ये बदहाल सड़क किसको मुंह चिढा़ती है देश में एक बार तीसरी स्वच्छ,सुंदर छावनी का तमगा हासिल कर चुके कैण्ट को या कथित पर्यटन नगरी के नाम पर झूठे उत्साह में झूमने वालों को
रानीखेत:-कहते हैं किसी नगर के विकास की चमक को देखना हो तो वहां की सड़कों को देखकर सहज अंदाजा लग जाता है। रानीखेत के स्थानीय रहवासी छोडि़ए इस नगर में आने वाला हर शख्स यहां की सड़कों की हालत को देखकर अंदाजा लगा सकता है कि रानीखेत नगर का विकास कितना हुआ है। विकास की तस्वीर देखनी हो तो मिशन इंटर कॉलेज से जरूरी बाजार,खडी़ बाजार चौराहा और शिव मंदिर मार्ग से गांधी चौक पर लिंक होने वाली सड़क की हालत को देख सकते हैं।
ऐसा नहीं है कि इस मार्ग पर बहुत ज्यादा आवागमन नहीं होता है, नगर के रिहायशी इलाकों को जोड़ने वाले नगर के सबसे व्यस्त मार्ग में से यह भी एक मार्ग है। हर रोज बडी़ संख्या में छोटे -बड़े वाहन के साथ नागरिक प्रतिदिन इस मार्ग से गुजरते हैं ।सड़क की मौजूदा हालत ऐसी हो गई है कि कोई बाहरी वाहन चालक एक बार इस मार्ग से आवागमन कर ले और गड्ढों में फंसते -फंसाते निकल भी ले तो दोबारा इस सड़क पर आने से तौबा कर लेगा।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस सड़क मार्ग की छावनी परिषद और जनप्रतिनिधि कोई सुध नहीं ले रहे। वर्षों के अंतराल में छावनी परिषद इसकी मरम्मत जरूर करती रही है लेकिन कार्य गुणवत्ता की पोल एक ही बरसात में सामने आ जाती है।
मौजूदा समय में सड़क की बदहाल स्थिति छावनी परिषद के विकास कार्यों की गुणवत्ता को खुद बयां कर रही है।सड़क में हर बीस कदम पर गड्ढे है जो चालू बरसात में पानी से भर जाते हैं,स्थान-स्थान पर डामर से छुटकारा पाने में सफलता के झंडे गाड़ रही यह सड़क उस छावनी नगर पर बदनुमा दाग बनी हुई है जिसपर छावनी परिषद एक बार “देश की तीसरी सबसे स्वच्छ ,खूबसूरत छावनी का तमगा” हासिल कर चुकी है तो कोई अति उत्साह में इसे सुंदर पर्यटन नगरी कहने से भी नहीं चूकता। क्या तमगे बांटने वालों को और यहां आने वाले पर्यटकों को नगर के निचले हिस्सों के दर्शन नहीं कराए जाने चाहिए?आखिरकार नरसिंह मैदान से मालरोड तक के सैन्य पाॅश इलाके को तो “रानीखेत “नहीं कहा जा सकता? संपूर्ण रानीखेत के विकास के लिए उत्तरदायी छावनी परिषद कब समझेगी कि उसके करदाता नागरिक इस उपेक्षित सड़क के इर्द-गिर्द भी बडी़ संख्या में रहते हैं।