उत्तरांचल उत्थान परिषद द्वारा नई दिल्ली में आयोजित प्रवासी पंचायत संपन्न

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। वर्ष 1988 में गठित गैर राजनैतिक एवं सामाजिक सहयोग पर आधारित संस्था उत्तरांचल उत्थान परिषद, प्रवासी पंचायत के आह्वान पर 11 जनवरी को इंडिया हैबिटेट सेंटर में अंचल के उद्यमियों व प्रवासी उद्यमियों द्वारा ‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ की भावना के तहत अपने अंचल के गांवों से जुड़ने के अभियान के तहत तीन सत्रों के प्रभावशाली कार्यक्रम का आयोजन मुख्य अतिथि संघ प्रांत प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र की प्रभावी उपस्थित तथा नरेंद्र लड़वाल, टी सी उप्रेती, सुरेश पांडे, राजेश थपलियाल, राज भट्ट, प्रोफेसर दुर्गेश पंत, डॉ.रंजीत मेहता, डॉ. मोहन पंवार, हीरा बल्लभ जोशी, हरेंद्र डोलिया, साध्वी प्रज्ञा भारती, डॉ. नवदीप, संजय जोशी, गणेश रौतेला, दिनेश फ़ुलारा, सुधीर धर, खुशाल सिंह बिष्ट, दिनेश जोशी, प्रताप बिष्ट व खुशहाल सिंह रावत इत्यादि इत्यादि के सानिध्य में आयोजित किया गया।

‘मेरा गांव, मेरा तीर्थ’ की भावना के तहत गांवों से जुड़ने वाले अभियान के उक्त आयोजन का श्रीगणेश डॉ. शैलेन्द्र, टी सी उप्रेती, नरेंद्र लड़वाल, भुवन जी, तथा नवदीप जोशी द्वारा दीप प्रज्जवलित कर तथा डॉ.मनोज डिमरी के मंगल गान से किया गया।

आयोजक संस्था पदाधिकारियों द्वारा मंचासीन प्रांत प्रमुख डॉ. शैलेन्द्र, अध्यक्ष उत्तरांचल उत्थान परिषद नरेंद्र लड़वाल तथा देश के उद्योग जगत से जुड़े टी सी उप्रेती को पुष्पगुच्छ तथा स्मृति चिन्ह प्रदान कर स्वागत अभिनन्दन किया गया।
डॉ.नवदीप द्वारा सामूहिक जन गीत-
आओ मिलकर करे प्रतिज्ञा, गांवों के सम्मान की….। प्रस्तुत किया गया।

उत्तरांचल उत्थान परिषद महामंत्री राजेश थपलियाल द्वारा वर्ष 2013 में हरिद्वार से शुभारंभ किए गए प्रवासी पंचायत आयोजन के उद्देश्यों व विगत वर्षो में लोगों के भावों को जगाने हेतु आयोजित किए गए दस आयोजनों में मिली सफलता के बाबत स-विस्तार अवगत कराया गया। कहा गया, पलायन एक नियति है। अंचल के 70 फीसद लोग सिर्फ चार शहरों में रहते हैं।20 फीसद लोग अन्य शहरों तथा मात्र 10 फीसद लोग गांवों में निवासरत हैं। गठित संस्था की सोच रही है, हो रहे पलायन पर अंकुश लगाने के लिए धरातल पर कार्य हो।

राजेश थपलियाल द्वारा कहा गया, गांव भारत की आत्मा हैं संस्कृति है। गांव है तो कृषि है, गौ और संस्कृति है तथा देश है। अवगत कराया गया, गांवों की समृद्धि की सोच हेतु ही वर्ष 1988 में उत्तरांचल उत्थान परिषद का गठन किया गया था। कहा गया, स्वावलंबन पर बहुत से लोग कार्य कर रहे हैं। गांव उपभोगकर्ता नहीं, उत्पादक कर्ता रहा है। गांव के लोगों की आवश्यकताएं सीमित हैं। अवगत कराया गया, विभिन्न शहरों में संस्था की प्रवासी पंचायते गठित हो चुकी हैं। अंचल के 150 से भी अधिक गांवों में प्रवासियों द्वारा ग्राम उत्सव आयोजित किए गए हैं। साल भर कार्यक्रम चलते रहते हैं। सोच रही है, हमारे गांव खुशहाल हो। किसी भी एक गांव को आदर्श गांव बनाना बहुत बड़ा पुण्य कार्य कहा जा सकता है।

