पैंशनर्स को गुमराह कर रहा है उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण: तड़ियाल
उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन ने उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण पर गुमराह करने का आरोप लगाया है।यहां जारी एक बयान में उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा है कि, उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण द्वारा आज़ समाचार पत्रों में इश्तिहार जारी कर एक बार फिर पैंशनर्स को गुमराह करने का प्रयास किया है जिसमें पैंशनर्स पर एक माह के अंदर विकल्प पत्र देने का दबाव बनाया गया है।
श्री तड़ियाल ने कहा कि प्राधिकरण का यह इश्तिहार मा0 उच्च न्यायालय के आदेश का स्पष्ट उलंघन है। मा0 उच्च न्यायालय द्वारा 15 दिसंबर 2021 तत्पश्चात 21 दिसंबर 2021 के अपने दोनों आदेशों मेंं सरकार द्वारा पैंशन से जबरन कटौती पर स्थगन आदेश पारित किया है मा0 न्यायालय ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा गया है कि, पैंशनर्स की सहमति के बिना पैंशन से जबरन कटौती संविधान की धारा 300 ए का स्पष्ट उलंघन है। माह दिसम्बर 2021 से कटौती बन्द हो जाने के कारण उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नाम के इस भारी भरकम एनजीओ के वसूली के सारे रास्ते बंद हो गये हैं जिसके कारण उसके खर्चें चलाना मुश्किल हो गया हैं इसीलिए पैंशनर्स को दवाब में लेने के अनेक प्रयत्न किए जा रहे हैं उन्होंने कहा पैंशनर्स को डराने-धमकाने के अनेक प्रयासों के बावजूद भी अप्रैल में जारी प्राधिकरण के आंकड़ों के अनुसार हां में विकल्प पत्र देने वालों की संख्या 7444 है और ना में विकल्प देने वालों की संख्या 3031 थी जबकि 1,12557 लोगों ने कोई विकल्प पत्र नहीं दिया। राज्य में मौजूद पैंशनर्स के सभी संगठनों ने अपने-अपने संगठन के माध्यम से विकल्प नहीं देने का अनुरोध किया गया था शासन द्वारा जारी विकल्प पत्र में पैशनर्स के लिए विकल्प लेने जैसी किसी बात का कहीं उल्लेख नहीं था तथाकथित विकल्प में केवल हां या ना लिखकर दिया जाना था आज़ जारी इश्तिहार मेंं प्राधिकरण ने विकल्प पत्र नहीं देने वालों को एस0जी0एच0 एस0 योजना के लिए उनकी सहमति मानते हुए 1, जनवरी 2021से उनके पैंशन से वसूली करने का उल्लेख किया है जबकि विकल्प पत्र नहीं देने का सीधा सा मतलब योजना से असहमति है। मौजूदा इश्तिहार मेंं सभी पैंशनर्स से एक माह के अंदर अनिवार्य रूप से विकल्प पत्र देने को कहा गया है विकल्प पत्र नहीं देने वाले पैंशनर्स से जनवरी 2021 से पूर्ववत पैंशन से मासिक कटौती शुरू कर दी जायेंगी और विकल्प में ‘नहीं ‘ आप्सन देने वालों के गोल्डन कार्ड को डि एक्टिवेट कर दिया जायेगा श्री तड़ियाल ने इससे प्राधिकरण की बौखलाहट बताया है उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण नाम का यह एनजीओ मात्र लूट का अड्डा बनकर रह गया है। उन्होंने कहा जनवरी 2021 से जबरन वसूली हो रही है ग्रामीण क्षेत्रों में 90 प्रतिशत लोगों के गोल्डन कार्ड नहीं बने हैं जिनके बने हैं उन्हें इस कार्ड से इलाज़ नहीं मिल रहा है। वसूली गई धनराशि की बन्दर बांट हो रही है। जबकि अन्य प्रदेशों में सरकारें पैंशनर्स के इलाज की स्वयं मुक्कमल व्यवस्था कर रही है लेकिन उत्तराखंड में सरकार मूकदर्शक बनी हुई है।