सीएम धामी के समक्ष पर्यावरण विशेषज्ञों ने की चीड़ के वृक्षों के दोहन की वकालत,बांज के जंगलों के विस्तार पर बल
देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बोधिसत्व विचार श्रृंखला के तहत ‘बिन पानी सब सून’ संगोष्ठी में कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रदेश में कुल 1275 अमृत सरोवर तैयार किये जाएंगे। प्रदेश में बांज के जंगलों के विस्तार, बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने तथा चीड़ के प्रबंधन पर ध्यान दिया जाएगा।
संगोष्ठी में पर्यावरण व जल प्रबंध से जुड़े विशेषज्ञों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से होम स्टे योजना के तहत पहाड़ी शैली के भवन बनाने में चीड़ के पेड़ों के दोहन की वकालत की। उनका कहना था कि जल संरक्षण के लिए बांज और चौड़ी पत्ती के पौधों को ज्यादा से ज्यादा रोपा जाना चाहिए।
संगोष्ठी के दौरान मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि विशेषज्ञों की सुझावों का लाभ लेने के लिए राज्य स्तर पर एक फोरम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि जल के महत्व पर आधारित इस मंथन से निकलने वाला अमृत राज्य की नदियों का जल स्तर बढ़ाने के प्रयासों को फलीभूत करने वाला होगा।
आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में प्रदेश में कुल 1275 अमृत सरोवर तैयार किये जाएंगे। प्रदेश में बांज के जंगलों के विस्तार, बंजर जमीन को उपजाऊ बनाने तथा चीड़ के प्रबंधन पर ध्यान दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि बेहतर प्रबंधन से ही हम जल का संरक्षण कर पाएंगे तथा नदियों के जल स्तर को बढ़ाने में भी सफल होंगे। पद्म श्री कल्याण सिंह रावत ने बंजर खेतों को आबाद करने तथा बुग्यालों को बचाने की दिशा में भी पहल करने का सुझाव दिया। इस अवसर पर भूपेन्द्र बसेड़ा ने पानी के महत्व को दर्शाने वाली कैच द वाटर- कैच द रेन गीत प्रस्तुत किये।पानी राखो आंदोलन के प्रणेता डॉ. सच्चिदानंद भारती ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में जल तलैया बनाने तथा धारे नालो के पुनर्जीवीकरण के लिये सरल व टिकाऊ तकनीक पर ध्यान दिया जाए, उनका कहना था कि धारे बचेंगे तो नदियां भी बचेंगी।पर्यावरणविद राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने सुझाव दिया कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग, पानी के स्त्रोतों का चिन्हीकरण तथा जल संरक्षण के लिये ग्राम पंचायतों को जिम्मेदारी दी जाए।
मुख्यमंत्री आवास स्थित मुख्य सेवक सदन में आयोजित इस संगोष्ठी में अपने विचार और सुझाव के साथ हेस्को के डॉ. विनोद खाती इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ वाटर मैनेजमेंट भुवनेश्वर के डॉ. अशोक नायक, रिमोट सेंसिंग के डॉ प्रवीन, सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड के निदेशक डॉ. प्रशांत राय समेत कई अन्य विशेषज्ञ उपस्थित थे।