नॉर्वे व स्विट्ज़रलैण्ड से आए समूह ने यहां हिल क्राफ्ट संस्था में नए संभावित उत्पादों के बारे में की चर्चा, अपने देशों में नए प्रचलित उत्पादों के निर्माण हेतु महिलाओं को यहां प्रशिक्षित करने की पहल दिखाई
रानीखेत : यहां पिछले 18 वर्षों से चल रहे हिल क्रॉफ़्ट नामक संस्था को भी अन्य व्यवसायों की तरह कोरोना महामारी की मार झेलनी पड़ी है। पिछले दो वर्षों में हिल क्राफ्ट के व्यवसाय में भारी कमी आयी है जिससे यहाँ कार्यरत ज़रूरत मंद महिलाओं के जीवन यापन पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है । परंतु यहाँ कार्यरत महिलाओं ने अभी भी हिम्मत नहीं हारी है और अपने व्यवसाय को पुनर्जीवित करने के लिए उन्होंने नार्वे व स्विट्ज़रलैण्ड की महिलाओं को आमंत्रित कर नई संभावनाओं की खोज का प्रयास शुरू किया है।
नॉर्वे व स्विट्ज़रलैण्ड से आए 18 लोगों के समूह द्वारा चार दिनों तक नए संभावित उत्पादों के बारे में चर्चा की गई तथा इन देशों में प्रचलन के अनुसार उत्पादों को बनाने के लिए महिलाओं को प्रशिक्षित करने की पहल की है। विदेश से आये प्रतिनिधियों द्वारा हिल क्राफ्ट में कार्य कर रही महिलाओं की निपुणता की काफ़ी प्रसन्नता व्यक्त की तथा सम्भावित नये उत्पादों के उत्पादन हेतु महिलाओं के सीखने की क्षमताओं की सराहना की।
प्रतिनिधियों ने बताया कि कोरोना के बाद लोगों की दिनचर्या एवं सोच में काफ़ी परिवर्तन आया है जिसके कारण बाज़ार में उत्पादों की माँग पर भी परिवर्तन आया है यदि हिल क्रॉफ्ट जैसी संस्थाओं को ज़िंदा रखना है तो बाज़ार की माँग के अनुरूप उत्पाद तैयार करने होंगे।
हिल क्रॉफ्ट की चयनिका बिष्ट ने बताया कि इस चार दिवसीय संयुक्त शिविर में अनेक उत्पादों को चिन्हित कर इनके सैंपल बनाकर विभिन्न केंद्रों में भेजने की रणनीति तैयार की गई है। प्रतिनिधिमंडल के साथ आयी लूने जैकोबसन ने बताया कि हिल क्रॉफ्ट के उत्पादों का नया बाज़ार खोजने के लिए नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड में प्रयास किए जाएंगे। हिल क्राफ्ट की कविता जोशी , पूनम साह, पूजा पाण्डे, पूनम जोशी व अलका पांडे ने प्रतिनिधिमंडल की रुचि की सराहना की तथा उनके प्रयासों के लिए उन्हें धन्यवाद ज्ञापित किया।