जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति द्वारा पौष त्योहार पर आयोजित वार्षिक मिलन समारोह सम्पन्न
सी एम पपनैं
नई दिल्ली– जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति दिल्ली (एनसीआर) द्वारा पौष त्योहार और नववर्ष 2025 के पावन अवसर पर समिति का 28वां वार्षिक मिलन समारोह एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का भव्य आयोजन 5 जनवरी को इंदिरापुरम (गाजियाबाद) स्थित आर्किड फार्म के विशाल प्रांगण में मुख्य अतिथि जनजातीय केंद्रीय कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम की प्रभावी उपस्थिति में धूमधाम के साथ आयोजित किया गया।
आयोजित पौष त्योहार महोत्सव का शुभारंभ मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री जुएल ओराम का मंच पर स्वागत अभिनन्दन ढोल-दमाउ की गूंजती स्वर लहरियों में समिति पदाधिकारियों में प्रमुख समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत सेवा निवृत आईआरएस, समिति अध्यक्ष मायाराम शर्मा तथा समिति पूर्व अध्यक्ष कुलानंद जोशी (आईएएस) तथा पदम सिंह नेगी इत्यादि द्वारा किया गया। मुख्य अतिथि तथा समिति पदाधिकारियों द्वारा अंचल के प्रेरक शहीदों में प्रमुख केदार सिंह चौहान, कलीराम बिष्ट, नंतराम नेगी गुलदार, पुनक दास व केसरी चंद के चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए। दीप प्रज्ज्वलित कर तथा सरस्वती वंदना और महासू स्तुति से आयोजित महोत्सव कार्यक्रमों का शुभारंभ किया गया।
समिति अध्यक्ष मायाराम शर्मा द्वारा मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों, समिति पदाधिकारियों तथा बड़ी संख्या में महोत्सव में उमड़े जौनसारी समाज के लोगों का स्वागत अभिनन्दन कर आयोजित 28वे पौष त्योहार महोत्सव तथा नववर्ष 2025 की बधाई दी गई। कहा, जौनसार की संस्कृति को जहां भी प्रवास में रहे सदा संजोए रखना है। अंचल के ग्रामीणों की आर्थिक सहायता तथा बच्चों के शैक्षिक व नैतिक उत्थान हेतु सदा तत्पर रहना है, जिससे अंचल की लोक संस्कृति बची रहेगी।
मायाराम शर्मा द्वारा कहा गया, पौष त्योहार का यह आयोजन एक उत्सव ही नहीं समाज उत्थान के लिए एक सामूहिक प्रयास है। मिल जुल कर आगे बढ़, सबकी मदद करने तथा समाज के सकारात्मक बदलाव हेतु समिति सदा तत्पर रहती आई है, भविष्य में भी यह क्रम जारी रहेगा।
मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री जुएल ओराम तथा समिति पदाधिकारियों के कर कमलों
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय फलक पर ख्याति प्राप्त सांस्कृतिक संस्था पर्वतीय कला केंद्र अध्यक्ष चंद्र मोहन पपनै, जौनसार अंचल की पूज्य सामोदेवी जी, स्वास्थ्य विभाग डीजी कंचन बिष्ट के साथ-साथ अन्य प्रतिष्ठित जनों में प्रमुख सुरेन्द्र सिंह चौहान, चमन सिंह रावत तथा दिनेश वर्मा के साथ-साथ विगत वर्ष सेवा निवृत हुए जौनसार बावर अचल के प्रबुद्ध जनों में प्रमुख मेहर सिंह चौहान तथा विजय पाल सिंह तथा उत्कृष्ट कार्यों हेतु समिति आजीवन सदस्य श्याम सिंह तोमर इत्यादि को पुष्प गुच्छ भेंट कर, टोपी पहना कर तथा शाल ओढ़ा कर तालियों की गड़गड़ा के मध्य सम्मानित किया गया।
जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति दिल्ली (एनसीआर) पदाधिकारियों द्वारा हर्षोल्लास और तालियों की गड़गड़ा के मध्य मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री जुएल ओराम को जौनसार बावर का पारंपरिक लिवाज गरम कोट पहना कर, शाल ओढ़ा कर, टोपी पहना कर व पुष्प गुच्छ भेंट कर सम्मानित किया गया।
समित चेयरमैन रतन सिंह रावत द्वारा मुख्य अतिथि तथा सभी प्रबुद्ध जनों का स्वागत अभिनन्दन करते हुए अवगत कराया गया, उल्लास का विषय है, समिति के 28 वर्षों के इतिहास में पहली बार आयोजित पौष त्योहार महोत्सव में केंद्र सरकार के किसी कैबिनेट मंत्री ने शिरकत की है जो जनजातीय क्षेत्र के सरोकारों के लिए सदा तत्पर रहते हैं। कहा गया, उनकी समिति और समाज के लोग माननीय कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम की उपस्थिति से कृतज्ञ हैं। कहा गया, माननीय मंत्री जी वर्ष 2015 में जौनसार गए थे। उनका जौनसार के लोगों के प्रति प्यार था जो आज इस पौष त्योहार महोत्सव में आए हैं। कहा गया, माननीय मंत्री जी ने जनजाति विभाग का कार्यभार संभालने के बाद जनजातीय समाज कल्याण के क्षेत्र में अतुलनीय कार्य कर समाज के लोगों के सरोकारों हेतु तत्पर होकर अति सराहनीय कार्य कर निरंतर ख्याति अर्जित की है।
समिति चेयरमैन द्वारा महासू देव के आशीर्वाद की कामना कर व्यक्त किया गया, वर्ष 1998 इंडिया गेट में समिति की स्थापना जिन उद्देश्यो की पूर्ति हेतु की गई थी, दिल्ली एनसीआर में जौनसार बावर के प्रवासरत सभी प्रतिबद्ध प्रबुद्ध सदस्यों के निरंतर मिल रहे सहयोग से समिति अपने उद्देश्यों की आशातीत सफलता की ओर अग्रसर है। अवगत कराया गया, दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत लगभग जौनसारी परिवार सुख-दुख में सांस्कृतिक, सामाजिक व अन्य गतिविधियों में सदा साथ रहे हैं। एकजुट होकर काम कर रहे हैं। जिससे समिति की गतिविधियों को निरंतर बल मिलता रहा है। समिति अपने उद्देश्यों की पूर्ति में निरंतर सफलता प्राप्ति की ओर अग्रसर हो रही है।
समिति चेयरमैन रतन सिंह रावत द्वारा मंत्री महोदय को उनकी समिति द्वारा जौनसार बावर जनजाति समाज के सरोकारों हेतु वर्ष 1997 से निरंतर किए जा रहे कार्यों के बाबत विस्तार से अवगत कराया गया। जौनसार जनजाति समाज के भावी उद्धार हेतु कुछ प्रमुख कार्यों हेतु केंद्र सरकार के संबंधित विभागों से मदद की गुहार की गई। मांग पत्र में लिखे गए जन व समाज हितैषी सरोकारों को पढ़ कर सुनाया गया तथा उक्त निवेदन पत्र को समिति ज्ञापन कार्यकारिणी द्वारा कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम को विनम्र निवेदन के साथ सौंपा गया।
मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम द्वारा अपने संबोधन में सभी मंचासीनों, विशिष्ट अतिथियों तथा उपस्थित जौनसारी जनजाति समाज के लोगों का अभिवादन कर कहा गया, वर्ष 2015 में वे जौनसार बावर गए थे वहां जौनसार के सांस्कृतिक कार्यक्रम देखे थे। जौनसार के लोग अति ठंड में रहते व जीवन यापन करते हैं। उनके राज्य उड़ीसा का भू-भाग माइनिंग का है। जौनसार और उड़ीसा जनजाति लोगों की संस्कृति एक समान है। उड़ीसा जनजाति समाज के लोगों में भी महिलाओं और पुरुषों में अंतर नहीं है जो जनजाति क्षेत्र के रहवासियों की विशेषता है।
