रानीखेत निवासी महान चित्रकार बाला दत्त पाण्डेय का प्रयागराज में निधन, रचना जगत में शोक की लहर
रानीखेत– एक ऐसा रचनाकार जो संपूर्णता के साथ ही सूक्ष्मता का पोषक रहा और समाज में घटने वाली घटनाओं को करीब से देखकर उसे चित्रों में उकेरेता रहा शनिवार को अपनी तूलिका के साथ अनंत यात्रा पर निकल पड़ा ,शायद एक नया रचना संसार रचने। जी हां, प्रसिद्ध रचनाकार रानीखेत निवासी 91वर्षीय बाला दत्त पांडेय का बीते दिवस प्रयागराज में निधन हो गया।
अपनी पेंटिग से नई धारा स्थापित करने में सक्षम बाला दत्त पांडेय के निधन से कला जगत में शोक की लहर है। ललित कला अकादमी उप्र से कला सेवा सम्मान सहित अपनी कला और कूची की कमनीयता की बदौलत तमाम कला सम्मान हासिल कर चुके बाला दत्त पांडे की देश के विभिन्न प्रांतों में लगी कला प्रदर्शनियों को व्यापक सराहना मिली।राज्य ललित कला विभाग उत्तर प्रदेश के सौजन्य से गोरखपुर में कला रचना प्रदर्शन में चित्रकार बाला दत्त पांडेय ने फोर्स (गति) नामक शीर्षक से पेंटिग बनाई थी जिसने सभी को आकर्षित किया था। जहां भी उनकी प्रदर्शनी लगी कला वीथिका प्रशंसा की शांत सुंगध से मुस्कुराती रही।स्व पांडेय उ प्र राज्य ललित कला अकादमी के सदस्य और प्रयाग कला समिति के संस्थापक सदस्य भी रहे। उन्होंने लोक कला एवं शिल्प कुमाऊं साहित्य सहित लोक कला पर अनेक आलेख भी लिखे।
बाला दत्त पाण्डेय जी को कुछ साल पहले तक मातृभूमि रानीखेत का लगाव खींचता रहा।इधर चार पांच साल से अस्वस्थता के चलते वे रानीखेत नहीं आ पाए। यहां शिव मंदिर में एक संक्षिप्त मुलाकात में चित्रकारी पर चर्चा के दौरान उन्होंने कहा था चित्रकारी के माध्यम से समाज को संदेश दिया जाता है। हर चित्रकार की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि ऐसे चित्र बनाए जो समाज को बदलने में सार्थक हो सके।
स्व पांडेय प्रसिद्ध चित्रकार स्व नाथूराम उप्रेती के शिष्य रहे।वे अंतिम समय तक दिल में स्व नाथूराम उप्रेती के नाम से रानीखेत में कला संग्रहालय स्थापित किए जाने की हसरत पाले रहे। जिसमें वे अपनी भी तमाम कृतियां दान करना चाहते थे। इधर छावनी पुस्तकालय में इस संग्रहालय के लिए प्रारम्भिक प्रयास भी शुरू किए जा चुके थे। स्व बाला दत्त पाण्डेय के निधन से रानीखेत के रचनाकर्मियो में शोक की लहर है। *विनम्र श्रद्धांजलि*