रानीखेत में जन्मे साहित्यकार,लेखक , पत्रकार त्रिनेत्र जोशी का निधन, साहित्य एवं पत्र जगत में शोक की लहर
रानीखेत: रानीखेत में जन्मे प्रसिद्ध कवि, पत्रकार और अनुवादक त्रिनेत्र जोशी का गुरूवार को हरियाणा के गुरुग्राम में निधन हो गया । वह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। त्रिनेत्र जोशी के निधन से पत्रकारिता व साहित्य जगत में शोक की लहर है।
साहित्यकार त्रिनेत्र जोशी का मूल रूप से गांव द्योलीखान शीतलाखेत था उनके पिता व्यवसाय के लिए रानीखेत आकर बस गए ,यहां सदर बाजार में अपर खडी़ बाजार तिराहे पर उनकी बिसातखाने की दुकान थी बाद में उन्होंने शंकर लाल बिल्डिंग (वर्तमान बंसल बिल्डिंग) में दुकान शिफ्ट की इसी बिल्डिंग में उनका निवास भी रहा। 26 मई 1948 को उत्तराखंड के रानीखेत में जन्मे त्रिनेत्र जोशी की इंटरमीडिएट तक शिक्षा स्थानीय मिशन इंटर कॉलेज से हुई। यहां से वे उत्तरकाशी गए जहां कुछ समय वे स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत रहे फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली चले गए । जे एन यू से उन्होंने हिंदी व चीनी भाषा में परास्नातक किया और वह देश के तमाम बड़े अखबारों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। वह देश के उन विरले अनुवादकों में थे जिन्होंने चीनी भाषा का साहित्य हिंदी साहित्यिक समाज को उपलब्ध कराया। बारिश में करुणानिधान, स्वतः स्फूर्त, यों ही व नववर्ष की पहरेदारी उनके द्वारा अनूदित महत्वपूर्ण कृतियां हैं। उनकी प्रमुख कृतियों में काव्य संग्रह- घूम गया कई मोड़, गर्मियाँ, चिट्ठी, जाते हुए, झिलमिल, नेकांत, भीतर-बाहर, महानगर और एक नाटक तूफान है।उन्होंने उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौर में देहरादून में उन्होंने हिमालय दर्पण अखबार की कमान भी संभाली थी। वह विदेश मामलों के भी बड़े जानकार थे और हालिया रूस यूक्रेन संकट, श्रीलंका संकट आदि पर उन्होंने महत्वपूर्ण टिप्पणियां लिखीं थीं।
जन्म स्थली रानीखेत से उनका बेहद लगाव था । अक्सर वे रानीखेत आते रहे। कभी अपने बच्चों के साथ तो कभी अकेले,वे अपने विद्यालय मिशन इंटर कालेज जाना नहीं भूलते थे। मेरे संपादकीय ‘कलम की नोक पर’वे हमेशा प्रोत्साहन भरी टिप्पणी देते थे,पढ़ने के बाद फोन जरूर करते।कभी-कभी किसी शब्द का अर्थ भी पूछ लेते। उनके हल्द्वानी में रहते मैंने उन्हें एकाधिक कार्यक्रम में रानीखेत आमंत्रित भी किया लेकिन स्वास्थ्य कारण से उन्होंने असमर्थता जाहिर की थी।