पेंशनर्स का सरकार से विश्वास उठा, न्याय पाने के लिए अब न्यायालयों का दरवाजा खटखटायेंगे

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भिकियासैंण: तहसील मुख्यालय में आज़ हुई उत्तराखंड गवर्नमेंट पेंशनर्स संगठन की बैठक में मुख्य रूप से उत्तराखंड सरकार द्वारा पेंशनर्स की उपेक्षा का मुद्दा छाया रहा। बैठक में सल्ट, स्याल्दे भिकियासैंण व चौखुटिया विकासखंडों से‌ पेंशनर्स ने शिरकत की।

बैठक में वक्ताओं ने कहा कि देश के अन्य राज्यों में वहां की सरकारें पेंशनर्स को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करा रही हैं परन्तु उत्तराखंड राज्य में पेंशनर्स को स्वास्थ्य सुविधाओं से महरूम रखा गया है। उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं देने के नाम पर राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नाम का एक भारी-भरकम एनजीओ बनाकर पेंशनर्स का शोषण किया जा रहा रहा है।

कहा कि ग्रामीण इलाकों में अभी तक गोल्डन कार्ड बने नहीं हैं जिसके जरिए पेंशनर्स का इलाज होना है लेकिन कटौती धड़ल्ले से जारी है सबसे भयावह स्थिति तो पारिवारिक पेंशनर्स व लाइलाज बीमारी से ग्रस्त पेंशनर्स की है जिन्हें अभी तक पेंशन से कटौती होने का आभास ही नहीं है जिन पेंशनर्स के गोल्डन कार्ड बने भी हैं उस कार्ड को सरकार द्वारा सूचीबद्ध किए अस्पताल भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं यह पेंशनर्स की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है। पेंशनर्स को निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं देने की सरकार की नैतिक जिम्मेदारी है इस मामले में माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा कई निर्णय हुए हैं।

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बैठक को सम्बोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा कि, हमारे संगठन द्वारा भिकियासैंण तहसील मुख्यालय पर चार महीने के लम्बे संघर्ष के बाद भी राज्य सरकार ने पेंशनर्स की जायज़ मांग को अनसुना कर दिया। मामले को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के संज्ञान में लाने के लिए 05 जनवरी, 2023 को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विशाल धरना प्रदर्शन के माध्यम से प्रधानमंत्री भारत सरकार व महामहिम राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा गया परन्तु इसके बाद भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी।

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उन्होंने आगे कहा मौजूदा समय में आम जनता का सरकारों से विश्वास उठ चुका है ऐसी स्थिति में अब जनता का एकमात्र भरोसा यहां की न्यायिक व्यवस्था पर रह गया है बैठक में सभी लोगों ने एक स्वर में न्याय पाने के लिए अनवरत संघर्षरत रहने का वादा किया।

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बैठक को सेवानिवृत्त जिला विद्यालय निरीक्षक श्री डी एस नेगी प्रकाश उपाध्याय, अम्बादत्त बलौदी, देब सिंह घुगत्याल, के एन कबडवाल, आनन्द प्रकाश लखचौरा, राजेन्द्र सिंह नायक, खीमानंद जोशी देवी दत्त लखचौरा, मोहन चंद्र सती, शोबन सिंह मावड़ी, एन.बी.बी जोशी, बचे सिंह नेगी, गुसाईं सिंह उनियाल, बचीराम, बालादत उपाध्याय, श्रीमती सोमवती खुल्बे, श्रीमती तुलसी देवी उर्वादत्त सत्यवली, गंगा दत्त शर्मा, रमेश चंद्र सिंह बिष्ट, हयात सिंह, किसन सिंह मेहता, केशव दत्त ध्यानी, बालम सिंह बिष्ट, ज्वाला दत्त मठपाल आदि लोगों ने संबोधित किया तथा संचालन तुला सिंह तड़ियाल ने किया।