संस्कृत व हिंदी साहित्य की विधाओं में देश-विदेश के अनेक सम्मानों से नवाजी जा चुकी उत्तराखंड की डाॅ. पुष्पा जोशी

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। संस्कृत व हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में विलक्षण प्रतिभा की धनी डाॅ पुष्पा जोशी देश-विदेश के दर्जनों साहित्य सम्मानों से विगत तीन दशकों में नवाजी जा चुकी हैं। 2021 मे शिक्षक दिवस के अवसर पर, कालीदास राष्ट्रीय संस्कृत अकादमी और वैदिक शोध संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में देश की जिन पांच शिक्षिकाओं को कानपुर में सम्मानित किया गया था उनमें से एक डाॅ पुष्पा जोशी भी थीं। नारायणी साहित्य अकादमी दिल्ली द्वारा भी 2021 में शिक्षक दिवस पर, उन्हे ‘उत्कृष्ट शिक्षा सेवा सम्मान’ प्रदान किया गया। काव्य विधा में उत्कृष्ट लेखन के द्वारा हिंदी साहित्य की सुदीर्घ सेवा हेतु विगत माह 26 सितंबर को युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच दिल्ली द्वारा ‘महादेवी वर्मा शीर्षस्थ सम्मान’ 2020 से नवाजा गया। महादेवी वर्मा हंसता जीवन संस्था, दिल्ली द्वारा ‘साहित्य रत्न’ तथा टू मीडिया महिला काव्य मंच द्वारा, 3 अक्टूबर 2021 को हिंदी भवन दिल्ली में ‘काव्य अक्षर सम्मान’ से डाॅ पुष्पा जोशी को सम्मानित किया गया।

डाॅ पुष्पा जोशी द्वारा संस्कृत और हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं के क्षेत्र में दिए गए योगदान का अवलोकन कर ज्ञात होता है विगत तीन दशकों में, इस विलक्षण प्रतिभा की धनी द्वारा देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कहानियों, लेखों, कविताओं, गीतों, संस्कृत शोधपत्रों, पुस्तकों के लेखन, संस्कृत में प्रकाशित अनेक प्रबुद्ध लेखकों की पुस्तकों की भूमिका लेखन, पुस्तकों की समीक्षा तथा व्याख्याकार के रूप में, आकाशवाणी केन्द्रों व टीवी चैनलों में विशेष अवसरों पर स्वरचित कविताओं व संस्कृत श्लोकों का वाचन करने काव्य गोष्ठियों में सहभागिता कर छाप छोड़ने , साहित्यिक विषयों पर देश-विदेश के कई प्रतिष्ठित मंचों से व्याख्यान देने, काव्य-गोष्ठियों में, काव्य-पाठ के साथ-साथ मंच संचालक के रूप में अपनी विशेष पहचान बना कर, जो ख्याति अर्जित की है, अद्भुत व प्रेरणाजनक कही जा सकती है। अर्जित ज्ञान व ख्याति के अनुरूप ही देश-विदेश की साहित्यिक क्षेत्र से जुड़ी संस्थाओं के निर्णायक मण्डलों व आयोजकों द्वारा, समय-समय पर आयोजित सम्मान समारोहों में, विगत तीन दशकों से निरंतर, डाॅ पुष्पा जोशी को विभिन्न नामों से चलायमान, दर्जनों साहित्यिक सम्मानों से, साहित्यिक सेवाओं के लिए दिए गए योगदान हेतु, प्रदान किए जा चुके हैं।

उत्तराखंड, जिला अल्मोड़ा, मानिला क्षेत्र के गांव, मणुली में 10 अगस्त 1954 को आनंदी देवी व ख्यालीराम नैनवाल के घर जन्मी डाॅ पुष्पा जोशी, बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि की होने के बावजूद, साधन और अवसरों के अभाव भरे जीवन की कई कठिनाइयों को पार कर, स्वयं के बल, हिम्मत और लगन से, पढ़ाई पूरी कर, आज साहित्य जगत के इस मुकाम तक पहुंची हैं।

