पांडवखोली में जीवंत हो उठी गौरवशाली धार्मिक सांस्कृतिक परंपरा, धूमधाम से मनाई गई बलवंत गिरी महाराज की २९वीं पुण्य तिथि
रानीखेत: शनिवार को पौराणिक द्वारका स्थित पांडवखोली (ब्रह्म पर्वत) में उत्तराखंड की गौरवशाली परंपरा व लोक संस्कृति जीवंत हो उठी। पांडवों की अज्ञातवास स्थली रही स्वर्गपुरी पांडवखोली में ब्रह्मलीन महंत बलवंतगिरी महाराज नागा बाबा की उन्नीसवीं पुण्यतिथि धूमधाम से मनाई गई। रानीखेत गनियाद्योली स्थिति जे एंड जे सिटी मांटेसरी स्कूल सहित आस -पास क्षेत्र के स्कूली बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश कर समां बांध दिया।
द्रोणागिरि पर्वतश्रृंखला में द्वापरयुगीन सभ्यता एवं संस्कृति के गवाह पांडवखोली में शनिवार को महंत बलवंत गिरि महाराज की स्मृति में वार्षिक मेला लगा। २९वीं पुण्यतिथि पर महात्मा का भावपूर्ण स्मरण किया गया। इससे पूर्व पांडवों के प्रतीक पाषाण वीरखंभों का विशेष पूजन किया गया। विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों के बाद बुग्यालनुमा (भीम की गुदड़ी) मैदान में बच्चों, महिलाओं बच्चों व पुरुषों की कुर्सी दौड़, जलेबी दौड़ आदि प्रतियोगिता हुईं।ध्यातव्य है कि भ्रमण संघ रानीखेत की ओर से द्रोणागिरी पर्वतमाला के मध्य स्थित विश्वप्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थली स्वर्गपुरी पांडवखोली में श्री श्री 1008 महंत बलवंतगिरी महाराज नागा बाबा की पुण्यतिथि हर वर्ष मनाई जाती है।इससे पूर्व शुक्रवार को नित्य पूजा, गणेश पूजा, रुद्री पाठ के साथ देर रात तक भजन कीर्तनों का सिलसिला जारी रहा।
दोपहर बाद भंडारा आयोजित हुआ इसमें पर्यटक नगरी रानीखेत के साथ ही कौरवछीना (कुकुछीना), दुधोली, भरतकोट, खोलियाबाज, द्वाराहाट, बग्वालीपोखर आदि क्षेत्रों से पहुंचे ग्रामीणों ने प्रसाद ग्रहण किया।
सांस्कृतिक मंच पर जूनियर हाईस्कूल खोलियाबांज, जे एंड जे सिटी मांटेसरी स्कूल गनियाद्योली रानीखेत, प्राथमिक विद्यालय चरी आदि के छात्र छात्राओं ने शिव स्तुति और अपनी सांस्कृतिक विरासत पर आधारित नृत्य कार्यक्रम पेश कर श्रद्धालुओं को मंत्र मुग्ध किए रखा। वार्षिक मेले में दूरदराज के ग्रामीणों का तांता लगा रहा। अध्यक्ष हरीश लाल साह ने कार सेवा में जुटे श्रद्धालु और कार्यक्रम में सहभागी विद्यालयों का आभार जताया।