लावारिश लाशों का मसीहा..आज त्यौहार के दिन भी नहीं रुका, अन्त्येष्टि करने में दिखा मशगूल, कहा-‘यही सबसे बड़ी पूजा’

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रानीखेत: लावारिस, बेसहारा और गरीबों के लिए अहर्निश सेवा के लिए तत्पर रहने वाले समाजसेवी सतीश चंद्र पांडेय ने एक बार‌ फिर‌ ‘मानवता सर्वोपरि’ का उदाहरण पेश किया है। आज जब समूचा हिंदू समाज राम नवमी का पर्व मना रहा था सतीश चंद्र पांडेय मुक्ति धाम में एक बेहद गरीब बेसहारा का अन्त्येष्टि संस्कार कर‌ पुण्य के खाते में अपना सुकर्म अंकित करवा रहे थे।

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जन सेवा समिति रानीखेत के अध्यक्ष सतीश चंद्र पांडेय अब तक सैकड़ों गरीब बेसहारा जनों की अन्त्येष्टि क्रिया कर चुके हैं। ऐसा करना वह अपना धर्म समझते हैं। इसलिए जब भी उन्हें किसी लावारिस,गरीब, बेसहारा की मृत्यु की खबर मिलती है वे न कडा़के की ठंड, हिमपात देखते हैं न मूसलाधार बारिश,न अपने कोई तीज त्यौहार देखते हैं न महत्वपूर्ण घरेलू कार्य..। बस्स..निकल पड़ते हैं अपने एक मात्र पुण्य कारज पर। बेसहारा शवों की चिता सजाने,उनकी अंतिम यात्रा का सामान जुटाने,उनकी चिंता को दाह‌ देने।

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आज जब चौखुटिया गोलज्यू मंदिर में सेवा कार्य करने वाले 62 वर्षीय अत्यंत निर्धन कुमार स्वामी की‌ आकस्मिक मृत्यु की खबर मिली, सतीश चंद्र पांडेय सीधे राजकीय चिकित्सालय रानीखेत पहुंच गए ।शव के अन्त्य परीक्षण के बाद‌ सुपुर्दगी लेकर अपनी टीम के साथ उन्होंने स्वयं के खर्च से कुमार स्वामी के शव की अन्त्येष्टि क्रिया सम्पन्न की।पहले भी उन्हें कई दफा त्योहारों में लावारिस शवों की अन्त्येष्टि क्रिया करते देखा गया है।आज जब उनसे इस बावत‌ पूछा तो एक ही‌ वाक्य में जीवन का सार दे गए”उनके लिए यही सबसे बड़ी पूजा है,और मुक्ति धाम ..मंदिर।’

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