लक्ष्मी बाई कालेज, दिल्ली विश्व विद्यालय से, स्नातक। कानपुर विश्व विद्यालय से, हिंदी व संस्कृत में, परास्नातक। संस्कृत में पीएचडी के साथ-साथ, बी.एड की डिग्री प्राप्त, संस्कृत और संस्कृति के प्रति अनुराग रखने वाली, हिंदी की ज्ञाता, उर्दू व अंग्रेजी की जानकार, विभिन्न सामाजिक क्रिया-कलापो से जुड़ी, सरल और मृदु-भाषी, व्यक्तित्व की धनी, कविता जगत में शिष्ट और शालीन कवयित्री की छवि तथा साहित्यिक समाज में, बहुत बड़ा दायरा रखने वाली, डाॅ पुष्पा जोशी, 1992 से 2006 तक श्रीमुनि इंटर कालेज कानपुर मे प्रवक्ता के पद पर रही हैं। इसी दौरान, संजीव झा संस्कृत भारती प्रमुख के सहयोग से, बनारस संस्कृत भारती से 2001 मे संस्कृत बोलचाल की भाषा सीखी। संस्कृत भाषा के शिविरों का आयोजन किया। संस्कृत भारती नंदनगरी दिल्ली से, संस्कृत भाषा का कोर्स किया । 2002-2003 मे यूजीसी से नियुक्त होकर, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इंदिरा गांधी नेशनल स्कूल में, संस्कृत संभाषण पाठ्यक्रम का अध्यापन कार्य करने के बाद, 2007 से 2021 सेवानिवृत्त होने तक, कोठारी इंटर नेशनल कालेज नोएडा में, अध्यापन के सात्विक कर्म के साथ-साथ, सशक्त, श्रेष्ठ कवियित्री रही हैं, जिनका कवि हृदय, सामाजिक जीवन के हर पहलू को, अपनी रचनाओं में समेटता नजर आता है।

समाज के दुःख-सुख को, आत्मसात कर, काव्य मे पिरोने में माहिर डाॅ पुष्पा जोशी की कविताओं का पठन-पाठन कर अवगत होता है, आधुनिक कविताएं शुरू से उनके सृजन का अंग रही हैं। 11वी कक्षा में उनकी पहली कविता ‘पैगाम अंचलो से’ प्रकाशित हुई थी। कविताएं रचने का उनका यह क्रम जारी रहा, जो आज भी निरंतर जारी है। उनकी रचित कविताओं में, देशकाल का चिंतन दृष्टिगत होता है। राष्ट्रीय अस्मिता की अभिव्यक्ति और देश के दुश्मनों के लिए कडे़ संकेत भी दृष्टिगत होते नजर आते हैं। उनकी रचनाओं के संसार मे, आनंद, अस्तित्व, कृतित्व और उल्लास दृष्टिगत होता है। जिसमे जीवन के विविध रंगो को, शब्द की तूलिका से ऐसे उकेरा गया है कि वे अलग ही नजर आते हैं।

बगैर शब्दों का आडंबर ओढ़े, सहजता व सरलता से अपनी छोटी सी कविताओं को बयां कर देना, डाॅ पुष्पा जोशी की बड़ी खूबी कही जा सकती है। कई कविताओं मे उन्होंने दर्द को इस तरह रचा है, जैसे बयां किया गया दर्द, उनके द्वारा स्वयं भोगा गया हो। भावना पक्ष में डाॅ पुष्पा जोशी की कविताऐ, खरी उतरती नजर आती हैं, जो मन व हृदय को छूती हैं।

हिंदी साहित्य लेखन के क्षेत्र में डाॅ पुष्पा जोशी देश-विदेश के साहित्य जगत में एक अग्रणी नाम रहा है। विश्व के 111 लेखकों द्वारा लिखा गया प्रथम अनोखा उपन्यास, ‘खट्टे मीठे रिश्ते’, के पहले दस लेखकों मे डाॅ पुष्पा जोशी भी एक लेखिका रही हैं। महाकवि भास प्रणीतम ‘स्वप्नवासवदत्तम’ की अधिकारिक समीक्षा, जो पुस्तक रूप में, 2014 मे प्रकाशित हुई है, डाॅ पुष्पा जोशी द्वारा ही यह कार्य किया गया है। उक्त पुस्तक कानपुर विश्वविद्यालय में पढा़ई जा रही है। 2018 मे डाॅ पुष्पा जोशी का काव्य संग्रह ‘मन के मनके’ भी प्रकाशित हुआ है।