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अवगत कराया गया, अंचल में 30 एकल विद्यालय, 5 लाइब्रेरी, 5 स्वावलंबन व 8 सामाजिक केंद्र चलायमान हैं जो सामाजिक संस्कार देने हेतु कार्य करते हैं। कहा गया, पर्वतीय भू भाग में आदर्श भाव कैसे जगाए जा सकते हैं? इस सोच पर संस्था निरंतर सक्रिय है। कहा गया, पूर्व में गांवों का विकास स्वयं के द्वारा दिए गए आर्थिक योगदान और सामूहिक सहमति से ही हुआ है। वर्तमान में नब्बे फीसद गांव रोड और संचार व्यवस्था से जुड़ चुके हैं। पलायन पर कैसे अंकुश लगे यह विषय मुख्य है।

आयोजन में आयोजित तीन सत्रों के पहले सत्र में टी सी उप्रेती की अध्यक्षता में उत्तराखंड के ग्रामीण अंचल से आयोजन में पहुंचे उद्यमियों में प्रमुख हरीश भट्ट (पिथौरागढ़), मयंक पंत (मंसूरी), शिवम् ढोंडियाल व जयश्री (पौड़ी), रंजना रावत (रुद्र प्रयाग) द्वारा किए जा रहे उद्यम कार्यों, चुनौतियों तथा उद्यम कार्यों में मिल रही सफलता पर विचार व्यक्त किए गए।

मुख्य अतिथि प्रांत प्रमुख प्रचारक डॉ. शैलेन्द्र द्वारा भारत माता की जय, वंदे मातरम व जय श्रीराम का उदघोष कर कहा गया, विभिन्न क्षेत्रों में उत्तराखंड में जो प्रयोग कर रहे हैं, स्वावलंबन के क्षेत्र में अच्छा कार्य हो रहा है, उक्त कार्यों में मिल रही सफलता से प्रेरणा मिल रही है। वर्ष 2013 से प्रवासी पंचायत शुरू होने से तथा ‘चलो गांव की ओर’ मुहीम ने अति प्रभावित किया है। गांवों के सरोकारों हेतु कुछ न कुछ विषय जरूरी हैं।

संघ प्रचार प्रमुख द्वारा कहा गया, केदार नाथ आपदा में संगठन ने अच्छा कार्य किया। गांवों में शिक्षा और रोजगार मिल जाए तो कोई भी गांवों को नहीं छोड़ेगा। ग्रामीणों में भाव जगाने की जरूरत है। विदेशों और नगरों, महानगरों से अपने अंचल के गांवों में लौट कर लोग प्रेरणाजनक कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड में कई अस्पताल बन रहे हैं। हरिद्वार में साधु संतों के लिए भी चिकित्सालय बन रहा है। चारधाम यात्रा हेतु कई संस्थाएं कार्य कर रही हैं। 550 से अधिक शिशु मंदिर हैं। 500 से ऊपर बंद हो चुके विद्यालयों को पुनः पुनर्जीवित कर शिक्षा दी जा रही है। कई छात्रावास चल रहे हैं।

कहा गया, पहले लोग अभावग्रस्त होकर पढ़ाई करते थे अब शुरू की गई लाइब्रेरी के माध्यम से शिक्षा सुविधा देकर बच्चों को शिक्षित और जागृत किया जा रहा है। सबका सहयोग मिला तो अंचल में सौ लाइब्रेरी संख्या हो जाएगी। जिस माध्यम ऑनलाइन क्लासेस चलाई जा सकती हैं। आंचलिक बोली भाषा के साथ साथ अन्य भाषाओं और विदेशी भाषाओं का भी ज्ञान उक्त माध्यम से कराया जा रहा है। कहा गया, सुरेश सोनी जी ने इस मुहीम को आगे बढ़ाया है। विद्या भारती द्वारा प्रभावशाली कार्य किया जा रहा है।

