उत्तराखंड में दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा का कोई इंतजाम नहीं

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डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड के कोने-कोने में कई रहस्यमयी मंदिर और गुफाएं मौजूद है। जिनमें से काफी के अभी तक कोई रहस्य खोल ही नहीं पाया है। इन्हीं मंदिरों में से एक उत्तराखंड में एक शिव मंदिर है। पिथौरागढ़ में स्थित पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर। माना जाता है कि इस मंदिर में दुनिया खत्म होने का एक रहस्य छिपा हुआ है। मान्यताओं के अनुसार, त्रेता युग में इस गुफा की खोल राजा ऋतुपर्ण ने की थी। इसके बाद दोबारा इस गुफा की खोल पांडवों से की थी। पाताल भुवनेश्वर गुफा मंदिर है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित इस गुफा के बारे में हिंदू धर्म के पुराणों में लिखा गया है। ऐसी मान्यता है कि इस गुफा के गर्भ में दुनिया के खत्म होने का राज छिपा है। माना जाता है कि भुवनेश्वर गुफा मंदिर बेहद रहस्यमयी है। गुफा से होकर इस मंदिर के अंदर जाना पड़ता है। मंदिर तक पहुंचने के लिए बेहद पतला रास्ता बना है। वहीं स्कंद पुराण के साथ पहली बार 819 ई में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की थी और उन्होंने ही राजा को जानकारी दी थी। इसके बाद राजाओं के द्वारा ही गुफा में पूजा कार्य के लिए पुजारियों (भंडारी परिवार) को लाया गया था। जब से लेकर आज तक भंडारी परिवार के लोग ही इस मंदिर में पूजा कर रहे हैं। उत्तराखंड की विश्व प्रसिद्ध पाताल भुवनेश्वर गुफा में रखी गई 35 दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस प्रबंध अब तक नहीं हुआ है। मंदिर परिसर के म्यूजियम और एक कक्ष में रखी गई इन मूर्तियों की सुरक्षा का जिम्मा मंदिर कमेटी उठा रही है।कमेटी कई बार राज्य पुरातत्व विभाग से गुहार लगा चुकी है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। पाताल भुवनेश्वर गुफा का इतिहास महाभारत काल से जोड़ा जाता है। माना जाता है कि वनवास काल में पांडवों ने इसी गुफा में अपना ठिकाना बनाया था। 12 वीं शताब्दी में यहां जागेश्वर शैली में मंदिर का निर्माण कराया गया। इस दौरान अनूठी शिल्प कला की कई मूर्तियां तैयार हुई। 35 बेशकीमती इन मूर्तियों को मंदिर क्षेत्र में बनाए गए एक म्यूजियम और एक कक्ष में रखा गया है। मूर्तियों की देख रेख का जिम्मा राज्य पुरातत्व विभाग का है, लेकिन विभाग ने आज तक यहां कर्मचारी तैनात नहीं किया गया है। कभी कभार पुरातत्व विभाग के अधिकारी मंदिर का चक्कर लगा लेते हैं। मंदिर कमेटी लंबे समय से मंदिरों की सुरक्षा के लिए उचित प्रबंध किए जाने की मांग कर रही है। कमेटी का कहना है कि विभाग स्थायी कर्मचारी तैनात नहीं कर सकता है तो गांव के ही किसी व्यक्ति को सुरक्षा का दायित्व सौंपा जाए, लेकिन विभाग की ओर से अब तक इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है अध्यक्ष पाताल भुवनेश्वर मंदिर कमेटी ने बताया कि मंदिर परिसर में 35 दुर्लभ मूर्तियां रखी गई हैं। लगभग 800 वर्ष पुरानी इन मूर्तियों का ऐतिहासिक महत्व है। बावजूद इनकी सुरक्षा के लिए ठोस पहल नहीं की जा रही है। इस संबंध में कई बार राज्य पुरातत्व विभाग से मांग की जा चुकी है दुर्लभ मूर्तियों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस प्रबंध अब तक नहीं हुआ है। मंदिर परिसर के म्यूजियम और एक कक्ष में रखी गई इन मूर्तियों की सुरक्षा का जिम्मा मंदिर कमेटी उठा रही है।
लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।