इण्डियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स का 72वा स्थापना दिवस सम्पन्न
सी एम पपनैं
उदयपुर (राजस्थान)। इण्डियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स (आईएफडब्ल्यूजे) का 72वां स्थापना दिवस, 28 अक्टुबर, उदयपुर राजस्थान के लाभगढ़ रिसोर्ट मे, मुख्य अतिथि राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष, डाॅ सी पी जोशी की उपस्थिति तथा फैडरेशन अध्यक्ष के विक्रम राव की अध्यक्षता मे आयोजित कर, धूमधाम से मनाया गया। इस अवसर पर मेवाड संभाग स्तरीय सम्मेलन एव फैडरेशन की 143वी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक तथा प्रिंट व इलैक्ट्रोनिक मीडिया कर्मियों के सरोकारों की लड़ाई लड़ने का संकल्प तथा समस्याओं के समाधान हेतु, देश की बडी फैडरेशनो के गठजोड़ से, राष्ट्रीय फलक पर कांफ्रेडरेशन गठन विस्तार पर, विस्तृत चर्चा की गई।
कार्यक्रम का विधिवत श्री गणेश मुख्य अतिथि विधान सभा अध्यक्ष, डाॅ सी पी जोशी, फैडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष के विक्रम राव, विधायक धर्मनाथ जोशी व सुदर्शन सिंह रावत के कर कमलो, दीप प्रज्वलित कर किया गया। इण्डियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स राजस्थान यूनिट द्वारा सभी गणमान्य अतिथियों को पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेट कर तथा राजस्थानी पगडी पहना कर सम्मानित किया गया।
इण्डियन फैडरेशन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट्स स्थापना दिवस के इस अवसर पर, फैडरेशन अध्यक्ष डाॅ के विक्रम राव द्वारा मुख्य अतिथि व अन्य विशिष्ठ अतिथियो का स्वागत कर अपने संबोधन मे पत्रकारों के सरोकारों के लिये लड़ाई लड़ने का संकल्प दुहराया गया। साथ ही विभिन्न राज्य ईकाइयो के पदाधिकारियों को देश के समस्त पत्रकारों के सरोकारों से जुडे दायित्वों का मजबूती से निर्वहन करने का आहवान किया। डाॅ के विक्रम राव द्वारा नव गठित प्रेस काउंसिल मे देश के बडे पत्रकार संगठनो के प्रतिनिधियों को प्रतिनिधित्व न दिए जाने पर असन्तोष व्यक्त कर, मुख्य अतिथि का ध्यान आकर्षित किया गया। राजस्थान फैडरेशन इकाई अध्यक्ष उपेन्द्र सिंह राठौर द्वारा, खचाखच भरे सभागार में बैठे देश के 18 प्रांतों से आए फैडरेशन पदाधिकारियों व राजस्थान के समस्त जिलों से आए पत्रकारों को, 28 अक्टुबर 1950 को नई दिल्ली जंतर मंतर पर स्थापित की गई फैडरेशन के 71वर्षो के स्वर्णिम संघर्षशील इतिहास से अवगत कराया गया। पत्रकारों से जुडे सरोकारों हेतु, कटिबद्ध रहने का आहवान, राजस्थान की सबद्ध इकाइयो के पत्रकारों से किया।
राजस्थान विधान सभा अध्यक्ष डाॅ सी पी जोशी द्वारा मुख्य अतिथि के तौर पर व्यक्त किया गया, राजस्थान विधानसभा मे कुछ कडे निर्णय लेने के कारण वे पत्रकारों के मध्य अन पापुलर हैं, क्यों कि उनके द्वारा, आठ सौ पत्रकारों के स्थान पर कुछ स्थानीय पत्रकारों को ही विधानसभा की कार्यवाही कवर करने की मान्यता दी गई है। पत्रकारों द्वारा मेरे निर्णय पर एतराज जताया गया, विरोध किया गया। परंतु उक्त ठोस निर्णय के बाद पत्रकारिता मे परिवर्तन हुआ है। व्यक्त किया