उत्तराखंड में भारी बारिश से जनजीवन बेहाल

ख़बर शेयर करें -


डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पिछले कुछ सालों से उत्तराखंड  में अतिवृष्टि बढ़ गई है। जिसके कारण भूस्खलन, और कई प्रकार की जान माल की हानि हो रही है उत्तराखंड में एक बार फिर मौसम ने करवट बदली है।  बीती रात से हो रही लगातार बरसात के कारण देहरादून सहित कई जगह का जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त है।देहरादून में देर रात से बारिश का दौर जारी है। देहरादून जिले के रायपुर ब्लाक में सरखेत गांव में शनिवार की तड़के बादल भी फट गया। उत्तराखंड के पहाड़ों पर भारी बारिश का प्रकोप जारी है। कई स्थानों पर भारी बारिश के कारण जलभराव और सड़कों का कटाव देखने को मिला है। पहाड़ी सड़कों के कटाव से कई इलाके मुख्य शहर से कट गए हैं। बारिश और बादल फटने की घटना लगातार सामने आ रही है। पहाड़ों पर घूमने जाने से शौकीनों को इस समय में इस तरफ की यात्रा से बचने की सलाह दी जा रही है। भारी बारिश के बीच देहरादून के मालदेवता क्षेत्र में बादल फटने का मामला सामने आया है। वहीं, मसूरी में भारी बारिश के कारण जलजमाव होने की खबर सामने आ रही है। प्रदेश में कई स्थानों पर पुल-पुलिया के क्षतिग्रस्त होने का भी मामला सामने आ रहा है।देहरादून के मालदेवता में शुक्रवार की देर रात बादल फटने से भारी तबाही मचने की सूचना आ रही है। बादल फटने के कारण भारी तबाही की सूचना है। भारी बारिश से आवागमन पूरी तरह से ठप हो गया है। मालदेवता के एक रिसॉर्ट में पानी के साथ मलवा भी प्रवेश कर गया है। इससे वहां पर खड़ी गाड़ियों को भारी नुकसान पहुंचा है। रिसॉर्ट के बाहर खड़ी गाड़ियां पानी के साथ आए मलबे से क्षतिग्रस्त हो गई हैं। शुक्रवार रात से शुरू हुई बारिश की चपेट में पूरा प्रदेश आ गया है। भारी बारिश से प्रदेश से बहने वाली नदियां और गदेरे उफान पर हैं। सड़कों पर बारिश के पानी के साथ आए मलबे के कारण यातायात भी बाधित हो गया है।ऋषिकेश के चंद्रभागा नदी में भारी बारिश के बाद उफान देखा जा रहा है। बारिश के बाद लगातार बढ़े नदी के जलस्तर की चपेट में किनारे बनी दर्जनों झोपड़ियां आ गई। नदी की तेज धार में ये झोपड़ियां बह गई। हालांकि, इसमें जान-माल के नुकसान की अब तक सूचना नहीं आई है। रात को अचानक तेज हुई बारिश के बाद नदी का जलस्तर तेज होने लगा। बहाव भी तेज हुई। नदी के बढ़ते जलस्तर का देखते हुए तत्काल लोगों ने झोपड़ियों को छोड़ दिया। अपनी जान बचाई। हालांकि, बारिश के पानी के साथ झोपड़ियों के साथ-साथ उनका सारा सामान बह गया। लगातार तेज बारिश ने लोगों को दहशत से भर दिया है।बागेश्वर के आरे और दारसो गांव के पास शनिवार की सुबह पहाड़ टूटने का मामला सामने आया है। भारी बारिश के कारण पहाड़ दड़क गई। काभरी धार से पहाड़ के टूटने से मलवा नीचे तक आ गया। इस कारण बागेश्वर मुख्यालय से कपकोट और दुग नाकुरी पट्‌टी को जाड़ने वाली सड़क क्षतिग्रस्त हो गई है। गाड़ियों का आवागमन इस रोड पर पूरी तरह से बंद हो गया है। स्थानीय लोगों ने मोबाइल पर पहाड़ टूटने का वीडियो बनाया है। यह भारी बारिश के साइड इफेक्ट को दिखाता है। पहाड़ टूटने के कारण कपकोट विधानसभा क्षेत्र मुख्य शहर से कट गया है। प्रशासन के सामने इस क्षेत्र में मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति बड़ी चुनौती बन गई है।