तो क्या सीएम तीरथ सिंह की होने जा रही है छुट्टी?जानें अमित-नड्डा की सियासी किचन में पक क्या रहा।

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ताजा़ खबर जो राजनीतिक हलकों से लेकर मीडिया में तैर रही है वह ये कि बीजेपी आलाकमान फिर से उत्तराखंड में सी एम बदल सकती है ,ऐसे में मार्च में टीएसआर-१को बदल कर सीएम बनाए गए टीएसआर-२ की विदाई भी तय बतायी जा रही है अब दौड़ में डीएसआर यानी धन सिंह रावत और एसएसआर यानी सतपाल सिंह रावत बताए जा रहे हैं,टीएसआर-१की अचानक बढी़ सक्रियता भी इशारा दे रही है कि पुनः अवसर हाथ लगे तो वह खोना नहीं चाहेंगे। हालांकि पार्टी संगठन इस तरह की चर्चाओं को महज अटकलें करार दे रहा है। लेकिन सीएम तीरथ सिंह रावत की बुधवार और गुरूवार की दरम्यानी रात आलाकमान से गुफ्तगूं और फिर गुरूवार को भी सीएम के देहरादून लौटने के बजाए दिल्ली में ही रूके रहने से इस तरह की चर्चा को और हवा मिली है।

बताया जा रहा है कि एक साल बाद राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं इसलिए आलाकमान बहुत फूंक-फूंक कर कदम रखना चाहता है।सीएम तीरथ सिंह रावत ने आलाकमान से उप चुनाव पौड़ी की किसी एक सीट से लड़ने की इच्छा जताते हुए सीट भी सुझायी लेकिन आलाकमान उप चुनाव कराने की मंशा नहीं पाले है ,क्योंकि उसे लगता है कि अगर इस यहां उप चुनाव कराए तो अन्य राज्यों में भी खाली सीटों पर उप चुनाव कराने पडे़गे जो वह नहीं चाहता और पूरी तैयारी के साथ २०२२में विधान सभा चुनाव में उतरना चाहता है वह नहीं चाहता कि उप चुनाव में अपेक्षाकृत परिणाम न आने का असर २०२२के चुनाव में पडे़। सीएम तीरथ सिहं रावत को १०सितम्बर तक उप चुनाव जीतकर विधायक बनना जरुरी है ऐसे में आलाकमान उप चुनाव टालने के लिए विधायकों में से सीएम चुनकर पहले से सांसद तीरथ सिंह रावत को सीएम के पद दायित्व से मुक्त कर सकता है।


राज्य के भाजपा पार्टी संगठन ने हालांकि इस तरह की मीडिया खबरों को खारिज करते कहा है कि पार्टी आलाकमान से सी एम की मुलाकात एक सामान्य प्रक्रिया का हिस्सा है,लेकिन अपने सी एम कार्यकाल के कुछ फैसले
बदलने से आहत बैठे पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कुमाऊं भ्रमण में कार्यकर्ताओं के स्वागत से उत्साहित होकर जिसतरह सक्रिय हुए हैं उससे लग रहा है कि एकबार फिर सीएम बनने का अवसर लेने की ललक उनके भीतर भी किसी कोने दबी बैठी है,उनकी महंत अवधेशानंद गिरी से मुलाकात भी इसी ओर इशारा करती है कि सीएम के तख्त पर दोबारा चढ़ने के लिए वो संत समाज का समर्थन जुटाना चाहते हैं।

इधर रामनगर में हुए चिंतन शिविर के बाद केबिनेट मंत्री धन सिंह रावत और सतपाल महाराज भी सक्रिय हो गए हैंऔर दिल्ली की राह पकडे़ हुए हैं। जानकारी यह भी है कि एक नेता ने अपने साथ विधायकों का समर्थन होने का दावा भी किया है। कुलमिलाकर सूत्र बताते हैं कि पार्टी २०२२ विधान सभा चुनाव को दृष्टिपथ में रखकर आगे बढ़ रही है,ऐसे में दो -चार दिन में सी एम को लेकर कोई अहम फैसला ले सकती है!याद रहे,२०१२ में भी बीजेपी ने बीसी खंडूरी को आगे लाकर चुनाव से ऐन पहले सीएम परिवर्तन का दांव खेला था,तो क्या बीजेपी २०१२का दांव फिर से खेलेगी? फिलवक्त सूत्रों और मीडिया में तैरती इन खबरों को कोरे कयास मान भी लें तो इतना तो जरूर मानिएगा दिल्ली में कुछ खिचडी़ जरुर पक रही है,जिसकी महक को मीडिया अपने-अपने हिसाब से महसूस कर रहा है।