मुस्लिम समाज ने निकाली तिरंगा यात्रा, ‘वंदे मातरम् ‘भारत माता की जय’के गगनभेदी नारे लगा दारूल इफ्ता के मुफ्तियों और ओवैसी को दिखाया आईना
रानीखेत: ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के उपलक्ष्य में यहां मुस्लिम समाज ने राष्ट्र ध्वजाओं को लहराते हुए दो पहिया वाहनों के साथ भव्य तिरंगा यात्रा निकाली। दिलचस्प बात रही कि मुस्लिम समाज ने ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदेमातरम’ के पुरजोश नारे लगाकर दारूल इफ्ता के मुफ्तियों और आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष अवैसदुदीन ओवैसी को भी आइना दिखाने का काम किया जो मुसलमानों के लिए इन नारों को लगाना जायज़ नहीं मानते।
गौरतलब है कि देश आजादी की ७५वीं वर्ष गांठ मनाने जा रहा है ऐसे में स्कूली बच्चों से लेकर समाज के विभिन्न संगठनों और वर्गों में देश प्रेम को लेकर जोश ओज और ऊर्जा को अनुप्राणित होते देखा जा सकता है।इसी क्रम में आज यहां केमू स्टेशन पर एकत्रित होकर मुस्लिम समुदाय के नागरिकों ने तिरंगा यात्रा निकाली।दो पहिया वाहनों के काफिले के साथ निकली तिरंगा यात्रा गांधी चौक,सदर बाजार, रोडवेज स्टेशन, ज़रुरी बाजार , शिवमन्दिर मार्ग होकर पुनः गांधी चौक होकर जय जवान जय किसान तिराहे पर समाप्त हुई।तिरंगा यात्रा में शामिल मुस्लिम युवा जोशोखरोश के साथ ‘भारत माता की जय’ और ‘वंदे मातरम’ को जयकारे लगाते चल रहे थे। ऐसा कर रानीखेत के मुस्लिम समाज ने उन मुस्लिम नेताओं और मुफ्तियों को आईना दिखाने का काम किया जो इन नारों को लगाना मुस्लिम समुदाय के लिए नाजायज मानते आए हैं। आपको बताते चलें कि भारत माता की जय बोलने से इंकार करने वाले ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुसलिमीन के अध्यक्ष अवैसदुदीन ओवैसी को लेकर देश में सड़क से संसद तक पूर्व में सियासी बवाल मच चुका है इसी मुद्दे को लेकर इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम के मुफ्तियों ने भी कहा था कि हम इस वतन को अपना माबूद (भगवान) नहीं समझते। इसलिए किसी मुसलमान के लिए ऐसा नारा लगाना जायज नहीं है।
उल्लेखनीय है कि भारत माता की जय भारतीय स्वाधीनता संग्राम के समय सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाला नारा था। ‘भारत माता’ का उल्लेख किरन चन्द्र बन्दोपाध्याय के नाटक में सर्वप्रथम आया था जो की सन् १८७३ में खेला गया था। भारत भूमि को जीवन का पालन करने वाली माता के रूप में रूपायित कर उसकी मुक्ति के लिए की गई कोशिशों में उसकी संतानों ने इस नारे का बार बार प्रयोग किया। भारत माता की विजय का उद्घोष करने वाली यह उक्ति स्वाधीनता संग्राम के सिपाहियों में नए उत्साह का संचार करती थी। आज भी इस नारे का प्रयोग राष्ट्रप्रेमी करते हैं।आज इस नारे के साथ रानीखेत में जब मुस्लिम समाज सड़कों पर उतरा, पूरा वातावरण में राष्ट्र प्रेम से सराबोर हो उठा।
जामा मुस्लिम समाज द्वारा निकाली गई तिरंगा यात्रा में मो० इरफान , हबीब अहमद, मोहसिन खान, तस्लीम, मो० अफ़ज़ल, शौकत अली, मो०शाहनवाज़, गुड्डू खान, सोनू सिद्दीकी, अमन शेख़, शाकिर खान, मो० सफी, कामरान कुरैशी, नईम खान, मो दानिश, नावेद, सलमान, निसार, नजिस आदि शामिल रहे।