रानीखेत में पी जी कालेज के प्राध्यापकों की मदद से वन विभाग ने अत्यंत दुर्लभ प्रजाति के उल्लू को रेस्क्यू किया
रानीखेत: यहां गत रात्रि स्व जय दत्त वैला राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय रानीखेत के प्राध्यापकों की मदद से वन विभाग ने एक दुर्लभ उल्लू को रेस्क्यू किया।
दिनांक 23 सितंबर 2022 को रात्रि 8:00 बजे चिलियानौला के जंगलों में एक अत्यंत दुर्लभ प्रजाति का उल्लू घायल अवस्था में मिला। जिसका नाम रॉक-ईगल खुल है। अत्यंत दुर्लभ एवं शिकारियों के द्वारा इसका शिकार किए जाने के कारण इस जीव को भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की चौथी अनुसूची तथा CITES के द्वितीय परिशिष्ट में शामिल किया गया है। उत्तराखंड में यह 1500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। इसकी लंबाई 56 सेंटीमीटर तक होती है। यह सांप, चूहा, खरगोश सहित अन्य जंगली जीव जंतुओं के बच्चों का भी शिकार करता है। इसे हिरण के छोटे बच्चों का भी शिकार करते हुए देखा गया है। भारत में अंधविश्वासों एवं तंत्र मंत्र के कारण उल्लूओं का शिकार किया जाता है।
उल्लूओं में यह प्रजाति सर्वाधिक शिकार होने वाली प्रजाति है। जिसके कारण इसके अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है। वन विभाग द्वारा इसके शिकार की रोकथाम हेतु प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। सूचना के अनुसार राजकीय महाविद्यालय रानीखेत में कार्यरत डॉ दीपक उप्रेती तथा डॉ शंकर कुमार को चिलियानौला के जंगल में एक उल्लू घायल अवस्था में मिला। उनके द्वारा वन विभाग के अधिकारियों से संपर्क किया गया। प्रभागीय वनाधिकारी उमेश चंद्र तिवारी द्वारा तुरंत एक रेस्क्यू टीम उक्त उल्लू के रेस्क्यू हेतु मौके पर भेजी गई। यहां पर उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय की एनसीसी के सीनियर अंडर ऑफिसर चेतन मनराल द्वारा उक्त उल्लू के रेस्क्यू अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई गई। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ पुष्पेश पांडे द्वारा चेतन मनराल एवं स्टाफ के द्वारा पर्यावरण संरक्षण हेतु किए गए इस प्रयास की भूरी भूरी प्रशंसा की गई। इसके अतिरिक्त उनके द्वारा पर्यावरण संरक्षण में महाविद्यालय की सक्रीय भूमिका सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता भी व्यक्त की गई। प्रभागीय वनाधिकारी के द्वारा भी इस रेस्क्यू अभियान के सफल होने पर कार्मिकों का उत्साहवर्धन किया गया। वन विभाग के कार्मिकों के द्वारा अवगत कराया गया कि इस उल्लू को अल्मोड़ा स्थित रेस्क्यू सेंटर में स्वास्थ्य लाभ हेतु भेजा जाएगा और पूर्ण स्वस्थ होने पर इसे वापस जंगल में छोड़ दिया जाएगा। चिलियानौला के समाजसेवी रिटायर्ड सूबेदार मेजर सुरेंद्र शाह द्वारा भी वन विभाग एवं महाविद्यालय के कार्मिकों के द्वारा पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में किए गए इस प्रयास की सराहना की गई।