“जलवायु परिवर्तन का आजीविका पर प्रभाव एवं उनके सतत समाधान” विषय पर श्रीनगर (गढ़वाल) में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न

सी एम पपनै
श्रीनगर (गढ़वाल)। मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन द्वारा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय, श्रीनगर (गढ़वाल) में दिनांक 19 मई को ‘जलवायु परिवर्तन का आजीविका पर प्रभाव एवं उनके सतत समाधान’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन मुख्य अतिथि कुलपति एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय मनमोहन सिंह रौथाण तथा विशिष्ट अतिथि डीआईजी एसएसबी सुभाष नेगी की प्रभावी उपस्थिति में आयोजित की गई।
आयोजित संगोष्ठी का श्रीगणेश दीप प्रज्वलन व सरस्वती वंदना तथा मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन अध्यक्षा परिधि भंडारी व मुख्य समन्वयक दुर्गा सिंह भंडारी द्वारा मुख्य व विशिष्ट अतिथियों को शाल ओढ़ा कर व स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत अभिनंदन कर किया गया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कुलपति एचएनबी गढ़वाल विश्वविद्यालय, प्रो. मनमोहन सिंह रौथाण द्वारा कहा गया, जलवायु परिवर्तन कोई तत्कालिक घटना नहीं, बल्कि औद्योगिक क्रांति के साथ शुरू हुई एक प्रक्रिया है। वनों की कटाई और अनियंत्रित औद्योगीकरण ने प्रकृति को असंतुलित किया है। कुलपति द्वारा छात्रों से वृक्षारोपण एवं स्थाई समाधान की दिशा में बढ़चढ़ कर कार्य करने का आह्वान किया गया।
विशिष्ट अतिथि उप-महानिरीक्षक, सीमा सशस्त्र बल सुभाष नेगी द्वारा सीमांत क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के कारण उत्पन्न सुरक्षा और आजीविका चुनौतियों को रेखांकित किया गया। वर्ष 2013 की उत्तराखण्ड आपदा सहित प्राकृतिक घटनाओं का उल्लेख करते हुए पूर्व चेतावनी प्रणाली और सामुदायिक जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया गया।
संगोष्ठी में डॉ. मधुबेन शर्मा, सहायक प्राध्यापिका, यूपीईएस देहरादून तथा शक्ति थपलियाल, प्रबंध निदेशक, देवस्थली पी.जी. कॉलेज द्वारा सस्टेनेबल एग्रीकल्चर, एग्रोफॉरेस्ट्री, सौर ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को समाधान के रूप में प्रस्तुत किया गया तथा शिक्षा संस्थानों की भूमिका को नीति एवं समाधान निर्माण में निर्णायक बताया गया।
शैक्षणिक संस्थानों को परिवर्तन के वाहक की भूमिका में देखने की बात कही गई। वृक्षारोपण को एक प्रभावी जन-सहभागी समाधान बताया गया।
वक्ताओं द्वारा जलवायु परिवर्तन के कारण पर्वतीय कृषि संकट, पारंपरिक फसलों की हानि तथा जलवायु असंतुलन के प्रभावों पर स-विस्तार प्रकाश डाला गया।
संगोष्ठी संयोजक मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन दुर्गा सिंह भण्डारी द्वारा कहा गया, बढ़ते जलवायु परिवर्तन का स्थाई समाधान तभी संभव हैं जब बड़े स्तर पर जन समुदाय स्वयं योजनाओं में भागीदार बने। सामुदायिक सहभागिता द्वारा विकास को दुर्गा सिंह भंडारी द्वारा आवश्यक बताया गया।
मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन, नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी में ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग, एच.एन.बी. गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा ज्ञान-तकनीकी सहयोगी की भूमिका का निर्वाह किया गया।
संगोष्ठी समापन का प्रस्ताव प्रेषित करते हुए संगोष्ठी संयोजक एवं विभागाध्यक्ष, ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग, प्रो. आर.एस. नेगी द्वारा कहा गया, आयोजित संगोष्ठी से यह स्पष्ट होता है, जलवायु परिवर्तन के संकट का समाधान केवल वैज्ञानिक शोध नहीं, बल्कि सामाजिक सहभागिता, नैतिक जागरूकता एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता के समन्वय से ही संभव हो सकता है।
मोल्यार रिसोर्स फाउंडेशन, नई दिल्ली के सौजन्य से आयोजित एक दिवसीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का धन्यवाद प्रेषण संगोष्ठी सह संयोजक डॉ. संतोष सिंह द्वारा किया गया। संगोष्ठी के इस अवसर पर हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय के प्रो. एच.सी.नैनवाल, प्रो. आर. के. मैखुरी, प्रो. जे. एस. चौहान, डॉ. वी. के. पुरोहित, डॉ. डी.के. राणा, डॉ. जे. एस. बुटोला, डॉ. के. एन. शाह, डॉ. विवेक सिंह, डॉ. सिमरन सैनी इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ विश्व विद्यालय के ग्रामीण प्रौद्योगिकी, उद्यानिकी, वन विज्ञान एवं योग विज्ञान, समाजशास्त्र इत्यादि इत्यादि विभागों से जुड़े शोधार्थियों एवं छात्रों की बड़ी संख्या में उपस्थित रही जिसमें ‘जलवायु परिवर्तन का आजीविका पर प्रभाव एवं उनके सतत समाधान’ विषय पर विद्यार्थियों ने प्रश्न पूछकर और चर्चा में सम्मिलित होकर अपने शैक्षणिक उत्साह को दर्शाया गया, ज्ञानवर्धन किया गया।
संगोष्ठी मंच संचालन ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग के शोध छात्रों अंकित सती, प्रतिभा रावत, नवदीप सिंह तथा प्रो. आर.एस. नेगी, संगोष्ठी संयोजक एवं विभागाध्यक्ष, ग्रामीण प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा बखूबी किया गया।
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