मसूरी में एक बार फिर लैंडस्लाइड हुई है। मसूरी-देहरादून रोड पर गलोगी पावर हाउस के पास एक बार फिर भारी बारिश के बाद लैंडस्लाइड का मामला सामने आया है। लैंडस्लाइड के बाद रास्ता बंद हो गया है। इस कारण वहां वाहनों की लंबी कतार लग गई है। पीडब्लूडी की ओर से जेसीबी के माध्यम से सडक पर आए मलवे को हटाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन, तेज बारिश होने की वजह से विभाग के कर्मचारियों को रास्ते को सुचारू करने में भारी दिक्कतें सामने आ रही है। इस स्थान पर वर्ष 2018 से लैंडस्लाइड हो रही है। इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है।बादल फटने के कारण नदी एवं कुवा खाला में पानी आने से ग्राम सरखेत में मकानों का बुरा हाल है। लोगों के घरों में पानी भरा हुआ है। शहर में टपकेश्वर महादेव मंदिर क्षेत्र में लगातार बारिश के बाद तमसा नदी पूरे उफान पर है। मंदिर के भीतर पानी घुस गया है। टपकेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी ने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि कोई जान-माल का नुकसान न होने पाए। नदी पर बना पुराना पुल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है।  भारी बारिश से  सोंग, जाखन और सुसवा नदियां अपने पूरे उफान पर हैं। नदी किनारे रहने वालों को दूसरे स्थान पर भेजने के लिए प्रशासन प्रयासरत है। वहीं राजीव नगर केशव पुरी सॉन्ग नदी से पानी आबादी तक पहुंच गया है। हालांकि अभी कोई नुकसान की सूचना नहीं मिली है। सुसवा नदी के तेज बहाव से कटाव भी जारी है।। अधिकारियों के अनुसार प्रभावित गांवों में मालदेवता, भुत्सी, तौलियाकताल, थाट्युद, लावरखा, रिंगालगढ़, धुट्टू, रागद गांव और सरखेत शामिल हैं। उप-मंडल मजिस्ट्रेट, धनोल्टी, ने कहा कि प्रभावित निवासियों को स्कूलों और पंचायत भवनों में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि रायपुर-कुमालदा मोटर मार्ग कई स्थानों पर मलबे के कारण अवरुद्ध हो गया है।इस वक्त देवभूमि उत्तराखंड में आसमान से जहां कई इलाकों में आफत बरस रही है। वहीं मौसम और बारिश के लिहाज से अब तक की बारिश को विभाग बेहतर हालत तक मान रहा है। लेकिन पहाड से मैदान तक आसमानी आफत ने कहर बरपाया है। नदियां उफान पर हैं। मौसम की मार से जनजीवन बेहाल हो गया है। आने वाले दिनों में हालात और भी बत्तर हो सकते हैं। बादल फटने की घटना एक प्राकृतिक घटना है। वर्तमान में प्रकृति के अत्यधिक दोहन या प्राकृतिक असंतुलन के कारण यह घटना अधिक हो गई है। इस घटना को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इसे कम किया जा सकता है। और इसके नुकसान को भी रोका या कम किया जा सकता हैं प्राकृतिक आपदाओं से बचने का और प्राकृतिक संतुलन को बनाने का सबसे महत्वपूर्ण , रामबाण उपाय है  वृक्षारोपण । यदि जहां वन अधिक होंगे वहाँ प्रकृतिक आपदाएं कम होंगी  । और बादल फटने से बचने का एक ही उपाय है  आजकल उत्तराखंड का ही नही पूरे संसार का तापमान असन्तुलित हो गया है। और इसी तापमान असंतुलन की वजह से चमोली आपदा, चमोली में ग्लेशियर फटने की घटना हुई थी। और इसी तापमान असन्तुलन की वजह से बादल फटने जैसी घटनाएं घटित होती है।तापमान असंतुलन से उत्तराखंड की घाटियों में तापमान अधिक रहता है, जिसके कारण मेघ द्रवित होकर सारे एक स्थान पर बरस जाते हैं। और पेड़ ना होने के कारण , बादल फटने के साथ बाढ़ भी आती है।और भू स्खलन भी बढ़ जाता है।
लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।