रानीखेत परिवहन डिपो को शिफ्ट करने की सुगबुगाहट से नाराजगी बढ़ी,स्थायी रुप से शिफ्ट किया तो होगा प्रबल विरोध

रानीखेत- उत्तराखंड परिवहन निगम के रानीखेत डिपो को अस्थाई रुप से जिला मुख्यालय शिफ्ट किए जाने की सुगबुगाहट से रोडवेज कर्मचारियों और स्थानीय नागरिकों में नाराज़गी देखी जा रही है। कर्मचारियों को आशंका है कि कहीं ये अस्थाई शिफ्टिंग स्थायी शिफ्टिंग में तब्दील न हो जाए।
ध्यातव्य है कि रानीखेत स्थित परिवहन डिपो पर्वतीय क्षेत्र के पुराने डिपो में से एक है।इसकी स्थापना वर्ष 1960 में तत्कालीन गृह मंत्री पं गोविंद बल्लभ पंत के प्रयासों से हुई थी। इधर डिपो के पुराने खस्ताहाल होते भवन की जगह नए निर्माण हेतु राज्य सरकार ने धनराशि स्वीकृत की है । यहां 964.33 लाख रुपये की लागत से बस टर्मिनल का निर्माण होना है।जबकि कार्यशाला का निर्माण परिवहन निगम की की वर्ष पूर्व ली गई भूमि पर चल रहा है। बस टर्मिनल के लिए पुराने रानीखेत डिपो भवन को ध्वस्त किया जाने और अस्थाई रूप से डिपो कार्यालय के लिए नगर में स्थान उपलब्ध न होने से रानीखेत डिपो कार्यालय को अन्यत्र भेजने की सुगबुगाहट है।डिपो के साथ सभी कार्यालय कर्मचारियों और बसों को भी शिफ्ट किया जाएगा। हालांकि परिवहन निगम के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार लम्बे रुट की सभी बसें रानीखेत होकर गुजरेंगी।
इधर रोडवेज कर्मचारियों में इस पुराने डिपो को शिफ्ट करने की मंशा में खोट नजर आती है।उनका कहना है कि रानीखेत से पिछले कुछ वर्षो में अनेक सरकारी कार्यालयों को अन्यत्र शिफ्ट किया गया है।दोबारा वे विभाग रानीखेत लौटकर नहीं आए।ऐसे में कहीं रानीखेत डिपो की अस्थाई शिफ्टिंग स्थायी शिफ्टिंग न बन जाए।उनका कहना है कि पहले भी रानीखेत डिपो को भवाली व रामनगर डिपो में समाविष्ट करने का प्रयास किया जा रहा था जो स्थानीय जनप्रतिनिधियों के प्रबल विरोध के कारण रोक दिया गया। कर्मचारियों का कहना है कि नागरिकोंऔर जनप्रतिनिधियों को रानीखेत डिपो का अस्तित्व बचाने केलिए आगे आना चाहिए।




