनको व्यवसायिक शिक्षा का ज्ञान करवाया जाय। उत्तराखंड के नोनिहालो को, वह शिक्षा दी जाय जिससे वह जीवन में निरंतर तरक्की कर अपने कुल-कुटुंब और अपने क्षेत्र का उत्थान कर सके। कहा गया, इस प्रकार के मंथन से परिणाम निकलता है। इस तरह के आयोजनों की बहुत जरूरत है।

कहा गया, प्रवास में हमें मंथन करना होगा, मैंने अपने गांव के लिए क्या किया है? हमें अपने संस्कार, परंपराओं, बोली-भाषा को जिंदा रहना होगा। यह हमारी पहचान है। स्थानीय उत्पादों को महत्व देना होगा। उत्तराखंड में तकनीकी संबंधित संभावनाओं पर विशेष जोर देते हुए, वकताओं द्वारा स्वयं के अनुभव सांझा किए गए। विकसित आधुनिक तकनीक पर विस्तृत, प्रकाश डाला गया। उच्च तकनीक से उद्यमों को जोड़ कैसे सफलता प्राप्त की जा सकती है, के बावत अवगत कराया गया। उद्यमिता संबंधित शिक्षा पद्धति के महत्व पर प्रकाश डाला गया।

वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, ‘बिजनिस उत्तरायणी’ द्वारा उत्तराखंड के शिक्षाविदो, उद्यमियों व व्यवसायियों को इकठ्ठा कर सबको एक साथ एक मंच पर लाकर, उक्त चुनौतियो पर मंथन करने का जरिया बन, महत्वपूर्ण उद्देश्य की पूर्ति करने का कार्य किया गया है जो अति सराहनीय पहल है।

वक्ताओं द्वारा व्यक्त किया गया, उत्तराखंड के गांव खाली क्यों हो रहे हैं? दिल्ली प्रवास में हम प्रदूषित जीवन क्यो, जी रहे हैं? पल-पल पर समस्याओं को क्यों झेल रहे हैं? जरूरत है, सबक व अनुभव लेकर, उत्तराखंड का प्रत्येक प्रवासी उद्यमी व व्यवसायी अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझ अपने गांव-देहात को समृद्धि की राह की ओर अग्रसरित करने का प्रयास करे। राष्ट्रीय एवम् अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्तराखंड की प्रतिभाओं के शानदार प्रदर्शन एवम् समर्पण को साक्षी मान सभी युवाओं का आह्वान किया गया। व्यक्त किया गया, सब एकजुट हो साहसिक प्रयास करें तथा अपने ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यम स्थापित करे। युवाओं के सतत प्रयासों से ही भारत एवम् उत्तराखंड में नई ऊर्जा से भरपूर संभावनाएं तलाशने हेतु बल मिलेगा।

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डॉ.संजय भारती संरक्षक फोरम ऑफ पब्लिक स्कूल द्वारा कहा गया, हम प्रवास में रहकर उत्तराखंड के लिए क्या कर सकते हैं? क्या सहयोग दे सकते हैं? हम सबको मिलजुल कर पहल करनी होगी। कहा गया, पहले सुविधाएं मौजूद नहीं थी। आज पहाड़ की विरासत को बढाने के प्रयास हर स्तर पर किए जा रहे हैं। सब संस्कृति व विरासत को उठाने के लिए प्रयास करे। कहा गया, आज जो कार्यक्रम हो रहा है, ऐसे कार्यक्रम दिखते छोटे हैं, लेकिन इनका प्रभाव बहुत व्यापक होता है। संघर्ष से निष्कर्ष तक की यात्रा बहुत संघर्षमय होती है।

डॉ.धनंजय जोशी उप कुलपति दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी द्वारा कहा गया, उन्होंने स्वयं बच्चों और शिक्षा से जुडे कई आंदोलनों में प्रमुखता से भागीदारी की है। माता पिता ने जो संस्कार दिया प्रेरणाश्रोत लोगों से प्रेरणा लेकर ही यहां तक पहुंचा हूं। कहा गया, आज गांव बचाने की जरूरत है। महानगरों में रोजी रोटी है, सकून मातृभूमि में ही है। घर वापसी होनी चाहिए। मातृभूमि का ऋण चुकाना चाहिए। जिसने जीवन के चार पड़ावों का महत्व नहीं समझा उसने कुछ नहीं पाया। कहा गया, सबकी आत्मा गांव में बसती है। प्रयास करेगें तो उम्मीद फलीभूत होगी। ईमानदारी से कार्य करे तो सब संभव है। समाज में रह कर अन्य के लिए सोचे तो तो बड़ी बात होगी।

डॉ. धनंजय जोशी द्वारा कहा गया, शिक्षा की हर पॉलिसी ठीक रही है, फिर भी कहीं न कहीं कमी दृष्टिगत होती है ऐसा क्यों? बडी वेदना है, एक ओर बच्चियों की पूजा करते हैं, दूसरी ओर उन्हे भ्रूण में ही मारने की सोच बनाई जाती है। कहा गया, समाज सेवा सबसे बड़ी है।

आयोजन के इस अवसर पर डॉ. धनंजय जोशी, डॉ.संजय भारती, डॉ.राजेश्वरी कापड़ी तथा चंद्र मोहन पपनैं के कर कमलों शैक्षिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में अनेकों विद्यालयों के प्रधानाचार्यों व शिक्षाविदों को प्रशस्ति पत्र- 2024 प्रदान कर सम्मानित किया गया।

शैक्षिक उत्कृष्टता के क्षेत्र में माया विजयन (प्रधानाचार्य डीपीएसजी एफसी फरीदाबाद), सविता सचदेव (उप प्रधानाचार्य दरियागंज), विजय लक्ष्मी रावत (प्रधानाचार्य एनपीभी सीपीडब्ल्यूडी गर्ल्स स्कूल बसंत विहार), रूपम जैन (उप प्रधानाचार्य जीबीएमएस अजमेरी गेट), श्रीमती राजेश (प्रधानाचार्य एसकेभी बल्लीमारान चांदनी चौक), मीना गौतम (प्रधानाचार्य एसकेभी आसफ अली रोड), डॉ. एल के दुबे (प्रधानाचार्य वेस्ट विनोद नगर), अजय चौबे (प्रधानाचार्य राउज एवेन्यू स्कूल), डॉ.पवन कुमार मैठानी (चीफ लाईब्रेरियन पीजीडीएभी कालेज), राखी बिष्ट (दिल्ली स्टेट अवार्डी अध्यापिका), डॉ.राजेश्वरी कापड़ी (सेवा निवृत उप निर्देशक शिक्षा विभाग दिल्ली सरकार), डॉ.संजय भारती (प्रधानाचार्य नव भारत पब्लिक स्कूल प्रीतमपुरा), प्रो. (डॉ.) धनंजय जोशी (उपकुलपति दिल्ली टीचर्स यूनिवर्सिटी), डॉ. राजेश नैथानी (उप कुलपति हिमालयन यूनिवर्सिटी देहरादून), एस एस गुसाई (चेयरमैन डिभाइन पब्लिक स्कूल) को सम्मानित किया गया।

आयोजित कार्यक्रम का ओजस्वी व प्रभावशाली मंच संचालन आयोजन समिति सदस्य नीरज बवाड़ी द्वारा तारा बवाड़ी तथा दिल्ली विश्वविद्यालय के अनुशासित छात्रों की टीम के सानिध्य में बखूबी किया गया।
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