साहित्यिक क्षेत्र मे कार्यरत अनेक प्रतिष्ठित देश-विदेश की संस्थाओं के साथ-साथ, कई पत्र-पत्रिकाओ के संपादकीय मंडल से भी डाॅ पुष्पा जोशी जुडी़ हुई हैं। विभिन्न विधाओं से जुडे़ दर्जनों नामचीन कवियों, लेखको, व्यंगकारों, नाटककारों व समाज सेवियों इत्यादि के साक्षात्कार कर नाम कमा चुकी हैं।

बडी ही शिद्दत व आत्मीयता से, जनभावनाओं व जन के दुःख-दर्द को अपनी विविध साहित्यिक विधाओं के द्वारा प्रस्तुत कर, जो ख्याति व सम्मान डाॅ पुष्पा जोशी द्वारा अर्जित की गई है, अद्भुत व प्रेरणादायक है, जिस पर उन्हें देश-विदेश की दर्जनों साहित्यिक संस्थाओं द्वारा, विभिन्न सम्मानों से अब तक नवाजा जा चुका है।

अंतरराष्ट्रीय फलक पर डाॅ पुष्पा जोशी को, 2018 मास्को (रूस) मे आयोजित, अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में, ‘ओसिप मंदेलश्ताम’ सम्मान से नवाजा गया था। विश्व हिंदी संस्थान कनाडा द्वारा 2019 मे, ‘विश्व हिंदी कथा शिल्पी सम्मान’ तथा वर्ष 2019 ग्रीस (एथैन्स) मे, अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन मे, ‘बोधनलाल यादव स्मृति सम्मान’ से नवाजा जा चुका है।

संस्कृत अकादमी दिल्ली द्वारा, संस्कृत भाषा के प्रति निष्ठा और समर्पण तथा संस्कृत के प्रचार-प्रसार हेतु, विभिन्न नामों के, सम्मानों से 1995, 1996 तथा 1997 में डाॅ पुष्पा जोशी को स्वर्ण पदक प्रदान किया गया था। लायंस क्लब इंटर नेशनल द्वारा, 1998 मे ‘उत्कृष्ठ शिक्षा सेवा सम्मान’ से नवाजा गया था। 2014 सीबीएसई द्वारा शिक्षामंत्री भारत सरकार द्वारा, प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया था। कालीदास अकादमी दिल्ली द्वारा, 2015 मे तथा 2015 मे ही असम के मुख्यमंत्री व विधान सभा स्पीकर द्वारा, सम्मानित किया गया था। 2017 मे आचार्य रामचंद्र शुक्ल सम्मान प्राप्त हुआ था। महिला दिवस 2018 को ‘सशक्त महिला लेखन सम्मान तथा 2019 दिल्ली मे, माध्यमिक साहित्यिक संस्थान तथा अट्टाहस पत्रिका द्वारा संचालित, ‘लाइफ टाइम अचीवमैंट अवार्ड’ प्राप्त हुआ था।

2020 मे शिक्षक दिवस पर, साक्षी चेता विद्याभारती संस्थान एव संस्कृत अकादमी द्वारा, राष्ट्र के पांच शिक्षकों जिनमे डाॅ पुष्पा जोशी भी एक शिक्षिका थी, शिक्षा के क्षेत्र में सम्मानित होने का गौरव हासिल हुआ था।

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रोमेश भंडारी द्वारा, ‘संस्कृत कोविद् सम्मान’ तथा गोवा की राज्यपाल मृदुला सिंहा द्वारा काव्य पाठ के क्षेत्र मे, डाॅ पुष्पा जोशी को सम्मानित होने का अवसर मिला है। कई शोधपत्रों के लेखन पर भी वे पुरस्कृत हो चुकी हैं।
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