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प्रमुख प्रांत प्रचारक द्वारा कहा गया, चुनौतियां बढ़ रही हैं, महिलाए बढ़ चढ़ कर कार्य कर रही हैं। उन्हें शिक्षित किया जा रहा है। प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कहा गया, अंचल की मातृशक्ति पढ़ी लिखी न होने के बावजूद उन्हें अपनी पारंपरिक लोक संस्कृति के ज्ञान पर बोलते हुए सुना जा सकता है।

प्रांत प्रचारक द्वारा अवगत कराया गया, कल्याण आश्रम के नाम पर भी कार्य हो रहे हैं। एम्स दिल्ली के पास माधव विश्राम सदन पर कार्य चल रहा है। अंचल के लोगों को सुविधाए मुहैया कराने के लिए एक और भवन एम्स के नजदीक बनाया जा रहा है।

प्रचार प्रमुख द्वारा कहा गया, संघ अपना नाम नहीं जनसेवा करना चाहता है। चुनौतियां नए प्रकार की आ रही हैं। हिंदू हाथ का काम छोड़ रहे हैं। गांवों व अंचल के शहरों में कौन बस रहा है, देखना जरूरी है। अवगत कराया गया अंचल के छह गांव हिन्दू विहीन हो गए हैं। डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव आ रहा है। राम का नाम लेने वाले नहीं बचे हैं। लोगों की आस्था को बचा कर रखना होगा।

प्रमुख प्रांत प्रचारक डॉ.शैलेन्द्र द्वारा कहा गया, उत्तराखंड का पहाड़ी अंचल एशिया का टावर है, 40 फीसद पानी ग्लेशियरों से तथा 60 फीसद पानी अंचल के नौले, धारे तथा खाल से आता है जिन्हें बचाना है। अवगत कराया गया, उक्त आंकड़े नीति आयोग के हैं। कहा गया, बावड़ियां, तालाब तथा कुएं फिर से जीवित करने होंगे। कहा गया पहले नल संस्कृति नहीं थी जल संस्कृति थी, आज क्या हो गया है? आज अचानक जल की कमी कैसे हो रही है? द्वाराहाट नौलों की काशी कहा जाता था। उत्तराखंड के अल्मोड़ा, नैनीताल, चम्पावत, चमोली, बागेश्वर व गढ़वाल अंचल के नौले सातवीं और आठवी शताब्दी के हैं। इनकी पहचान कर उन पर कार्य योजना बनाई गई है। कहा गया, वक्त आ गया है इन्हीं सब कमियों को दूर करना है, इन्हें सही करना है।

प्रांत प्रचारक द्वारा अवगत कराया गया, नौला फाउन्डेशन जैसी संस्थाएं पानी की मुहीम पर कार्य कर रही हैं। पहाड़ के लोग हर प्रकार से स्वावलंबी होने चाहिए। पहाड़ की जमीन बिके नहीं, ध्यान रखना होगा। हमें अपने आप को अपने मूल से मिलाना होगा। कहा गया, डॉ. दुर्गेश पंत के पास सारा कार्य विवरण है, कैसे क्या किया जा सकता है, अंचल को बचाया जा सकता है।

संघ प्रचार प्रमुख द्वारा कहा गया, अच्छे प्रयासों पर चर्चा जरूर होनी चाहिए। नरेंद्र लड़वाल जी चम्पावत में अच्छा कार्य कर रहे हैं, जो प्रेरणादाई है। कहा गया संघ का शताब्दी वर्ष शुरू होने जा रहा है। शताब्दी वर्ष में संघ बड़ी भूमिका निभाएगा।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता कर रहे देश के उद्योग जगत से जुड़े टी सी उप्रेती द्वारा कहा गया, प्रवासी जन अपने उत्तराखंड अंचल के लिए बहुत अच्छा और प्रभावी काम कर रहे हैं। अंचल की आर्थिकी उक्त कार्यों से बढ़ रही है। दोराहे पर खड़े पर्यावरण व उसके संरक्षण पर पहल कर कार्य तेजी से किया जा रहा है। उद्योग जगत से जुड़े लोग फंडिंग कर सहयोग करे।

