समाजसेवी सतीश चन्द्र पाण्डेय ने दो लावारिस शवों का किया अंतिम संस्कार,मिली सराहना

रानीखेत – ‘लावारिस’ शव शब्द सुनते ही मन में जो पहली तस्वीर आती है, उसके बारे में सोच कर ही मन बेचैन होने लगता है. लेकिन, रानीखेत में सतीश चन्द्र पाण्डेय और उनकी जनसेवा समिति लावारिस शवों की वारिस बनी हुई है। अब तक सैकड़ों लावारिस व निर्धन बेसहारा लोगों के शवों का अंतिम संस्कार कर जनसेवा समिति के सतीश चन्द्र पाण्डेय ने सोमवार को भी ऐसे ही निर्धन बे-सहारा जीवन व्यतीत करते आ रहे दो लोगों का अंतिम संस्कार किया।
नगर के समीप ऐरोली गांव में 25वर्ष से अकेली रहकर घरों में बर्तन मलकर पेट पाल रही हेमा देवी (75) की मृत्यु की खबर मिलने पर सतीश चन्द्र पाण्डेय अपने दो साथियों के साथ ऐरोली पहुंचे और हेमा देवी के शव को मुक्ति धाम लाकर हिंदू परम्परा से शव की अन्त्येष्टि की। हेमा का शव दो दिन से घर में लावारिस पड़ा था।
दूसरे मामले में सतीश चन्द्र पाण्डेय को राजकीय चिकित्सालय से बेसहारा नेपाली मजदूर की मृत्यु होने की खबर आई। नेपाली मजदूर रामबहादुर (54) दलमोटी सड़क कार्य में मजदूरी करता था। सतीश चन्द्र पाण्डेय ने स्वयं के खर्च से दाह संस्कार का आवश्यक सामान बाज़ार से जुटाया और मुक्ति धाम ले जाकर राम बहादुर के शव का अंतिम संस्कार किया। इससे पूर्व भी दिसम्बर 2013में सतीश दो बेसहारा शवों का एक साथ अंतिम संस्कार कर चुके हैं। सतीश चन्द्र पाण्डेय की जनसेवा की नगर में सर्वत्र सराहना हो रही है। बता दें कि सतीश चन्द्र पाण्डेय 62वर्ष की आयु में भी पूरी चुस्ती-फुर्ती के साथ अपनी संस्था के साथ लावारिस शवों के दाह संस्कार में जुटे हैं।उनकी जन सेवा समिति संस्था कई सालों से यह सेवा कार्य कर रही है. संस्था के लोग लावारिस शवों का वैसे ही अंतिम संस्कार करते हैं, जैसे परिवार का कोई अपना करता हो। कोरोना काल में भी इस संस्था ने समाजसेवा की अनोखी मिसाल पेश की थी।


