जिस दिन सरकार दृढ़ इच्छाशक्ति से जांच के आदेश करेगी, उद्यान में हो रहे सभी घोटाले सामने आ जायेंगे – दीपक करगेती
रानीखेत: सामाजिक कार्यकर्ता दीपक करगेती ने आरोप लगाया है कि निदेशक उद्यान द्वारा वित्तीय बर्ष 2021-22 में करोड़ों रुपए की फल पौध व अन्य निवेशों की खरीद हेतु मनमाने ढंग से नियमों को ताक पर रख कर विभागीय कमेटी का गठन किया गया जिसमें विभाग के कनिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रखा गया साथ ही कृषि विज्ञान केन्द्र एवं वानिकी विश्वविद्यालय रानीचौरी टिहरी प्रतिनिधियों को बिना विश्वविद्यालय कुलपति एवं डीन के संज्ञान में लाये अपने स्तर से ही रखा गया जिससे उनपर दबाव बना कर फल पौधों एवं निवेशों की ऊंची दरों का निर्धारण एवं चहेती फर्मों का चयन कराया जा सके।
कमेटी के गठन में कई अनियमिताएं की गई-
निदेशालय में वरिष्ठ अधिकारियों को दर किनार कर कनिष्ठ अधिकारी ,कर्मचारियों को क्रय समिति में रखा गया । जिस उद्यान निदेशालय में दो अपर निदेशक, तीन संयुक्त निदेशक ,मुख्य लेखा अधिकारी , लेखा अधिकारी ,वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी एवं प्रशासनिक अधिकारियों के होते हुए निदेशक उद्यान द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-22 करोड़ों रुपए की खरीद हेतु गठित क्रय समिति में कनिष्ठ अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रखा गया उससे उनकी नीयत का साफ पता चलता है ।
कमेटी के गठन में बिना विश्वविद्यालय के कुलपति के संज्ञान में लाये कृषि विज्ञान केन्द्र एवं वानिकी विश्वविद्यालय रानीचौरी टिहरी के प्रतिनिधियों को रखा गया नियमत: कुलपति द्वारा नामित प्रतिनिधि होने चाहिए थे।
कमेटी गठन हेतु कार्यालय ज्ञाप में कई बार शंसोधन किया गया। मूल कार्यालय ज्ञाप पत्रांक 2334/ दिनांक 26 नवम्बर 2021 द्वारा किया गया जिसमें केवल NHB से मान्यता प्राप्त पौधालयों की दरें आमंत्रित की गई।
मूल विज्ञप्ति में पत्रांक 2439 / दिनांक 1 दिसंबर 2021 के द्वारा आंशिक संशोधन कर NHB के साथ ही राज्य सरकार से लाइसेंस प्राप्त नर्सरियों को भी प्रतिभाग करने की अनुमति दी गई।
पुनः पत्रांक 2684/ दिनांक- 16 दिसम्बर 2021द्वारा इस कमेटी में डा० अमोल वशिष्ठ Associate Professor वानिकी विश्वविद्यालय रानीचौरी टिहरी गढ़वाल को भी सम्मिलित किया गया है।
करगेती ने कहा कि कश्मीर व हिमाचल की चुनिंदा नर्सरियों का ही सूचिबद्ध होना तथा उत्तराखंड राज्य की किसी भी नर्सरी की सूचिबद्ध न होना सवाल खड़े करता है।
उद्यान निदेशक का यह कहना कि विभागीय कमेटी ने फल पौध की दरें तय की हैं जिन्हें उन्होंने केवल अनुमोदित किया है हास्यास्पद एवं भ्रामक है। निदेशक द्वारा मनमाने ढंग से गठित विभागीय कमेटी ही सवालों के घेरे में है जिसने फलपौध की दरें व फर्मों को सूचिबद्ध कर अनुमोदन हेतु प्रस्ताव भेजा है।
निदेशक द्वारा दावा किया जा रहा है कि राज्य में पहली बार विभाग ने किसानों को छूट दी है कि वे विभाग द्वारा इम्पेनल्ड कंपनियों, संस्थानों व नर्सरियों से पौधे खरीदने पर उन्हें छूट दी जा रही है। जबकि वास्तविकता यह है कि निदेशालय के पत्रांक 3932/उ त दिनांक फरवरी 02/2022 द्वारा सूरत सिंह एवं सुगम नर्सरी हिमाचल प्रदेश तथा जावेद नर्सरी कश्मीर से फल पौध उठाने के स्पष्ट निर्देश निदेशक द्वारा संम्बन्धति मुख्य उद्यान अधिकारियों को दिए गए हैं । जिसके अनुपालन में संम्बन्धित द्वारा फल पौध उपरोक्त नर्सरियों से क्रय कर
अधिकतर पौधों का वितरण निशुल्क फल पौध वितरण योजना/जिला योजना/मुख्यमंत्री पलायन फल पौध योजनाओं में निशुल्क किया गया है तथा बिलों का भुगतान सीधे फर्मों को किया गया है।
उच्च गुणवत्ता की कीवी पौध की बात निदेशक द्वारा की गयी है जबकि वास्तविकता यह है कि जनपदों में वित्तीय वर्ष 2021-22 में लगी कीवी की पौधों में प्रथम बर्ष में ही जीविता प्रतिशत 20 से 50 प्रतिशत ही है अधिकांश कृषकों का कहना है कि बिना विचार विमर्श के हमें निशुल्क कीवी के 3-5 पौधे उपलब्ध कराये गये है । पिथौरागढ़ जनपद में तो जीविता प्रतिशत कम होने पर रिपोर्ट बढ़ा कर भेजने का दबाव निदेशालय द्वारा डाला गया जिसकी शिकायत भी करगेती द्वारा साक्ष्यों के साथ कृषि एवं उद्यान सचिव उपलब्ध कराई गई लेकिन शपथ पत्र लेने के बाद भी सरकार जांच कराने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है।
शासनादेश संख्या 535/x।।।-2/2021दिनांक 17 मई 2021के अनुसार कृषि एवं कृषक कल्याण विभाग की कृषकों को देय अनुदान आधारित योजनाओं का भुगतान डी वी टी के द्वारा देने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही आपूर्ति होने वाली सामग्री की गोविंद वल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर के माध्यम से सामग्री/ स्टाक की Sample Testing अनिवार्य रूप से की जाय।
सामाजिक कार्यकर्ता श्री दीपक करगेती ने पूर्व में ही कीवी के पौधे महंगी दरों पर हिमाचल की व्यक्तिगत पंजीकृत नर्सरी से क्रय कर भारी अनियमितता करते हुए राजकीय धनराशि का गबन के आरोप उद्यान निदेशक पर लगाये है।
शपथ पत्र में करगेती द्वारा इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, कृषि एवं उद्यान मन्त्री, मुख्य सचिव, सचिव उद्यान एवं सतर्कता विभाग को की गई है।
निदेशक उद्यान के संरक्षण में संगठित भ्रष्टाचार का मामला प्रतीत होता है करोड़ों रुपए की फल पौध खरीद की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।