रानीखेत जिले को लेकर फिर उठी मशालें, आंदोलन को सियासत से बचाना आंदोलनकारियों के आगे पहली चुनौती
रानीखेत- रानीखेत उपमंडल को जिला बनाने जाने की मांग पर एक बार फिर आंदोलन शुरू हो गया है।आज रानीखेत विकास समिति के बैनर पर नागरिकों ने सायंकाल नगर में मशाल जुलूस निकाल कर घोषित जिला रानीखेत का शीघ्र गठन करने की मांग की।
शुक्रवार को रानीखेत विकास समिति के बैनर तले घोषित जिला रानीखेत के शीघ्र गठन को लेकर नागरिकों ने मशाल जुलूस निकाला। सुभाष चौक से मुख्य बाजार होकर विजय चौक तक निकाले गए मशाल जुलूस में शामिल नागरिक “आज दोअभी दो, रानीखेत जिला दो” की मांग करते चल रहे थे। बता दें कि रानीखेत उपमंडल को जिला बनाने की मांग 1954से उठती रही है।इस मांग को लेकर वर्ष1984-85, वर्ष 1993व 95तथा 2011में लम्बे आंदोलन हो चुके हैं। 2011में अधिवक्ता संघ की अगुवाई में हुए आंदोलन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने रानीखेत सहित चार जिलों की घोषणा की ,लेकिन बाद में मामला खटाई में पड़ गया।अब 2027 विधानसभा चुनाव से ठीक पहले रानीखेत विकास समिति ने इस मांग पर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया है। यहां यह भी ध्यातव्य है कि रानीखेत में जन आंदोलनों का इतिहास असफलताओं से भरा रहा है इसके पीछे स्थानीय राजनीति प्रमुख कारण कहा जा सकता है। इस बार यदि शुरू हुए इस आंदोलन में राजनीतिक घुसपैठ हुई तो आंदोलन के धराशायी होने में देर नहीं लगेगी। आंदोलनकारियों के आगे इस आंदोलन को राजनीति से बचाना पहली चुनौती है।
मशाल जुलूस में एडवोकेट दिनेश तिवारी, गिरीश भगत मोहन नेगी , अरूण रावत , कमलेश बोरा, विमल भट्ट,मनीष चौधरी,दीपक पंत, चंद्र शेखर गुर्राती, कैलाश पांडे,एलडी पांडे, यतीश रौतेला, जगदीश अग्रवाल, उमेश भट्ट, राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेय, कुंदन सिंह बिष्ट, प्रमोद चंद्र पांडे,पंत पूरन पांडे, सहित अनेक नागरिक शामिल रहे।




रानीखेत जिले को लेकर फिर उठी मशालें, आंदोलन को सियासत से बचाना आंदोलनकारियों के आगे पहली चुनौती
“वंदे मातरम”के 150वर्ष पूर्ण होने पर स्व. जय दत्त वैला राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रानीखेत में सामूहिक रूप में गाया गया वंदे मातरम गीत