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आयोजन के दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रवासी उद्यमी राज भट्ट द्वारा प्रोफेसर दुर्गेश पंत, डॉ. रंजीत मेहता, डॉ.मोहन पंवार मंचासीनों के सानिध्य में की गई। साध्वी प्रज्ञा भारती, रूपेश राय, दिनेश कांडपाल तथा अमरनाथ के साथ-साथ अंचल के उद्यम कार्यों से जुड़े देवेंद्र सिंह बिष्ट (मुक्तेश्वर), चंदन डांगी (मजखाली), गोपाल उप्रेती (रानीखेत), मोहन सिंह बिष्ट (चंपावत), शशि रतूड़ी (देहरादून), भगत सजवान (टिहरी), अतुल पांडे (रानीखेत), हरीश बच्छायली (घनस्याली), गोपाल सिंह (चकराता) इत्यादि इत्यादि उद्यमियों द्वारा किए जा रहे विभिन्न प्रकार के उद्यमों की जानकारी दी गई।

तीसरे सत्र की अध्यक्षता हरेंद्र डोलिया द्वारा पवन जी प्रांतीय प्रचारक (टनकपुर), राजेश जी महामंत्री उत्तरांचल उत्थान परिषद, डॉ.मोहन पंवार उपाध्यक्ष उत्तरांचल उत्थान परिषद मंचासीनों के सानिध्य में आयोजित किया गया। प्रमुख वक्ताओं में उद्यमी मेजर गोरकी चंदोला (पौड़ी), नेहा जोशी (पिथौरागढ़), अतुल रावत (कोटद्वार), अभिषेक बोराई (देहरादून), मंजू साह (रानीखेत), दिनेश जोशी (चम्पावत), डॉ. आर एस रौतेला द्वारा उद्यम के क्षेत्र में किए जा रहे कार्यो के बाबत अवगत कराया गया। आयोजन आयोजक मुख्य सदस्य संजय जोशी द्वारा स्वथान संस्था सदस्यों के द्वारा दिए गए सहयोग पर आभार प्रकट किया गया। आयोजक पदाधिकारियों द्वारा आयोजित तीनों सत्रों में मंचासीन प्रबुद्ध जनों तथा सभी उद्यमी वक्ताओं को पुष्प गुच्छ व स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया गया।

आयोजित आयोजन के समापन पर उत्तरांचल उत्थान परिषद अध्यक्ष नरेंद्र लड़वाल द्वारा उत्तराखंड से बड़ी संख्या में आयोजन में प्रतिभाग करने हेतु दिल्ली पहुंचे सभी उद्यमियों व प्रवासी उद्यमियों तथा सभागार में उपस्थित सभी प्रवासी प्रबुद्ध जनों का आयोजन में उपस्थित होने पर आभार व्यक्त कर कहा गया, देवभूमि व वीरभूमि के समस्त जनमानस को नमन करता हूं, धन्यवाद अदा करता हूं। कहा गया, हमने अन्य समाज के बड़बोले लोगों को दिखाया है हम पहाड़ के लोग बहुत सक्षम हैं, अग्रणी हैं, किसी से कम नहीं हैं। अभी यह शुरुआत है।

संस्था अध्यक्ष नरेंद्र लडवाल द्वारा कहा गया, समय की मांग है, सीमांत के रहवासियों को जागरूक होकर इकठ्ठा होना होगा। लोगों की सहभागिता से ही बल मिलता है। अंचल के प्राकृतिक और सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण जरूरी है। मातृभूमि की सेवा किस रूप में करे, यह सोच बनानी होगी, सेवा करनी होगी। जय भारत, जय उत्तराखंड के उदघोष के साथ आयोजन प्रमुख नरेंद्र लडवाल द्वारा कार्यक्रम समापन की घोषणा की गई। आयोजित आयोजन का मंच संचालन संजय सत्यवली तथा डॉ.रवींद्र नेगी द्वारा बखूबी किया गया।
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