रानीखेत छावनी परिषद में वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी की महत्ता पर संगोष्ठी आयोजित
रानीखेत -छावनी परिषद् कांफ्रेंस हॉल में छावनी परिषद द्वारा’वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हिंदी भाषा की महत्ता’ विषयक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य वक्ता साहित्यकर्मी विमल सती ने कहा कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है।
उन्होंने कहा कि बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है जिसे दुनिया भर में समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह विश्व में तीसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है बावजूद अपने ही देश में इसे राष्ट्र भाषा का सम्मान आज तक हासिल नहीं हो पाया। श्री सती ने हिंदी के राज भाषा बनने, द्रविड़ विरोध से लेकर वर्तमान तक हिंदी के क्रमोत्तर विकास पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारतीय भाषा अनुसंधान द्वारा हिंदी शब्दों के मानकीकरण की जानकारी दी साथ ही सरकारी कार्यों में हिंदी शब्दों की अशुद्धियां भी गिनाई।
उन्होंने कहा कि देश में तकनीकी और आर्थिक विकास के साथ अंग्रेजी का वर्चस्व बढ़ा है और हिंदी की महत्ता कम हुई है और उसके आगे चुनौतियां खड़ी हुई हैं।आज रोजगार की बात करें तो बहुराष्ट्रीय कंपनियों में हिंदी भाषियों के लिए अवसर घटे हैं हालांकि सरकारों ने मेडिकल परीक्षा व पढ़ाई के लिए हिंदी भी लागू करना सराहनीय पहल है।
छावनी परिषद मनोनीत सदस्य मोहन नेगी ने इस बात पर चिंता जताई कि हिन्दी जानते हुए भी लोग हिन्दी में बोलने, पढ़ने या काम करने में हिचकने लगे हैं। इसलिए सरकार का प्रयास होना चाहिए कि हिन्दी के प्रचलन के लिए उचित माहौल तैयार किया जा सके। छावनी परिषद कार्यालय अधीक्षक रमा नेगी ने कहा कि हिन्दी हमारे परिवेश की भाषा है।हमें अपने बच्चों को हिंदी से लगाव रखने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
देश में तकनीकी और आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ अंग्रेजी पूरे देश पर हावी होती जा रही है। हिन्दी देश की राजभाषा होने के बावजूद आज हर जगह अंग्रेजी का वर्चस्व कायम है।
संगोष्ठी का संचालन छावनी राजस्व अधीक्षक राजेन्द्र प्रसाद पंत ने किया । संगोष्ठी में पत्रकार नंदकिशोर गर्ग, छावनी परिषद के समस्त अनुभाग अधिकारी व कर्मचारी मौजूद रहे।