रानीखेत का ‘जीवन’जो रंगों की तलहटी में जाकर सपनों में भर देता है रंग
उत्तराखंड की धरा ने कला की कल्पना में कमनीयता लाने वाले ऐसे कई कलाकार दिए हैं जिन्होंने अपने सृजन से कला की दुनिया में ख्याति अर्जित की है।जीवन चन्द्र तिवारी एक ऐसे ही युवा चित्रकार हैं जिनकी कला प्रतिभा को उत्तराखंड की दिगंतव्यापी प्राकृतिक शोभा ने विकसित करने में काफी हद तक सहायता की है।कला के प्रति उनके नैसर्गिक रूझान ने उन्हें कला की शिक्षा लेने के लिए प्रेरित किया और एक कलाकार बना दिया। कला शिक्षा से पहले उन्हें घर के खांटी पारम्परिक, एवं सांस्कारिक माहौल में लोक परम्परा की कला सीखने का अवसर मिला और फिर इस चित्रकार ने प्रकृति, मानव अनुभूतियों और भावनाओं से प्रेरणा लेकर अपनी कला को समृद्ध किया।
वर्ष 2013 में कुमाऊं विश्वविद्यालय एस एस जे परिसर अल्मोड़ा के डिपार्टमेंट आॅफ फाइन आर्ट एंड डिजाइन से ‘बैचलर आॅफ फाइन आर्टस्(पेंटिंग)और उसके बाद कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट आॅफ फाइन आर्ट इन ग्राफिक्स से ‘मास्टर आॅफ फाइन आर्ट इन ग्राफिक्स’ कर चुके जीवन चन्द्र तिवारी के मामा रानीखेत निवासी आशुतोष पांडेय पेशे से शिक्षक हैं जिनका मार्ग दर्शन बचपन से ही जीवन के साथ कदमताल करता रहा है। आशुतोष कहते हैं कि ‘जीवन की पेंटिंग्स में भावनात्मक अनुभूतियों का समावेश मिलता है।उनकी कई पेंटिंग्स उनकी भावनाओं को परिलक्षित करती दिखती हैं।बचपन से ही जीवन जो महसूस करते थे उसे कूंची के माध्यम से सहजता से कैनवस पर उतार देते थे। कल्पना और अनुभूति के आधार पर तैयार उनकी पेंटिंग्स सजीव बन जाती हैं यही शायद उनकी कला के अद्वितीय और अनुपम होने का कारण भी है।’
दो साल पहलेअप्रैल माह में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट आॅफ फाइन आर्टस् में ‘साइलेंट वाॅइस’ शीर्षक से लगी जीवन चन्द्र तिवारी की ग्राफिक प्रिंट की सोलो प्रदर्शनी ने कला प्रेमियों की आंखों को बरबस अपनी ओर खींचा और कला के पारखी तो इन कृतियों को अपलक निहारते ही रह गए।
इस प्रदर्शनी में इंचिंग और इंबोस प्रिंट ‘न्यू स्टार्ट’ ’वाय आई एम बोर्न ?’डिजिटल प्रिंट में तैयार ’हंगरी‘ और पोर्टेट ’वुडकट‘ और इंचिंग और हैंडकलर से तैयार प्रिंट ‘आफ्टर हार्डवर्क’ ने कला प्रेमियों की सराहना अर्जित की।विगत छह-सात साल से यह युवा कलाकार विभिन्न कला सेमिनारों और कला दीर्घाओं में उपस्थिति दर्ज करता आ रहा है और इस भागीदारी ने उसकी कला को और पुष्ट किया है।जीवन ने 2009-10 में अल्मोड़ा में आयोजित प्रिंट में किंग प्रदर्शनी में भाग लिया और फिर2011 में द्वितीय नोर्थईस्ट यूथ फेस्टिवल में शिरकत की।2011 में ही इस उभरते कलाकार ने बरेली में आयोजित 12वीं आर्ट प्रदर्शनी, अल्मोड़ा एस एस जे परिसर में नेशनल आर्ट सेमिनार‘कला-कल आज और कल’और नेशनल यूथ फेस्ट में हिस्सा लिया, 2012 में आइफा नेशनल आर्ट वर्कशाप उत्तराखंड, बरेली में आयोजित चित्रकार संघ कार्यक्रम में भाग लिया और 2013 में अल्मोड़ा कैम्पस में आयोजित उत्तराखंडी संस्कृति आधारित पेंटिंग प्रदर्शनी में शिरकत की। इसी साल उन्होंने केमलिन आर्ट प्रदर्शनी में भी भागीदारी की।
लोकजीवन के भावनात्मक क्रियाकलापों को कैनवस पर सफलता से उतारने की अभूतपूर्व क्षमता ने इस युवा कलाकार को कई सम्मान का पात्र बनाया।ग्रीस में सेकेण्ड बियाननाले आॅफ ग्रीक एंड इंडियन स्टूडेंट2015, अमृतसर में 2014 में आयोजित 80वीं अखिल भारतीय ललित कला प्रदर्शनी में स्पेशल रिकमोंडेड अवार्ड, 2014 में ही बरेली कालेज ललितकला विभाग द्वारा आयोजितयूथ पेंटिंग वर्कशाॅप में प्रथम अवार्ड, और2013 में उत्तराखंड राज्यपाल द्वारा आयोजित स्पाॅट पेंटिंग प्रतियोगिता में द्वितीय अवार्ड जीवन की अथक कला साधना का ही प्रतिफल है।
आज भी जीवन जो अब पेशे से शिक्षक हो चुके है कला साधना में रत हैं।जीवन की कृतियों में आत्मिक मनोभावनाओं का चित्रण मिलता है। उनकी कृतियां समाज की जीवंतता को प्रदर्शित करती हैं।लोकजीवन उनके कला कर्म का प्रिय विषय रहा है और यही उनके कलाकर्म का सहचर एवं पथप्रदर्शक है। सच तो यह है कि कला के रंग जब कूंची से बतियाते हुए कल्पना को उकसाते हैं तभी कोई आकृति सृजन के रूप में उभरती है। जीवन के साथ भी बार- बार यही होता है।हर कलाकार अपने में अद्वितीय होता है इसमें संदेह नहीं, फिर जीवन चन्द्र तो ऐसा कलाकार है जो रंगों की तलहटी में जाकर सपनों को रंग देता है।