छावनी सिविलियन होंगे नगर पालिका के रहवासी, लेकिन भूमि भवन मालिकाना हक रक्षा संपदा के पास..इस चर्चा ने दिया नई बहस व नाराज़गी को जन्म

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रानीखेत: रक्षा मंत्रालय द्वारा छावनी परिषदों को खत्म कर राज्य निकायों में विलय के नीतिगत निर्णय के बाद अब यह बात सामने आ रही है कि सिविल क्षेत्र को नगर पालिकाओं के हवाले तो किया जाएगा लेकिन भूमि संपत्तियों पर मालिकाना हक रक्षा संपदा विभाग के पास रहेगा।इस अपुष्ट खबर ने एक नई बहस और नाराजगी को जन्म दे दिया है।

एक ओर जहां रानीखेत विकास संघर्ष समिति ने रानीखेत सिविल एरिया को एक्साइज एरिया बनाने के किसी भी फैसले का पुरजोर विरोध करने का ऐलान करते हुए कहा है कि रानीखेत के नागरिकों को स्वायत्त राज्य निकाय से कम कुछ भी मंजूर नहीं है ,वहीं अखिल भारतीय कैंट बोर्ड उपाध्यक्ष एवं सदस्य एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव गुप्ता एवं महामंत्री मोहन नेगी ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट को पत्र प्रेषित कर मांग की है कि छावनी के सिविल एरिया को नगर निगम, नगर पालिका में लीज धारकों को भूमि का मालिकाना हक, फ्रीहोल्ड अधिकार के साथ सम्मिलित किया जाए।

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उन्होंने पत्र में लिखा है कि यदि छावनी के सिविल एरिया को नगर पालिका में मिलाने के साथ ही यदि छावनी के निर्धारकों को पूर्ण अधिकारों के मालिकाना हक के साथ नहीं मिलाया जाता तो इसका लाभ वर्षों से मांग कर रही जनता को नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि सन 1948 और 1956 में आगरा व अहमदनगर सिविल एरिया को स्थानीय राज्य के नगर पालिका में मिलाया गया। इस क्षेत्र को एक्साइज एरिया कहा गया और सफाई बिजली पानी व विकास कार्यों के लिए राज्य को अधिकार दिए गए। लेकिन वहां छावनी के लोगों को छोटे-छोटे कार्यो के लिए रक्षा संपदा अधिकारी, प्रधान निदेशक व महा निर्देशक कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते हैं व दाखिल खारिज की कॉपी लेने दाखिल खारिज कराने मानचित्र पास कराने में लोगों को बरसो इंतजार करना पड़ता है। इससे नागरिकों को अनावश्यक कष्ट उठाने पड़ते हैं।

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उन्होंने रक्षा मंत्री व रक्षा राज्य मंत्री से आग्रह किया कि नागरिकों की जटिल समस्याओं के समाधान के लिए छावनी के सिविल एरिया को नगर पालिका में मिलाने के साथ ही लीज भूमि का मालिकाना हक फ्रीहोल्ड अधिकार के साथ विलय किया जाना जरूरी है। छावनी के सिविल एरिया को नगर पालिका में मिलाने के साथ एरिया का एक्सटेंशन किया जाए व सभी क्षेत्रों के अवैध निर्माण संबंधी सैकड़ों मुकदमों को समाप्त किया जाए। जिससे छावनी के नागरिकों की वर्षों पुरानी जटिल समस्याओं का निस्तारण हो सके। एसोसिएशन के अध्यक्ष एवं महामंत्री ने सांसदों अन्य मंत्रियों को भी पत्र भेजकर छावनी क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं के लिए केंद्र सरकार को अवगत कराने का आग्रह किया है।

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इधर आज रानीखेत विकास संघर्ष समिति के धरना स्थल पर इस बावत व्यापक चर्चा हुई। आंदोलनकारियों का कहना था कि छावनी में दोयम दर्जे की जिंदगी जीते आ रहे‌ नागरिकों के हक में रक्षा मंत्रालय ने उन्हें छावनी से पृथक कर राज्य निकायों में समायोजित करने का सही फैसला लिया है लेकिन रक्षा मंत्रालय के अधिकारी अपना रुतबा घटता देख अब सिविल एरिया के भूमि भवन संबंधी मालिकाना हक रक्षा संपदा विभाग के पास ही रखने‌ की कथित हिमायत कर‌ रहे हैं।आधी अधूरी नगर पालिका का रहवासी बनना नागरिकों को मंजूर नहीं है।