जयदत्त वैला राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत में मनायी गई श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती,श्रीमद्भगवद्गीता की महत्ता बताई गई
रानीखेत : जयदत्त वैला राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रानीखेत के संस्कृत विभाग द्वारा आज श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती के अवसर पर सांख्ययोग विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया ।
संस्कृत विभाग के प्राध्यापक डॉ० अंकित मनोड़ी ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि युद्ध के मैदान में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो ज्ञान दिया उसे आज श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से जाना जाता है. कहते हैं कि ये वो ब्रह्मज्ञान है जो इंसान को जीवन जीने के लिए एक बेहद अहम जड़ी बूटी देता है, धर्म और कर्म की ये वास्तविकता विश्व के ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचे, इसलिए देश और दुनिया की 27 भाषाओं में श्रीमद्भगवद्गीता का अनुवाद हुआ है और मनुष्य जीवन में यह शास्त्र कितना उपयोगी है इस विषय को छात्रों को बतलाया ।
डॉ० छत्रपति पन्त ने इस अवसर पर छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्रीमद्भगवदगीता हमारा अमूल्य शास्त्र है जो हमें हमारी संस्कृति, सभ्यता को सिखलाती है तथा हमें सुसंस्कृत बनाती है इसलिए हम सभी को इस अमूल्य शास्त्र का अध्ययन, मनन एवं वाचन करना चाहिए ।
समाजशास्त्र विभाग के प्राध्यापक डॉ० मोहित उप्रेती ने कहा कि हम सभी सौभाग्यशाली है कि हमें श्रीमद्भगवदगीता जैसा शास्त्र प्राप्त है और कहा कि जीवन जीने का तरीका, अपने पथ पर अग्रसारित होने का ज्ञान इत्यादि, हमें गीता के अध्ययन से प्राप्त होता है। राजनीति विज्ञान विभाग के प्राध्यापक डॉo तारा चन्द ने कहा की श्रीमद्भगवद्गीता हम हिंदुओं का पथ प्रदर्शन ग्रन्थ है जिसे हम सभी को प्रतिदिन अध्ययन चाहिए ।
हिन्दी विभाग की प्राध्यापिका डॉ० सुमन फुलारा ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता हमारा दर्शन शास्त्र है महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जो उपदेश दिया वह श्रीमद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध है। यह महाभारत के भीष्मपर्व का अंग है।गीता की गणना प्रस्थानत्रयी में की जाती है, जिसमें उपनिषद् और ब्रह्मसूत्र भी सम्मिलित हैं। अतएव भारतीय परम्परा के अनुसार गीता का स्थान वही है जो उपनिषद् और धर्मसूत्रों का है।
इस अवसर पर नेहा तिवारी, बबीता गोस्वामी, दीपिका आर्या, भावना, अञ्जू नेगी, अभिषेक, वैशाली आदि उपस्थित रहे।