मिट रही उत्तराखंड से करप्शन की कालिख?
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तराखंड में अधिकारी किस कदर भ्रष्टाचार की दलदल में डूबे थे।, इसका अंदाजा विजिलेंस के आंकड़ों से लगाया जा सकता है।उत्तराखंड राज्य बनने के बाद विजिलेंस की ओर से 2001 से अब तक 247 अधिकारियों व कर्मचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचा चुकी है। इनमें 61 राजपत्रित अधिकारी शामिल हैं। 2022 में यह पहला मामला है, जब विजिलेंस ने किसी आइएएस को गिरफ्तार कर जेल भेजा है। अब तक जेल जाने वालों की सूची में राजस्व व वन विभाग के अधिकारी शामिल थे। विजिलेंस की ओर से 234 मामलों में कार्रवाई करते हुए 247 को गिरफ्तार किया है।राज्य में जिस तरह से भ्रष्टाचार बढ़ा है, उस हिसाब से कार्रवाई में तेजी नहीं आ पाई है। भ्रष्टाचारियों को सलाखों के पीछे पहुंचाने के लिए अप्रैल महीने में मुख्यमंत्री की ओर से 1064 हेल्प लाइन जारी किया गया था।देवभूमि के नाम से विख्यात उत्तराखंड में अब सुशासन का एक स्वर्णिम अध्याय लिखा जा रहा है सूबे के युवा मुख्यमंत्री इस दावे की तस्दीक करते हैं वो सभी फैसले, जो हाल के दिनों में पुष्कर सिंह धामी द्वारा भ्रष्टाचार के खिलाफ लिए गए। उनके द्वारा की गई कार्रवाई नज़ीर बन रही है और अब तो देश के दूसरे राज्यों से भी ये मांग उठने लगी है कि करप्शन की कालिख को कैसे साफ़ किया जाता है ये धामी से सीखा जाना चाहिए।दरअसल शनिवार को मुख्यमंत्री के निर्देश पर परीक्षा घोटालों की जांच कर रही एसटीएफ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष और आईएफएस अधिकारी, सचिव और पूर्व परीक्षा नियंत्रक को गिरफ़्तार कर लिया। एसटीएफ ने यह कार्रवाई न्ज्ञैैैब् द्वारा 2016 में कराई गई वीपीडीओ भर्ती परीक्षा में हुई धांधली की जांच के बाद की है। ये कार्रवाई इस लिहाज से भी बड़ी हो जाती है कि गिरफ्तार किए गए उत्तराखंड में वन विभाग के मुखिया रह चुके हैं। धामी के इस धाकड़ फैसले ने एक बार फिर दिखा दिया है कि करप्शन के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति केवल कहने भर तक नहीं है और भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए वो कड़े और बड़े… दोनों ही तरह के फैसले लेने से पीछे नहीं हट रहे हैं।इस से पहले धामी ने आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों का सामना कर रहे चर्चित आईएएस अधिकारी को निलंबित कर दिया था जिसके कुछ देर बाद ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। ठीक ऐसे ही कॉर्बेट पार्क में टाइगर सफारी बनने में अनियमितता का मामला सामने आने पर सीएम धामी ने पूर्व आईएफएस किशनचंद व अन्य अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की अनुमति दी थी। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में तो ताबड़तोड़ गिरफ्तारियां हुई ही हैं। इस मामले में मुख्य सरगना मूसा सहित 41 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं और कई अन्य जल्द ही गिरफ्तार किए जा सकते हैं। इतना ही नहीं, जेल में बंद नकल माफिया हाकम सिंह के सम्पत्तियों पर बुलडोजर भी गरज रहा है। धामी के इस धाकड़ एक्शन से हाकम सिंह द्वारा किया गया अवैध निर्माण और भ्रष्टाचारियों के हौसलेदोनों टूट रहे हैं।सीएम के निर्देश पर शनिवार को हुई बड़ी गिरफ्तारियों ने तो देश में एक नई बहस ही छेड़ दी। सोशल मीडिया पर धामी की तारीफ करने वालों में जितने लोग उत्तराखंड से हैं उस से कहीं ज्यादा देश के अन्य राज्यों राजस्थान, दिल्ली, बिहार से हैं और उनकी मांग है कि उनके प्रदेश के मुख्यमंत्री भी धामी से सीख लें।इस पूरे मंथन का अर्क ये निकलता है कि अनियमिताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस स्तर की कार्रवाई आज उत्तराखंड में हो रही है,वैसी देश के किसी दूसरे राज्य में देखने को नहीं मिल रही। सीएम का राजनीतिक अनुभव अशोक गहलोत, नीतीश कुमार और अरविंद केजरीवाल से भले ही कम हो लेकिन भ्रष्टाचार को मिटाने की जैसी इच्छाशक्ति उन्होंने दिखाई है वैसी इनमें से किसी दूसरे सीएम ने नहीं दिखाई। शनिवार को रुद्रप्रयाग के दौरे पर गए सीएम धामी ने अपने अटल इरादों को जाहिर करते हुए दोहराया कि जो भी भ्रष्टाचार में लिप्त होगा उसको किसी भी तरह से छोड़ा नहीं जाएगा और ऐसे लोगों की जगह केवल जेल में होगी। यानी स्पष्ट है कि सीएम धामी किसी भी भ्रष्टाचारी को बख्शने के मूड में नहीं है और उन्होंने तय कर लिया है कि वो देवभूमि को सच्चे अर्थों में देवभूमि बना कर ही दम लेंगे। समय पर व विधि सम्मत तरीके से नियुक्तियां हो सकें। राज्य जिसे हमने तदर्थ/आउट सोर्स की नियुक्तियों का स्वर्ग बना दिया था। देश की समृद्धि, विकास के लिए सभी को हरसंभव प्रयत्न करने का संकल्प लेना होगा तभी हम सच्चे अर्थों में स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्षों और बलिदान का मूल्य चुका सकेंगे। विकसित भारत श्रेष्ठ भारत और समृद्ध भारत बनाने के लिए मिलजुल कर कार्य करना होगा 2025 तक जब उत्तराखंड अपनी स्थापना का रजत जयंती वर्ष मना रहा होगा, तब हम उसे देश का सर्वश्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए संकल्पबद्ध हैं और इसके लिए हम ’’विकल्प रहित संकल्प’’ के मंत्र को ध्यान में रखकर दिन-रात कार्य कर रहे हैं। जिसके द्वारा हम अन्त्योदय के अपने अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकें और उत्तराखंड को सच्चे अर्थों में देवभूमि बना सकें।
लेखक वर्तमान में दून कालेज में कार्यरत हैं