..तो क्या कल टूटेगा मिथक या रहेगा बरकरार.परिणाम की व्यग्र प्रतीक्षा पर सूरज चढ़ने के साथ लग जाएगा विराम

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रानीखेत: विधान सभा चुनाव 2022 की मतगणना में बस चंद घंटे शेष हैं।प्रत्याशियों की आज रात की बेचैनी भरी नींद करवटों के सहारे गुजरेगी। प्रत्याशियों के समर्थकों की धड़कनें भी पल-पल गुजरने के साथ बढ़ रही हैं। विशेषकर रानीखेत की सीट पर सबकी नजर है जो राज्य गठन के बाद 2017 को छोड़ बेहद कम अंतर से जीत -हार का फैसला करती रही है।वहीं इस सीट के साथ चिपके मिथक ने भी इस सीट पर राजनीति से लगाव रखने वालों की दिलचस्पी बढा़ दी है। फिलहाल कल क्या होगा? ये अभी सील जडे़ ताले में बंद है।

क्या रानीखेत का मिथक इस बार टूटेगा? या फिर बरकरार रहेगा इस पर आज दिनभर नुक्कड़-चौराहों दुकानों पर चर्चा जारी रही।साथ ही जीत-हार के दावे प्रतिदावे भी चलते रहे। कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों के समर्थक यूं तो 14 फरवरी की शाम से ही अपने प्रत्याशियों की जीत का दम भरते आए हैं लेकिन मतगणना का समय निकट आते-आते जीत -हार का जो अंतर पहले हजारों में था अब बेहद मामूली आकड़ें पर सिमट आया है।दोनों दलों के समर्थक अब अपनी जीत को लेकर न केवल संयमित है अपितु सशंकित भी। विभिन्न एक्जिट पोल ने भी कार्यकर्ताओं का खून सुखा कर रखा है ऊपर से रानीखेत विधान सभा की पीठ पर बैठा ‘मिथक’ का बेताल…।

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रानीखेत सीट के मिथक को कभी भी कांग्रेस और बीजेपी हलके में नहीं लेती है। इस सीट को लेकर कहा जाता है कि जो यहां हारता है उसकी सरकार बनती है. इस सीट से साल 2002 चुनाव में भाजपा के अजय भट्ट 10199 वोटों के साथ जीते और 7897 वोटों के साथ कांग्रेस के पूरन सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे. तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी थी. साल 2007 की बात करें तो कांग्रेस के करन माहरा जीते थे, उन्हें 13503 वोट पड़े थे. जबकि भाजपा के अजय भट्ट 13298 वोट पाकर हार गए थे. लेकिन सूबे में बीजेपी की सरकार बनी।

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साल 2012 में भाजपा के प्रत्याशी अजय भट्ट इस सीट से जीते थे और उन्हें 14089 मत पड़े थे. जबकि 14011 वोटों के साथ कांग्रेस के करन माहरा दूसरे नंबर पर रहे थे. भाजपा प्रत्याशी के जीतने के बाद भी सूबे में कांग्रेस की सरकार बनी थी. साल 2017 में कांग्रेस के करन माहरा 19035 वोटों के साथ जीते, जबकि भाजपा के अजय भट्ट यहां 14054 वोट हासिल कर हार गए थे लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी।इस बार क्या होगा उसके लिए बस आज की रात गुजार कल सुबह का इंतजार कीजिए कि कल का सूरज किसका होगा।

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