कैंट लैंड एक्ट1937 के नए ड्राफ्ट पर नागरिकों को ऐतराज,कहा भूमि से बेदख़ल करने की साजिश़

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रानीखेत:-रक्षा मंत्रालय द्वारा छावनी भूमि प्रबंधन अधिनियम 1937 में संशोधन के लिए आम नागरिकों एवं संगठनों से 23जुलाई तक आपत्ति एवं सुझाव देने को कहा गया है।जिसका एक प्रस्तावित ड्राफ्ट छावनी परिषद् द्वारा अपनी वेबसाइट में दिया गया है। इस सम्बन्ध में चर्चा हेतु रानीखेत के नागरिकों द्वारा एक बैठक का आयोजन शिव मंदिर रानीखेत में किया गया।

बैठक में रानीखेत के नागरिकों द्वारा इस संशोधन पर तीखी आपत्ति जताई गयी है और इसका पुरजोर विरोध करने का फैसला लिया गया है। बैठक में उपस्थित नागरिकों ने कहा कि रानीखेत कि स्थापना से आज तक 150 वर्षो से जिस भूमि में यहाँ के नागरिक रहते आ रहे है। उस भूमि की लीज केवल 10 वर्षो के लिए बढ़ाना किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं है। लीज को कम से कम 40-50 वर्षो के लिए बढ़ाया जाना चाहिए ताकि व्यक्ति सही प्रकार से अपने भविष्य की योजना बना सके।

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संशोधन में वर्तमान लीज शुल्क को कई गुना बढ़ाने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे आम आदमी को वहन करना संभव नहीं है। साथ ही ये भी प्रस्ताव है की 10 वर्षो की लीज के बाद लीज नवीनीकरण में इसका किराया 10 गुना तक बढ़ाया जा सकता है। ये प्रस्ताव भी किसी भी प्रकार से न्यायसंगत नहीं है। नागरिको ने कहा की रक्षा मंत्रालय के इस कदम से व्यक्ति अपने ही भवन में किरायेदार जैसा हो जायेगा और यदि वह बड़ी हुयी लीज वह नहीं दे पाया तो उसको अपना भवन छोड़ना पड़ेगा।

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किस आधार पर रक्षा मंत्रालय ऐसे प्रस्ताव ला रही है ये समझ से परे है। यदि इस तरह के नियम लागू कर दिए गए तो पहले से गर्त में समा चुके रानीखेत नगर तथा देश की अन्य छावनियों में शायद ही कोई निवास कर पायेगा। छावनियों की जिस भूमि को पुरखे अपने पसीने से सींचते आये है उसी भूमि से बेदखल करने के प्रयास रक्षा मंत्रालय द्वारा किये जा रहे है।

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बैठक में मोहन नेगी, नरेंद्र रौतेला, संजय पंत, डॉ के एस बंगारी, उमेश पाठक, गिरीश भगत, कामरान कुरैशी, नईम खान, पंकज साह, जीवन पांडेय, बी डी पांडेय, शकील अहमद ,गिरधर टम्टा, इक़बाल अहमद, इदरीश, कुंदन नाथ गोस्वामी, पूरन सिंह रावत, अशोक कुमार, अमीनुर्रहमान सहित अनेक लोग उपस्थित थे।