उद्यान विभाग में दो अलग -अलग कानून लागू होना निराशाजनक – दीपक करगेती
सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकारी दीपक करगेती ने प्रदेश के उद्यान मंत्री की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार में लिप्त और जांच के घेरे में चल रहे उत्तराखंड उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग के निदेशक और हिमाचल के प्रोफ़ेसर डॉ0 हरमिंदर सिंह बवेजा के गिरप्त में उत्तराखंड सरकार के उद्यान मंत्री गणेश जोशी पूर्ण रूप से आ चुके हैं । श्री करगेती ने कहा कि उत्तराखंड के उद्यान मंत्री जाँच डॉ0 बवेजा की कराते हैं और निलंबन अपर निदेशक का कर देते हैं जिसके पास कोई अधिकार नहीं हैं और न ही किसी कार्मिक की उनके खिलाफ शिकायत है।
उन्होंने कहा कि उद्यान सचिव व मंत्री ने बिना डॉ0 बवेजा की जाँच के जिस प्रकार विभागीय अधिकारी को निलंबित किया गया है उससे स्पष्ट है कि उद्यान विभाग के भ्रष्टाचार में मंत्री जी व सचिव की मौन स्वीकृति है यदि ऐसा नहीं होता तो डॉ0 बवेजा को भी पहले निलंबित करते फिर उसकी जाँच करवाते।
श्री करगेती ने कहा कि उत्तराखंड पहला ऐसा प्रदेश हैं जहां उद्यान विभाग में दो- दो अलग कानून हैं।अपर निदेशक की जाँच के लिये उन्हें निलंबित किया जाता है और वित्तीय अनियमित्ताओं के आरोपी बवेजा की जाँच में उसे बिना निलंबित किये जांच और सचिवालय में जांच अधिकारी से रोज मेल मिलाप व पूर्ण अधिकार दिए जाते हैं।इस घटना से माननीय मुख्यमंत्री की छवि और जीरो टॉलरेंस की सरकार की नीति पर भी शंका हो रही है ।
उद्यान विभाग निदेशक डॉ0 बवेजा की वित्तीय अनियमित्ताओं की जाँच गतिमान ही है उसके बाद उसने कई टेंडर ऐसे किये हैं जिसे देखकर यह स्पष्ट होता है कि शासन के अधिकारी उत्तराखंड में जो चाहें वह कर रहे हैं और जब मंत्री गणेश जोशी , बवेजा प्रेमी हैं तो डर की बात ही क्या ।
अभी कुछ दिन पहले उद्यान विभाग में जिला योजना के तहत बनने वाले पॉलीहाउस के लिये बवेजा ने टेंडर किया और उसमें ऐसी शर्त रखी गयी जो जिसे टेंडर देना था उसके अनुरूप थी।आज तक कभी भी जिला योजना के 30+11+8 वर्गफीट के टेंडर निदेशक स्तर से नहीं हुए क्योंकि यह जिला अधिकारी के स्तर का कार्य है जो जिले की समिति में होता था।
विगत 5 वर्षों में पॉलीहाउस की कीमत 36 हजार से 48 हजार तक रही है लेकिन अब डॉ0 बबेजा ने सीधे 40 प्रतिशत बढ़ा कर 69500 प्रति पॉलीहाउस दर निर्धारित की है जबकि गतवर्ष 48200 थी।
इसी प्रकार 70रु0 किलो मटर बीज को 124 र0 किलो, कीवी की ग्राफ्टेड पौधों को 75 से 275 रुपए में खरीदा गया। जबकि सस्ते दामों में यह किसानों को दिया जाना चाहिए। सब जानते हुए भी पहाड़ के काश्तकारों को सब्सिडी के नाम पर ठगा जा रहा है।
बोटैनिकल किट के नाम पर 300 र0 के प्लास्टिक के 100 लीटर के टैंक को 900 से 990 तक में क्रय विशेष फर्म से करवाने के लिए जिला उद्यान अधिकारियों पर दबाव जा रहा है ।
जो अधिकारी खुलकर सरकार को
सच्चाई बता रहे हैं उनको निलंबित कर डराने का कार्य किया जा रहा है,पहले भी तत्कालीन अनुसचिव उद्यान विकास श्रीवास्तव ने अंतर्राष्ट्रीय महोत्सवों में बवेजा को वित्तीय अनियमित्ताओं का नोटिस दिया तो उनको विभाग से ट्रांसफर कर दिया गया,उद्यान के 800 तकनीकी कर्मचारी इनकी कारगुजारियों पर मुख्यमंत्री जी को पत्र भेज चुके हैं,जिले स्तर के उद्यान अधिकारी ,दोनो अपर निदेशक इनकी कारगुजारियों से सरकार को अवगत करा चुके हैं।यदि मुख्यमंत्री जांच के दायरे में चल रहे बवेजा को भी अगले तीन दिन में निलंबित नहीं करते और कर्मचारी अधिकारियों और काश्तकारों का इसी प्रकार उत्पीड़न जारी रहा तो तीन दिन बाद उग्र आंदोलन किया जाएगा।