गया, पत्रकारिता की प्रसिद्धि खत्म हो गई है। आपातकाल में संपादकीय पेज को, सरकार की नीतियों के विरोध स्वरूप, खाली ब्लैक छोड़ दिया जाता था। अखबारी मालिको द्वारा पत्रकारों को अधिकार दिए गए थे। आज पत्रकारों के अधिकार छीन लिए गए हैं। निष्पक्ष पत्रकारिता करना चुनौतीपूर्ण हो गई है। बहुमत हासिल कर, देश चलाना, आज ट्रैंड चल गया है, इसे रोकना होगा। बात होती है, पार्लियामैंट्री लोकतंत्र की जो दिखावटी है। पार्टियों की नीतियों पर वोट मांगे जाते हैं। जन सरोकारों को ध्यान में रख कर नहीं। आज वोट किसी और बात पर व सरकार किसी और बात पर चल रही है।
विधान सभा अध्यक्ष डाॅ सी पी जोशी द्वारा व्यक्त किया गया, चालीस वर्षो का अनुभव है, राजकाज चलाने का, राज्य केन्द्र व पार्टी संगठन चलाने का। आज चाहत है, लोकतंत्र के साठ-स्तर वर्षो की समीक्षा होनी चाहिये। पत्रकारिता किस लोकतंत्र की ओर बढ़ रही है, जिस पर सवाल खडे हो रहे हैं। लोकतंत्र मे सवाल उठाने का अधिकार है। बहुमत वाली सरकार को विपक्ष को नकारने का अधिकार कहीं नहीं दिया गया है। संविधान मे सारे अधिकार सूचीबद्ध किए गए हैं। बहुत से कानूनों में परिवर्तन हुआ है।
कहा गया किपहले अखबारों में संपादक का महत्व होता था, उसकी भूमिका होती थी। प्रेस की स्वतंत्रता को आज टैंपर कर दिया गया है। आज स्थिति बदल गई है। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया क्या परोस रहा है? विपरीत दिशा में जाकर लोगों का ध्यान बटा रहा है, दिमाग को परिवर्तित कर रहा है। टीआरपी का खेल चल रहा है। रोजगार समाप्त हो गया है। लोकतंत्र तब मजबूत होता है, जब युवाओ को रोजगार मिल रहा होता है, समाज भ्रम रहित होता है। असन्तोष बढेगा तो लोकतंत्र कमजोर होगा। आज विषमता जो पैदा हो रही है, आने वाले समय के लिए, बहुत बडी चुनौती खडी होने जा रही है। सूचना का सही होना अनिवार्य है, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा।
विधान सभा अध्यक्ष डाॅ सी पी जोशी द्वारा व्यक्त किया गया, क्यों आजादी मे भाग लेने वालो ने पत्रकारिता आरंभ की? पण्डित नेहरु ने नेशनल हेराल्ड की स्थापना कर अपना दायित्व निभाया। आज पत्रकारों को जनमानस को जागरूक करना होगा, तभी लोकतंत्र मजबूत होगा। पार्लियामैंट्री डेमोक्रेसी को ठीक करने की जरूरत है। व्यक्त किया गया,आईएफडब्लूजे पत्रकारों का वैश्विक फलक पर एक ख्याति प्राप्त संगठन है, इसका महत्व है, यह संगठन संसदीय लोकतंत्र को मजबूत करने का कार्य करे।
इस अवसर पर आईएफडब्लूजे राजस्थान इकाई द्वारा प्रकाशित स्मारिका ‘पत्रकार हितार्थ 71 वर्षो से समर्पित संगठन’ का विमोचन मुख्य अतिथि के हाथों सम्पन्न हुआ।
स्थापना दिवस पर अन्य वक्ताओ मे जी न्यूज राजस्थान स्टेट हैड मनोज माथुर, मावली विधायक धर्मनाथ जोशी व विधायक सुदर्शन सिंह रावत, अमित भट्ट टीवी 18 स्टेट हैड, इंदुकांत दीक्षित पीटीआई न्यूज एजैंसी रांची हैड तथा अन्य वरिष्ठ पत्रकारों मे विपिन धुलिया (राष्ट्रीय महाचिव आईएफडब्लूजे), पुष्पेन्द्र भारद्वाज, बी आर प्रजापति, रेनु चौबीसा, राजीव रंजन नाग, राकेश सोनी, सुरेश जी भाट द्वारा व्यक्त किया गया, लोकतंत्र के चौथे पाए पत्रकारिता को मजबूत करने के लिए, कोई संवैधानिक रुख अख्तियार नहीं किया गया है, विधि विधान नहीं बनाया गया है। आज के मीडिया मालिको ने आजादी की लडाई नहीं लडी है, जिससे वे पत्रकारिता की परिपाठी को कायम रखने मे कामयाब नहीं हो पा रहे हैं। पत्रकारिता को धन्धा समझ, चलाने की कोशिश की जा रही है।
