सीएम धामी ने रानीखेत आकर गंवा दी विधायकी, तो रानीखेत को मिला सरकार वाला विधायक..कुछ मिथक टूटे तो कुछ रहे बरकरार
इस बार विधान सभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद जहां कुछ मिथक दरक गए तो कुछ मिथक पूर्व की भांति कायम रहे।रानीखेत विधान सभा को लेकर एक मिथक यह चला आ रहा था कि यहां से जीता विधायक विपक्ष में बैठता है लेकिन इस बार यह मिथक टूट गया।आइए जानते हैं कौन से मिथक टूटे और कौन रहे बरकरार।
उत्तराखंड राज्य निर्माण के बाद मिथक रहा है कि एक ही पार्टी की दो बार लगातार सरकार नहीं बनती लेकिन भाजपा ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज कर इस मिथक को ध्वस्त कर दिया।इसी तरह रानीखेत से विजयी विधायक की सरकार न बनने का मिथक भी कायम था जो इस बार टूट गया और भाजपा विधायक ने यहां से जीत दर्ज की और भाजपा ही बहुमत से सरकार बनाने जा रही है। मिथक यह भी रहा है कि राज्य का शिक्षा और पेयजल मंत्री कभी चुनाव नहीं जीतता लेकिन अरविंद पांडे और बिशन सिंह चुफाल ने जीत दर्ज कर इस मिथक को भी धता बधा दिया।
कुछ मिथक ऐसे हैं जो इस बार कायम रहे।मसलन एक मिथक रहा है कि जो मुख्यमंत्री पद पर रहते चुनाव लडा़ वह नहीं जीता,पुष्कर सिंह धामी ने इस मिथक परम्परा को बनाए रखा।यह भी माना जाता है कि जो मुख्यमंत्री रानीखेत आता है उसकी कुर्सी नहीं रहती,मुख्यमंत्री बीते 6 फरवरी 2022 को पार्टी प्रत्याशी के प्रचार में रानीखेत कुछ समय के लिए आए और आज कुर्सी चली गई।पूर्व में कई मुख्यमंत्री ऐसे ही कुर्सी गंवा चुके हैं। रानीखेत से किसी के दो बार लगातार विधायक न रहने का मिथक भी कायम रहा जो राज्य बनने के बाद से चला आ रहा है।एक मिथक है रामनगर से विजयी प्रत्याशी की सरकार बनती है ये मिथक भी कायम है।गंगोत्री से जो जीतता है उसकी सरकार बनती है यह मिथक भी इस बार कायम रहा वहां से भाजपा के सुरेश चौहान ने जीत दर्ज की।