खासयोल कैंट आज से नहीं रहेगी छावनी, रक्षा मंत्रालय ने जारी की अधिसूचना, प्रस्ताव को जनवरी में दी‌ थी मंजूरी

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रानीखेत : हिमाचल प्रदेश की खास योल कैंट, छावनी परिषद क्षेत्र में लागू ब्रिटिश क़ानूनों के दंश से गुरुवार को मुक्त हो गई। गुरुवार को रक्षा मंत्रालय ने एक अधिसूचना जारी कर खास्योल को छावनी से हटा दिया।इतना ही नहीं, खास्योल छावनी के मुख्य अधिशासी अधिकारी सावंदकर किरन नामदेव राव को भी तत्काल प्रभाव से छावनी परिषद अमृतसर के मुख्य अधिशासी अधिकारी पद पर स्थानांतरित कर दिया है।

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इससे पूर्व रक्षा मंत्रालय ने 19जनवरी 2023 को एक अधिसूचना में खासयोल को छावनी से हटाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। गुरुवार 27 अप्रैल 2023 को रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव राकेश मित्तल द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि अधिसूचना जारी होने की तिथि से खासयोल‌ छावनी नहीं रहेगी।

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ध्यातव्य है कि हिमाचल प्रदेश में सात छावनी है जिसमें कसौली, जतोग, सुबाथू, सोलन, डलहाैजी, बकलोह व योल शामिल हैं। इसमें योल सबसे बड़ा कैंट बोर्ड है। यंग ऑफिसर लिविंग होने के कारण यहां रक्षा संपदा संगठन ने कैंट बोर्ड बनाना तय किया था। ब्रिटिश काल में युवा अधिकारियों के लिए यह रेस्‍ट कैंप बनाया गया था।

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योल कैंट बोर्ड की स्थापना 16 दिसंबर 1941 को हुई थी जहां बोर्ड को निर्धारित प्रक्रिया के माध्यम से छावनी अधिनियम (13-3) के तहत गठित किया गया था।  इधर यहां छावनी परिषद से छुटकारा पाने की छटपटाहट वर्षों से थी। गुरुवार

को जारी अधिसूचना के बाद नागरिक ब्रिटिश समय के क़ानून के दंश से मुक्त हो गए।

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