देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान 2021’ उत्तराखंड के चंद्र मोहन पपनैं को प्रदान किया जायेगा
रानीखेत, 25 नवम्बर। अंग मदद फाउन्डेशन भागलपुर (बिहार) के स्वाधीनता सेनानी शुभकरण चूड़ीवाला की याद मे, प्रतिवर्ष देश का विशिष्ट ‘तिलका मांझी राष्ट्रीय सम्मान’ विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ कार्य कर रहे, प्रतिष्ठित लोगों को प्रदान किया जाता है। इस वर्ष, 2021 का यह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान, उत्तराखंडी कला और संस्कृति के संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र में, विगत पांच दशकों से क्रमश: कार्य कर रहे रानीखेत (अल्मोड़ा) के मूल निवासी, वर्तमान, दिल्ली में प्रवासरत चंद्र मोहन पपनैं को, 28 नवम्बर 2021 को एक भव्य समारोह के आयोजन, गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली में प्रदान किया जायेगा।
चंद्र मोहन पपनैं द्वारा, जीवन पर्यंत उत्तराखंड की लोककला, लोक संस्कृति, बोली-भाषा व पर्यावरण के संरक्षण व संवर्धन के क्षेत्र मे अतुलनीय कार्य किया गया है। एक दर्जन से अधिक उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। उक्त विषयों पर आधारित दर्जनों लेख इत्यादि राष्ट्रीय पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। देश के अनेक प्रतिष्ठित टीवी चैनल्स में उत्तराखंड के ज्वलंत विषयों पर समय-समय पर चर्चा करते रहते हैं। उत्तराखंड की लोकसंस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद, भारत सरकार के सौजन्य से, उत्तराखंड की सु-विख्यात सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला केन्द्र दिल्ली के दल के साथ, विश्व के अनेक देशों का दौरा कर चुके हैं। वर्तमान मे पर्वतीय कला केन्द्र, दिल्ली के अध्यक्ष पद पर व मीडिया वेतन आयोग से जुडी फैडरेशन एनएफएनई के राष्ट्रीय महासचिव पद पर पदस्थ हैं।
देश का यह विशिष्ट राष्ट्रीय सम्मान भारत के आदिवासी समुदायों की सेवा, स्वास्थ्य, कृषि, पर्यावरण, लोककला तथा लोकसंस्कृति के संरक्षण व संवर्धन आदि उत्थान कार्यो में नि:स्वार्थ भाव, लम्बे समय से संलग्न संस्था अथवा व्यक्ति को, निष्पक्ष चयनकर्ताओ की एक सर्वाधिकार सम्पन्न चयन समिति के निर्णय के आधार पर प्रदान किया जाता है। देश के ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ पत्रकार शिवकुमार मिश्रा वर्तमान में इस ख्याति प्राप्त राष्ट्रीय सम्मान चयन समिति के अध्यक्ष हैं। चयन समिति के अन्य सदस्यों मे, अंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रसून लतांत, पत्रकार अरुण मिश्र, समाज सेविका वंदना झा, प्रख्यात अधिवक्ता और लेखक राजेश तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार कुमार कृष्णन और लेखिका और समाज सेविका हेमलता म्हस्के जूरी सदस्य रहे हैं।
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