रानीखेत में तीन दिवसीय कला प्रदर्शनी का शुभारंभ, आधुनिक चित्र शैली के साथ परम्परागत चित्र शैली ने दर्शकों का मन मोहा

रानीखेत: मिशन इंटर कॉलेज सभागार में तीन दिवसीय अंत:चेतना : चित्रकला प्रदर्शनी का भव्य शुभारंभ हुआ। प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए मुख्य अतिथि छावनी परिषद के मुख्य अधिशासी अधिकारी कुनाल रोहिला ने कहा कि एकल प्रदर्शनी में आधुनिक चित्र शैली की चकाचौंध में गुम होती परम्परागत शैली की चित्रकारी को स्थान देकर ऊंचाइयां देने का प्रयास किया गया है।
इससे पूर्व मुख्य अतिथि कुनाल रोहिला ने फीता काटकर प्रदर्शनी एवं दीप प्रज्वलित कर कला वीथिका का शुभारंभ किया। उन्होंने कला वीथिका का अवलोकन कर चित्रकार प्रकाश पपनै से कृतियों की गहराई को समझा। सांस्कृतिक समिति के हरीश लाल साह और हस्तशिल्पी भुवन साह ने मुख्य अतिथि और अध्यक्ष का पौधा देकर हरित स्वागत किया। चित्रकार प्रकाश पपनै ने मुख्य अतिथि को और चंद्र शेखर पपनै ने कार्यक्रम अध्यक्ष सुनील मसीह को प्रतीक चिह्न भेंट किया।
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि कुनाल रोहिला ने अपने संबोधन में रानीखेत में इस तरह की चित्र प्रदर्शनी लगाने के लिए आयोजकों को बधाई दी । उन्होंने कहा कि समकालीन चित्रों के साथ लोक परम्परा ऐपण को मूल रूप में चित्रित करने के साथ अभिनव प्रयोगकारी भी प्रशंसनीय है। उन्होंने कलाकारों की कृतियों के लिए छावनी परिषद में गैलरी का प्रस्ताव भी रखा।
कार्यक्रम संयोजक एवं रंगकर्मी विमल सती ने एकल प्रदर्शनी के चित्रकार प्रकाश पपनै का विस्तृत परिचय देते हुए बताया कि उनकी एकल व ग्रुप प्रदर्शनियां ललित कला अकादमी,फाइन आर्ट एण्ड क्राफ्ट सोसायटी, दिल्ली, देहरादून के अलावा चीन के बीजींग, शंघाई और ग्वांग्झू में लग चुकी है।कहा कि युवा चित्रकार प्रकाश पपनै कला और कूंची की कमनीयता के बदौलत लगातार शौहरत हासिल कर रहे हैं। जहां भी उनकी प्रदर्शनियां लगी हैं कला वीथिका प्रशंसा की शांत सुगंध से मुस्कराती रहीं हैं। उन्होंने कहा कि कला का स्वरूप गहन अनुभूतियों से जुड़ा होता है देखने वाले की आंखें और संवेदना कितनी गहराई तक पहुंच पाती हैं यह महत्वपूर्ण है।
चित्रकार प्रकाश पपनै ने कहा कि गृह क्षेत्र में चित्रकला प्रदर्शनी लगाने का मेरा सपना था जो आयोजन समिति की बदौलत पूरा हुआ है। उन्होंने कला की बारिकियों की चर्चा की और कूंची और रंगों के साथ अपनी लम्बी यात्रा के बारे में बताया। उन्होंने सहयोग के लिए सभी का आभार जताया। कार्यक्रम को भुवन चंद्र उपाध्याय ने भी संबोधित किया। अध्यक्षता सुनील मसीह व संचालन दीपक पंत ने किया।
तदुपरांत बालीवुड में पदार्पण कर चुके उत्तराखंड के युवा सिंगर कौशल सती ने नए-पुराने फिल्मी गीत एवं कुमाऊनी गीतों की प्रस्तुति से दर्शकों की वाहवाही बटोरी। सांस्कृतिक समिति की ओर से अध्यक्ष विमल सती ने उन्हें प्रतीक चिह्न भेंट किया।
कार्यक्रम में जीजीआईसी प्रधानाचार्य विमला बिष्ट,सिटी मांटेसरी प्रधानाचार्य विनोद खुल्बे, वृक्ष मित्र जोगेंद्र बिष्ट, पूर्व प्रधानाचार्य एच एस कडा़कोटी, डॉ पारूल भारद्वाज,मुकेश साह, खजान पांडे, डॉ विनीता खाती, हरीश लाल साह,भुवन साह,राजेन्द्र पंत, गौरव भट्ट ,गौरव तिवारी, अभिषेक कांडपाल, गीता जोशी, सीमा भाकुनी,विनय पपनै , जगदीश उपाध्याय,आनंद अग्रवाल,मंजू आर साह, आदि अनेक गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।








