फिर बुलाया गया उत्तराखंड के कांग्रेस विधायकों को दिल्ली,जानिए आखिर क्यों?

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बडी़खबर: इस हफ्ते प्रदेश के कांग्रेस कार्यकर्ताओं की बेसब्र इंतजारी को विराम लग जाएगा। जीहां,नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष को लेकर लम्बित मसले में जल्द फैसला होने वाला है। उम्मीद है कि इस हफ्ते या कहें दो एक दिन में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के मामले में कांग्रेस हाईकमान अपना निर्णय घोषित कर देगी। बीते सोमवार को कांग्रेस के विधायकों को दिल्ली बुला लिया गया है। राज्य में बदली परिस्थितियों में कांग्रेस दिल्ली में बैठकर चुनाव चिंतन भी करने जा रही है।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और सदन में नेता प्रतिपक्ष रही इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद कांग्रेस पार्टी के भीतर नेता प्रतिपक्ष के चयन का मामला दिल्ली हाई कमान के पाले में है और प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष बनाने के विधायकों के एक लाइन के प्रस्ताव और हरीश रावत द्वारा गणेश गोदियाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने के सुझाव पर हाईकमान ने निर्णय सुरक्षित रखा है क्यों कि हाई कमान पंजाब और छत्तीसगढ़ में पार्टी के मसलों में व्यस्त होने से इस ओर ध्यान नहीं दे पा रहा था। इधर उत्तराखंड के वरिष्ठ नेता और विधायक गण भी हाईकमान के फैसले के इंतजार में दिल्ली डटे रहे लेकिन हाई कमान के उत्तराखंड के मसले पर फिलहाल ठंडा रूख दिखाने के कारण उत्तराखंड लौटकर राजनैतिक कार्यक्रम निपटाने में जुट गए।
इधर बीते सोमवार प्रदेश प्रभारी देवेन्द्र यादव ने विधायकों को दिल्ली बुला लिया है। बदली परिस्थितियों में कांग्रेस अब राज्य को लेकर अधिक चिंतित लगती है।एक ओर आम आदमी पार्टी के संरक्षक अरविंद केजरीवाल उत्तराखंड में अपने पहले ही दौरे से धमक दिखा गए हैं कि लोक लुभावन वादों से ‘आप’की सत्ता आए या न आए लेकिन कांग्रेस बीजेपी का चुनावी हाजमा वह जरूर बिगाड़ देंगे,उधर बीजेपी कुमाऊं को साधने में लगी है उसे मालूम है कांग्रेस का बडा़ चेहरा हरीश रावत हैं चुनाव में चुनौती उन्हीं से मिलनी है भले ही कांग्रेस कह रही हो वह सामूहिक नेतृत्व में चुनाव लडे़गी लेकिन सच यही है कि कुमाऊं की 29सीटों में अधिकांश में अगर पंजा छाप झंडा लहरा गया तो हरीश रावत का सी एम बनना एक तरह से तय हो जाएगा।यहीं कारण है कि पिथौरागढ़ से तराई तक की सीटों को साधने के लिए क्षत्रिय पुष्कर सिंह धामी को सी एम और ब्राह्मण अजय भट्ट को केंद्र में राज्य मंत्री बनाया गया है। दूसरा हाईकमान की लेटलतीफी से यह भी संदेश जा रहा है कि कांग्रेस में नेतृत्व का अभाव है।केजरीवाल भी उत्तराखंड आकर ऐसा बोल चुके है। ऐसे मे कांग्रेस आजकल में दिल्ली में चुनावी रणनीति पर जोर देगी हो सकता है हरीश रावत और प्रीतम सिंह गुट को चुनाव के मद्देनजर पदों को नाक का
सवाल न बनाने के लिए मना लिया जाए।
गौरतलब है कि प्रीतम सिंह को नेताप्रतिपक्ष बनाया जाना पहले से तय हो चुका है लेकिन उन्होंने इसे शर्त के साथ लेना मंजूर किया कि प्रदेश अध्यक्ष भी उनके करीबी को बनाया जाए,इधर हरीश रावत ने ब्राह्मण अध्यक्ष का तीर छोड़ दिया और गणेश गोदियाल का नाम आगे कर दिया ,ऐसे में सूत्र बताते हैं कि प्रीतम गुट ने भुवन कापडी़ का नाम अध्यक्ष के लिए आगे रख दिया।यानी चुनाव में अध्यक्ष की बडी़ भूमिका विशेषकर टिकट वितरण को देखते हुए नेता प्रतिपक्ष से अधिक लडा़ई “अपनाअध्यक्ष “को लेकर बनी हुई है।

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इधर राज्य में आम आदमी पार्टी की चुनावी तैयारी और बीजेपी की सरकार और संगठन की समन्वित बैठकें,मंथन और बूथ स्तर तक की तैयारियों के बीच नेता प्रतिपक्ष और अध्यक्ष पद की लडा़ई में फंसी कांग्रेस के लिए एक- एक दिन की देरी उसे भारी पड़ रही है,ऐसा प्रदेश प्रभारी भी जानते हैं इसलिए दो एक दिन में नेता प्रतिपक्ष के मसले पर कांग्रेस आधिकारिक निर्णय करने जा रही है।