नेपाली मजदूर की पत्नी के शव का अंतिम संस्कार कर सतीश पांडेय ने पुण्य की पुस्तक में जोड़ा परोपकार का एक और पन्ना

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रानीखेत: जबसे समाजसेवी सतीश पांडेय ने लावारिश शवों के अंतिम संस्कार का बीड़ा उठाया है क्षेत्र में लावारिश शवों को चिता मिलने लगी है। दशकों से सतीश पांडेय यह सद्कार्य करते आ रहे हैं। एक बार फिर एक गरीब नेपाली मजदूर की पत्नी की अन्त्येष्टि कराकर सतीश पांडेय ने पुण्य की पुस्तक में अपने परोपकार का एक पन्ना और जोड़ लिया है।
कई बार अपने सद्कर्म से मीडिया की सुर्खियां बन चुके सतीश पांडेय असहाय,निर्धन व लावारिश शवों के अंतिम संस्कार या उन्हें दफनाने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अपने कामकाजी जीवन में अधिकतर वक्त वह सेवा को देते हैं। उनकी जन सेवा समिति संस्था बीते सालों में कई लावारिस, गरीब व दूर दराज के मृतकों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। इसमें जिस धर्म का मृतक होता है। उसी के अनुसार अंतिम क्रिया कर दी जाती है। हिन्दू होने पर दाह संस्कार एवं मुस्लिम होने पर दफनाया जाता है।
इस बार रानीखेत में मेहनत मजदूरी कर परिवार पालने वाले नेपाली श्रमिक कालू खड़का के‌ लिए सतीश मसीहा बनकर सामने आए।कालू खड़का की पत्नी कीधि खड़का( ४५)पिछले कुछ समय से गम्भीर बीमार थी।यहां एक निजि अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था। कालू खड़का पत्नी के इलाज़ में जीवनभर की कमाई करीब एक लाख रुपए खर्च कर चुका था लेकिन पत्नी ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया।कालू के पास पत्नी के अंतिम संस्कार के लिए भी पैसा नहीं बचा।ऐसे में समाज सेवी सतीश पांडेय ने अपनी टीम के साथ यहां मुक्तिधाम में कीधि खड़का का हिन्दू रीति -रिवाज से दाह संस्कार सम्पन्न कराया। वाह संस्कार का पूरा खर्च पू्र्व की तरह सतीश पांडेय ने उठाया।

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