प्रतिष्ठित पत्रकार एवं इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के.विक्रम राव का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन

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सी एम पपनै

लखनऊ। देश के प्रतिष्ठित वरिष्ठ पत्रकार एवं इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (IFWJ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. के. विक्रम राव का अंतिम संस्कार मंगलवार को सुबह 10 बजे लखनऊ के बैकुंठ धाम में किया गया। उनके निधन पर मंगलवार को स्थानीय पत्रकारों सहित विभिन्न राज्यों व राज्य के विभिन्न स्थानों से लखनऊ पहुंचे दर्जनों पत्रकार, राजनेता व समाज के विभिन्न संगठनों से जुड़े लोग शव यात्रा में शामिल हुए। लखनऊ प्रेस क्लब में यूपी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन अध्यक्ष हबीब सिद्धकी, मंडल अध्यक्ष शिवचरण सिंह, यूपी प्रेस क्लब अध्यक्ष रवींद्र कुमार सिंह, इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के पूर्व सचिव रामदत्त त्रिपाठी के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के उनके समकक्ष पुष्कर सिंह धामी, यूपी के पूर्व राज्यपाल राम नाईक, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी, सपा के वरिष्ठ पदाधिकारी शिवपाल सिंह यादव, विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना और पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने दिवंगत डॉ. राव के निधन पर दुख व्यक्त किया, श्रद्धांजलि अर्पित की। दिवंगत डॉ. राव के शव को मुखाग्नि उनके पुत्रों द्वारा दी गई।

सोमवार की सुबह सांस संबंधी तकलीफ से ग्रसित डॉक्टर के विक्रम राव को लखनऊ के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उन्होंने अंतिम सांस ली थी। सोमवार को ही उनका पार्थिव शरीर 703, पैलेस कोर्ट अपार्टमेंट, मॉल एवेन्यू लखनऊ में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया था। जहां बड़ी संख्या में पत्रकारों, राजनेताओं व समाज के प्रबुद्ध जनों द्वारा भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पत्रकारिता के पुरोधा डॉ. राव के निधन पर शोक जताते हुए उन्हे भावभीनी श्रद्धाजंलि अर्पित की। सी एम योगी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा था, “डॉ. राव का निधन अत्यंत दुःखद एवं पत्रकारिता जगत की अपूरणीय क्षति है। उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि। मेरी संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। प्रभु श्री राम से प्रार्थना है कि दिवंगत पुण्यात्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें तथा शोकाकुल परिजनों को यह अथाह दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। ॐ शांति।”
प्रदेश के दोनों उप मुख्य मंत्रियों, अनेकों मंत्रियों के साथ-साथ अखिलेश यादव व विभिन्न दलों से जुड़े राजनेताओं द्वारा भी डॉ. राव को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

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अति मिलनसार स्वाभाव के डॉ. राव विगत रविवार को ही मुख्यमंत्री आदित्य नाथ से मिले थे। विगत एक मई को श्रमिक दिवस पर यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में व्हील चेयर पर बैठ कर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी, संक्षिप्त भाषण भी दिया था।

86 वर्षीय डॉ. के विक्रम राव का निधन मीडियाकर्मियों के ट्रेड यूनियन मूवमेंट के लिए एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा सकता है जो अत्यंत कष्टकारी कहा जा सकता है। डॉ. राव मीडियाकर्मियों के हितों के लिए जीवन भर संघर्षरत रहे। फेडरेशन लीडर होने के साथ-साथ अंतिम समय तक लेखनी भी चलाते रहे। उनके लेखों में दुर्लभ जानकारी, इतिहास के सूत्र और समाज का वैज्ञानिक विश्लेषण मिलता था। उन पर कभी भी पक्षपात के आरोप नहीं लगे। उन्होंने पत्रकारिता को हमेशा धर्म की तरह पवित्र माना। पत्रकारी हितों की लड़ाई में हमेशा अव्वल रहे। उनकी संगठन क्षमता बेजोड़ थी। उनका जीवन पत्रकारों की आधुनिक पीढ़ी के लिए आदर्श रहा था। यूनियन मूवमेंट को लेकर वे हमेशा चिंतित रहते थे। उनमें अदम्य साहस, हौसला, निडरता, तेजस्विता, एकाग्रता और संघर्ष का अद्भुत समावेश था। देश व राज्यों में गठित मीडिया यूनियनों, संगठनों व फेडरेशनों के साथ उनका सतत संवाद बना रहता था।

डॉ. राव भारतीय पत्रकारिता के क्षेत्र में दशकों से सक्रिय रहे थे। उन्होंने पत्रकारिता पर कई पुस्तकों की रचना भी की। उन्होंने कई देशों में घूमकर वहां के पत्रकारों की स्थिति की जानकारी हासिल की। इसके बाद भारत सरकार को कई सुझाव दिये कि यहां के पत्रकारों के लिए क्या किया जाना चाहिए। श्रमजीवी पत्रकारों की आवाज़ को उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से समय-समय पर उठाया था। उनका जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा। वे पांच दशकों से अधिक समय तक पत्रकारिता जगत में सक्रिय रहे और इस दौरान उन्होने सामाजिक सरोकार से जुड़ी कई समस्यायों को देश दुनिया के सामने उजागर किया था।

