आम आदमी के हक पर पहरा देने वाली पत्रकारिता आज कारपोरेट घराने की मुट्ठी में
रानीखेतः प्रचार विभाग राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ रानीखेत द्वारा देवर्षि नारद जयंती पखवाड़ा के उपलक्ष्य में पत्रकार सम्मान समारोह एवं मौजूदा पत्रकारिता की दशा-दिशा पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ देवर्षि नारद एवं भारत माता के चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया । कार्यक्रम की शुरूआत में जिला प्रचार प्रमुख निकेत जोशी तथा वरिष्ठ पत्रकार राजेंद्र सिंह बिष्ट ने देवर्षि नारद को सृष्टि का पहला पत्रकार बताते हुए उनका जीवन परिचय कराते हुए उनकी विशेषताओं से अवगत कराया। एचएनएन/ ईटीवी भारत के पत्रकार संजय जोशी ने पत्रकारिता की विधिक पहलुओं की जानकारी देते हुए आज के परिप्रेक्ष्य में पत्रकारिता के महत्व पर प्रकाश डाला। ब्यूरो चीफ उत्तर उजाला नंद किशोर गर्ग ने अपने प्रारंभिक दौर की पत्रकारिता के दौरान की समस्याओं से परिचित कराते हुए वर्तमान समय तक की पत्रकारिता के विषय में विस्तृत जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्रकृत लोक पत्रिका के मुख्य संपादक/प्रकाशक विमल सती ने द्वारा पत्रकारिता के गुण -दोष पर विस्तृत प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आज की पतनोगामी होती पत्रकारिता के लिए महर्षि नारद से सीखने के लिए यूं तो बहुत कुछ है लेकिन महत्वपूर्ण है उनसे फील्ड जर्नलिज्म सीखना।वो फील्ड में घूमकर अर्थात तीन लोकों में भ्रमणकर जन के दुख दर्द को निकट से समझते और निराकरण के लिए नारायण तक पहुंचाते थे जबकि आज की पत्रकारिता एक जगह बैठकर सूचनाएं एकत्र करने तक सीमित हो चुकी है, मोबाइल वट्सएप माध्यम ने इसे आसान बनाया है।हालांकि इस तरह की पत्रकारिता के अपने जोखिम हैं।
वरिष्ठ पत्रकार श्री सती ने कहा कि पत्रकारिता के केंद्र से आज सामान्य आदमी का दूर होना निःसंदेह दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पिछले दो तीन दशकों से पत्रकारिता का स्वरुप भी बदला है और स्वभाव भी।प्रिंट मीडिया फोर कलर से लेकर कई कलरों की प्रिंटिग मशीन तक पहुंच गया।टीवी पत्रकारिता सेल्युलाइड,लो बैंड ,हाई बैंड, बीटा के रास्ते होते हुए इनपीएस ,विज आर टी,आक्टोपस तकनीक से होने लगी। तकनीक जितनी मजबूत हुई असर उतना ही कमजोर।आज
आम आदमी के हक पर पहरा देने वाली पत्रकारिता कारपोरेट घराने की मुट्ठी में चली गई है।खबरों को मुनाफे के तराजू पर तोला जा रहा है।
बौद्धिक संपदा पर जन्मसिद्ध अधिकार रखने वाले पत्रकार भी मानवीय खबर पर डीसी टीसी तो छोडिए एक सिंगल खबर इसलिए नही लिखते क्योंकि उस खबर का फैसला लाला के हाथ में होता है।अब संपादकों की जगह सीईओ,एक्जूक्यूटिव एडिटर ,मैनेजिंग एडिट जैसे पद सृजित हो चुके है।जो अखबार को बाजार का उत्पाद बनाकर बेच रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बदलते परिवेश में बाजार जिस तरह पत्रकारिता के मूल्यों, सिद्धांतो को ध्वस्त कर रहा है ये घातक संकेत है।पत्रकारिता को नए मूल्य ,नई संरचना कहा से दी जाएं,आम आदमी के लिए स्पेस कैसे बनाया जाए?इस दौर की यह बडी़ चुनौती है।जन की चैतन्यता ,युवाओं की सोच पत्रकारिता को पतनशील मार्ग में जाने से बचा सकती है।उन्होंने युवाओं से समाचार पत्र व पुस्तकों का अध्ययन करने की अपील की और पत्रकारिता में रोजगार की राह पर भी चर्चा की।
कार्यक्रम में नगर प्रचार प्रमुख गणेश जोशी, नीरज कुमार, ज्योति कठायत ,कोमल रावत, कैलाश प्रसाद ,शिवानी, तनीषा, नीतू, मनीषा, बसंती ,भावना आदि उपस्थित रहे।