कहा गया किपत्रकार समाज सेवा के नाम पर ही पत्रकारिता से जुड़ते हैं। पत्रकारों ने ही विचारों को महत्ता दी है, उसे बढ़ाया है, परंतु पत्रकारों की समस्याओं को समझने व उठाने वाला कोई नहीं है। पत्रकारों के सैकडो केश कोर्ट में चल रहे हैं। पत्रकार अभावो का जीवन जी कर, घर परिवार चलाने को विवश हैं।
वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, संपादकीय का महत्व होता था, आज कोंन संपादकीय पढ़ रहा है। मीडिया को कोरपोरेट चला रहा है। जिस कारण आज खबरों की विश्वसनीयता नहीं रह गई है। आज पत्रकारिता मे दो तरह के लोग है, एक लिखने वाला एक बोलने वाला। पक्ष-विपक्ष की खबरों मे निष्पक्षता नही रह गई है। किस पत्रकार की खबर है, पता नहीं चल पाता है। ग्रामीण स्तर के पत्रकार, पत्रकारिता की रीढ़ हैं, जो बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इलैक्ट्रॉनिक मीडिया खबर नहीं चर्चा है। सोशल मीडिया की खबरे चुनौती बनी हुई हैं। फेक न्यूज को कैसे कन्ट्रोल किया जाऐ सवाल खड़ा हुआ है।
व्यक्त किया गया, हर पेशे मे परिवर्तन आया है। समाज परिवर्तन का कार्य प्रेस कर सकती है। सत्यनिष्ठ पत्रकारों को महत्व देना होगा। जब मीडिया सक्रिय हैं, तभी अन्य तीन स्तंभों की जानकारी जनमानस तक पहुच पाती है, जो बिना किसी संवैधानिक व्यवस्था के चल रही है। मीडिया पर बंदिशे व उनकी आजीविका के लिए बनाए गए एक्ट खत्म करने से पहले यह सोचा जाना चाहिए था कि, उनको दिया क्या गया है। आज तक किसी भी वेतन आयोग की रिपोर्ट पूर्ण रूप से लागू नहीं हुई है, इसका जिम्मेवार कोंन है। वक्ताओ द्वारा व्यक्त किया गया, समस्त मीडिया संस्थानों का ट्रस्ट बनना चाहिए, जिससे पत्रकारों का शोषण न हो सके, पत्रकारिता को नए आयाम मिल सके।
स्थापना दिवस कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन राजस्थान के स्थानीय पत्रकार दिनेश श्रीमाली द्वारा बखूबी किया गया।
स्थापना दिवस, दिन के दूसरे सत्र मे, राष्ट्रीय फलक पर देश के कई मीडिया संगठनो की मदद से मीडिया कर्मियो के सरोकारों हेतु कांफ्रेडरेशन गठन पर विस्तृत चर्चा की गई, जिसमे पीटीआई, एनएफएनई, आईएफडब्लूजे, डीएफएनई तथा एनयूजे सहित देश के अन्य राज्यो के संगठनो के पदाधिकारियों द्वारा विस्तृत चर्चा की गई। चर्चा मे भाग लेने वालो मे पीटीआई के बलराम, एनएफएनई के चंद्र मोहन पपनैं, डीएफएनई के उमाशंकर कुकरेती, आईएफडब्लूजे के विपिन धुलिया व राजीव रंजन नाग तथा कांफ्रेडरेशन के अध्यक्ष इंदुकांत दीक्षित (पीटीआई) तथा महासचिव गोबिंद स्वामी जी भूपति (दिनमणी), उपाध्यक्ष क्रमश: मनोज मिश्र व बी आर प्रजापति द्वारा भाग लिया गया। सर्वसम्मति से आगामी चेन्नई मीटिंग पर कांफ्रेडरेशन गठन के विस्तार पर चर्चा का प्रस्ताव पास किया गया।
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