उच्च न्यायालय ने पूछा दिल्ली-दून हाईवे पर पेडो़ं को बचाने के लिए क्या कर रही है सरकार?
नैनीताल:- हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा रिजर्व शिवालिक हाथी कॉरिडोर के डिनोटिफाइड करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की है।
हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि संतुलित विकास के लिए पर्यावरण संरक्षण का संतुलन बनाये रखना जरूरी है।हाइकोर्ट ने NHAI से पूछा कि दिल्ली-देहरादून हाईवे के बीच रहे पेड़ों को बचाने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि रिजर्व शिवालिक हाथी कॉरिडोर 2002 से रिजर्व एलिफेंट कॉरिडोर की श्रेणी में शामिल है जो करीब 5405 स्क्वायर वर्ग किलोमीटर में फैला है और यह वन्यजीव बोर्ड द्वारा भी डिनोटिफाइड किया गया क्षेत्र है।उसके बाद भी बोर्ड इसे डिनोटिफाइड करने की अनुमति कैसे दे सकती है? जबकि हाथी इस क्षेत्र से नेपाल तक जाते हैं।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया है की 24 नवंबर 2020 को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड की बैठक में देहरादून जौलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार करने लिए शिवालिक एलिफेंट रिजर्व फारेस्ट को डिनोटिफाइड करने का निर्णय लिया गया था।
बैठक में कहा गया था कि शिवालिक एलिफेंट रिजर्व के डिनोटिफाइड नहीं करने से राज्य की कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं प्रभावित हो रही हैं, लिहाजा इसे डिनोटिफाइड करना अति आवश्यक है।
इस नोटिफिकेशन को याचिकाकर्ता द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गयी है।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता से भी कहा है कि वह कोर्ट को बताएं कि किस तरीके से 2500 साल के वृक्ष कटने से दून को अक्षम्य क्षति होगी और क्या इस क्षति की भरपाई अधिक वृक्षारोपण करके नहीं की जा सकती?
हाईकोर्ट में मामले की अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी।