प्रथम नवरात्र पर रानीखेत के मां झूला देवी मंदिर में लगी श्रद्धालुओं की कतारें, मन्नत पूरी होने पर यहां चढ़ती है घंटियां

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रानीखेत-नवरात्र के पहले दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता झूलादेवी के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे । श्रद्धालुओं ने लंबी कतारों में खड़े होकर माता के दर्शन के लिए अपनी बारी का इंतजार किया। वहीं, कामना पूरी होने पर कई श्रद्धालुओं ने मंदिर में घंटियां चढ़ाई ।

गौरतलब है कि रानीखेत स्थित चौबटिया मार्ग पर झूलादेवी मंदिर है. स्थानीय लोगों में इस मंदिर को लेकर काफी आस्था है। हर साल नवरात्र में दूर-दराज से भक्त इस मंदिर आते हैं और माता का दर्शन-पूजन करते हैं. श्रद्धालु माता की पूजा-अर्चना कर मन्नत मांगते हैं और मान्यता पूरी होने पर मंदिर में घंटी भी चढ़ाते हैं। यहां माता की मूर्ति झूले में रखी है, जिसके कारण इस मंदिर का नाम झूलादेवी मंदिर पड़ा है।

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कहा जाता है कि लगगभ 700 साल पहले यह इलाका एक घना जंगल था और यहां पर जंगली जानवरों का बसेरा था। ये जानवर आसपास के गांवों में पहुंच कर पालतू पशुओं को अपना शिकार बना लेते थे। ऐसे में स्थानीय लोग जंगली जानवरों के आतंक से परेशान होकर मां दुर्गा की आराधना की।

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माता ने पिलखोली निवासी एक बुजुर्ग को सपने में आकर दर्शन दिया और एक विशेष स्थान पर खुदाई करने का आदेश दिया। बुजुर्ग ने जब उस जगह खुदाई की तो उन्हें मां की मूर्ति मिली। जिसे उन्होंने उस स्थान पर स्थापित कर पूजा-अर्चना करनी शुरू कर दी। जिसके बाद स्थानीय लोगों को जंगली जानवरों के आतंक से निजात मिल गया।

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मान्यता ये भी है कि सावन के महीने में बच्चे यहां झूला झूलने आते थे। मां ने एक व्यक्ति के सपने में आकर कहा कि मेरे लिए भी झूला डालो और तब से उस स्थान पर माता का झूला पड़ा हुआ है।दूर-दराज के श्रद्धालु मंदिर में माता के दर्शन के लिए पहुंचते हैं और कामना पूरी होने पर यहां पर घंटिया चढ़ाते हैं।