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डॉ. राव की क़लम की खासियत रही अंग्रेजी और हिंदी में उनका समान अधिकार रहा। इसके अलावा तेलगु, कन्नड़, मराठी इत्यादि इत्यादि के साथ-साथ दुनिया की अन्य अनेकों जबानो को धारा प्रवाह बोलने के वे धनी रहे। अखबारों के साथ-साथ सोशल मीडिया में भी कलम के इस जादूगर के आर्टिकल हर दिन छाए रहते थे। तमाम भाषाओं पर मजबूत पकड़ रखने वाले डॉ. के विक्रम राव ने देश के बड़े मीडिया घरानों के अखबारों में काम किया और दशकों तक स्वतंत्र पत्रकार के रूप में दुनियाभर के पत्र-पत्रिकाओं में भी उनके लेख छपते रहे।

जब-जब पत्रकारिता में कोई विसंगति नजर आई, उसे दूर करने के लिए डॉ. राव हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आते थे। बेबाकी से बोलते थे। युवा पत्रकारों को वे सदा प्रोत्साहित करते देखे जा सकते थे। भारतीय पत्रकारिता के एक विशाल व्यक्तित्व थे और भारत के लोकतांत्रिक इतिहास के सबसे अंधेरे दौर में साहस का प्रतीक थे। उनका जीवन संघर्षशील पत्रकारिता, सिद्धांतनिष्ठ विचारों और निर्भीक लेखनी का पर्याय रहा।

इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते दुनियाभर की पत्रकार बिरादरी से डॉ. राव का सीधा रिश्ता रहा। श्रमजीवी पत्रकारों व समस्त अखबार कर्मियों की लड़ाई लड़ने वाले डॉ. के. विक्रम राव ने इमरजेंसी के दौर में हुकूमत की तानाशाही से भी दो-दो हाथ किए थे। उस दौरान जेल भी गए थे। दशकों तक की गई निर्भीक व निडर पत्रकारिता को देखते हुए विगत दशकों व वर्षों में उन्हें अनेकों प्रतिष्ठित संस्थाओं व संगठनों द्वारा विभिन्न सम्मानों से नवाजा गया था। इन्हीं सम्मानों के क्रम में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा डॉ. के विक्रम राव को फ्रीडम फाइटर पत्रकार के सम्मान से नवाजा गया था।

डॉ. के विक्रम राव के पिता स्व. के रामा राव लखनऊ में पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित ‘नेशनल हेराल्ड’ के 1938 में संस्थापक-संपादक थे। जानेमाने स्वाधीनता सेनानी और प्रथम संसद (राज्य सभा) के सदस्य (1952) रहे थे। डॉ के विक्रम राव अपने चार भाइयों में तीसरे नंबर के थे।

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राजनीति शास्त्र से परास्नातक डॉ. के विक्रम राव गौरवशाली परंपरा के ध्वजवाहक रहे। जब-जब पत्रकारिता में कोई विसंगति नजर आई उसे दूर करने के लिए वे हमेशा अग्रिम पंक्ति में खड़े नजर आते थे। डॉ. के विक्रम राव वर्ष 1962 से 1988 तक अंग्रेजी दैनिक ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (मुंबई) में कार्यरत रहे थे। उन्होंने दैनिक ‘इकोनोमिक टाइम्स’, पाक्षिक ‘फिल्मफेयर’ और साप्ताहिक ‘इलस्ट्रेटेड वीकली’ में भी काम किया था।

पत्रकारिता लेखन और संगठन दोनों क्षेत्र में अग्रणी रहने के साथ-साथ डॉ. राव गद्यकार, संपादक और टीवी-रेडियो समीक्षक भी रहे। श्रमजीवी पत्रकारों के मासिक ‘दि वर्किंग जर्नलिस्ट’ के प्रधान संपादक भी रहे। समाचारों के लिए चर्चित अमेरिकी रेडियो ‘वॉयस ऑफ अमेरिका’ (हिन्दी समाचार प्रभाग, वॉशिंगटन) के दक्षिण एशियाई ब्यूरो में संवाददाता भी रहे।

इंडियन फेडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट से जुड़े रहे डॉ. राव पत्रकारों और सरकार के बीच सेतु का कार्य करने में भी सक्षम रहे। प्रेस की नियामक संस्था ‘भारतीय प्रेस परिषद’ में वर्ष 1991 से 6 वर्षों तक लगातार सदस्य के रूप में पत्रकारों की आवाज बने रहे। श्रमजीवी पत्रकारों के लिए भारत सरकार द्वारा गठित जस्टिस जी आर मजीठिया वेतन बोर्ड तथा मणिसाना वेतन बोर्ड के सदस्य रहे। पत्रकारों और गैर पत्रकारों की देश की सबसे बड़ी व भारत सरकार द्वारा पत्रकारों, गैर पत्रकारों व न्यूज एजेंसी के वेतनमानों की बढ़ोत्तरी के लिए गठित वेज बोर्डो की सदस्य रही नेशनल फैडरेशन ऑफ न्यूज पेपर इम्प्लाइज (NFNE) के जीवन के अंतिम समय तक डॉ. के विक्रम राव सदस्य व संरक्षक रहे।

सांगठनिक कौशल के धनी डॉ. राव ने भारतीय श्रमजीवी पत्रकार फेडरेशन के बारहवें राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पुन: निर्वाचित होकर पत्रकारों का भरोसा खुद पर बनाए रखा था। इसके अलावा पत्रकारों के कोलम्बो सम्मेलन एशियाई पत्रकार यूनियनों के परिसंघ में डॉ. के विक्रम राव को अध्यक्ष चुना गया था। डॉ. के विक्रम राव के आकस्मिक निधन से मीडिया ट्रेड यूनियन के एक युग का अंत माना जा सकता है।
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