यहां कई ए वी प्रेमनाथ हैं जो सरकारी नीतियों के संरक्षण में उत्तराखंड राज्य की देह पर नासूर बनकर रिस रहे हैं .
विधि आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष दिनेश तिवारी एडवोकेट ने कहा कि अंकिता हत्या कांड आधुनिक नव पर्यटन नीति की स्वाभाविक परिणिति है । कहा कि प्रदेश में पर्यटन आधारित नव अर्थ व्यवस्था की ओर बढ़ने के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं । अंकिता मर्डर केस को दुखद प्रकरण बताते हुए कहा कि उत्तराखंड के पर्यटन उद्योग में भी बड़े पैमाने पर नव धन कुबेरों की पूँजी लगी हुई है और प्रदेश में अपराधियों , दो नम्बर के धंधेबाज़ों , राजनेताओं , पुलिस , नौकरशाहों का गठजोड़ सामने आ रहा है । कहा कि आधुनिक पर्यटन आधारित अर्थ व्यवस्था का अर्थशास्त्र देवभूमि में देव दर्शन की जगह देह दर्शन की माँग की ओर बढ़ गया है । कहा कि पहाड़ की अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है और यहाँ की अधिकांश आबादी कृषि और इसकी अन्य शाखाओं पशुपालन , दुग्ध उत्पादन, बाग़वानी ,उद्यान से आजीविका उपार्जन करती आ रही है । कहा कि लेकिन नयी आर्थिक नीति के तहत परम्परागत बाज़ार को बिना किसी पूर्व तैयारी के बिग बाज़ार के लिए खोल दिए जाने का परिणाम उत्तराखंड राज्य में भी सांस्कृतिक , आर्थिक और राजनैतिक रूप से पतित ताक़तों के लिए बेहतरीन अवसर के रूप में दिखायी दे रहा है । कहा कि राज्य में तीर्थाटन और धार्मिक पर्यटन के विकास और विस्तार का विचार हाशिए पर है जबकि उत्तराखंड का पर्यटन तीर्थाटन और हिमालय के दर्शन से जुड़ा है । कहा कि अपने अतीत से ही उत्तराखंड तपस्वियों, यायावरों , संत , महात्माओं की जननी और कर्मभूमि रही है । कहा कि आज भी बद्रीनाथ , केदारनाथ , गंगोत्री , यमनोत्री , हरिद्वार , ऋषिकेश , जागेश्वर और उत्तराखंडी समाज , संस्कृति , पर्यावरण , हिमालय का दर्शन से जुड़ा हुआ पर्यटक उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था में तीस प्रतिशत से अधिक योगदान कर रहा है ।मज़ख़ाली के पास डॉडा कांडा में एक नाबालिग़ किशोरी से हुई अपमानपूर्ण घटना को उतराखंड राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि यहाँ एक नहीं कई एवी प्रेमनाथ हैं जो सरकारी नीतियों के संरक्षण में उत्तराखंड राज्य की देह पर नासूर बनकर रिस रहे हैं . आरोप लगाया कि प्रदेश में ईको टूरिज़्म की नीतियों की सरे आम धज़्ज़ियाँ उड़ायी जा रही हैं और पर्यटन के सतत एवं स्थायी विकास के लिए बनायी गयी गाइड लाइन – जैव विविधता व पारिस्थितिक पर्यटन का पालन नहीं किया जा रहा है । कहा कि राज्य में पर्यावरण संरक्षण के सामान्य नियमों की रिज़ॉर्ट मालिकों ने घोर अवहेलना की है और पूरे राज्य में उनका यह कृत्य गंभीर अपराध की श्रेणी में है । कहा कि केंद्र द्वारा बताए गए पारिस्थितिक पर्यटन के सामान्य सिद्धांतों में स्पष्ट ज़िक्र है कि क्षेत्र के समग्र आर्थिक विकास में स्थानीय समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए । कहा कि प्रदेश में पारिस्थितिक Iपर्यटन के विकास के लिए बनाए गए पैमाने कि स्थानीय समुदाय की सांस्कृतिक , सामाजिक पहचान और विशेषताओं को ध्यान में रखा जाय का पालन किए बिना काम हो रहा है । आरोप लगाया कि उत्तराखंड में रिज़ॉर्ट और होटल कारोबार में श्रम क़ानूनों का पालन नहीं हो रहा है और महिला कार्मिकों का हर तरह से शोषण हो रहा है . कहा कि अंकिता मर्डर केस के बाद एक जनपक्षीय पर्यटन नीति के निर्माण की ज़रूरत सामने आयी है और प्रदेश सरकार को बिना समय गँवाए इस दिशा में काम करना चाहिए ।