केंद्रीय कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम द्वारा जौनसार समिति पदाधिकारियों को आश्वस्त किया गया उनके द्वारा निवेदन पत्र में अंकित सभी मांगे जो भवन निर्माण अनुदान, दस्तावेज में स्पेलिंग की गलती इत्यादि इत्यादि से संबंधित हैं उन पर अतिशीघ्र संज्ञान लेकर कार्य पुष्टि कर दी जाएगी। गजट में दस्तावेजों में आ रही गलती को तुरंत ठीक कर दिया जाएगा।
मंत्री महोदय द्वारा कहा गया, जौनसार बावर के लोगों के मध्य आकर अच्छा लगा। दिल्ली में रहना अच्छा नहीं लगता है। प्रदूषण बहुत है। अवगत कराया गया, उन्होंने वर्ष 1989 में भाजपा को ज्वाइन किया था, वर्ष 1990 में विधायक बने थे। दो बार विधायक, छह बार सांसद तथा तीन बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। चार पार्टी राष्ट्रीय अध्यक्षों के साथ कार्य किया है। इलैक्ट्रीकल इंजीनियर हैं। अतिरिक्त शिक्षा नहीं है।
मंत्री जी द्वारा कहा गया, उनके गांव में पानी, बिजली व स्कूल कुछ नहीं था, स्थानीय विधायक मिलने से मना कर देता था। स्वयं विधायक बन, ग्रामीण जनों के सरोकारों के लिए कार्य किया, उन्हें अंजाम तक पहुंचाया। इसीलिए आज तक कायम हूं। काम करते करते यहां तक पहुंच गया हूं। जनमानस का काम करना है, फाइलो में आर्डर करना है। मंत्री महोदय द्वारा कहा गया, जौनसार बावर समिति द्वारा दिए गए मांग पर अंकित सभी कार्य पूर्ण होंगे।
जनजातीय केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम द्वारा कहा गया,जो मेरे घर आता है उसे वही खाना खिलाता हूं जो मैं खाता हूं। मिलन समारोह करना बहुत बड़ी बात है। रोजगार की आपाधापी में अपने अंचल से पलायन कर महानगरों में आ गए हैं, प्रवास में रह कर एक साथ मिलन समारोह में मिल रहे हैं, नाच गा रहे हैं। कहा गया, मैं भी नाचता हूं, गाना गाता हूं ये अच्छी परिपाटी है। महानगर में अपनी परंपरा में रहना है, जहां से आए हैं उसे याद रखना है। वन्देमातरम व भारत माता की जय उदघोष करने के बाद जनजातीय केंद्रीय मंत्री जुएल ओराम जौनसार बावर के सांस्कृतिक दल के साथ नाच गा कर पौष त्योहार व नववर्ष की खुशी में प्रतिभाग कर आयोजित महोत्सव को गरिमा प्रदान की गई।
जौनसार बावर समिति पदाधिकारियों, जौनसारी महिलाओं व पुरुषों द्वारा परंपरागत परिधान में मुख्य अतिथि केबिनेट मंत्री जुएल ओराम के साथ हारूल, जैंता तथा रासो सामूहिक लोकनृत्य किया गया। केबिनेट मंत्री जुएल ओराम जो स्वयं उड़ीसा की जनजाति से ताल्लुक रखते हैं बड़ी देर तक जौनसारी महिलाओं और पुरुषों के साथ जनजातीय समाज के पारंपरिक नृत्यों में कदम ताल कर नाच गा कर खुशी मनाते रहे।
जौनसार बावर के लोगों द्वारा मिलन समारोह में अंचल के पारम्परिक वस्त्र धारण कर पीढ़ी दर पीढ़ी अग्रसर हो रहे नृत्यों को सामूहिक गोल घेरा बना कर संगीत की धुन में झूमते व गाते हुए पौष त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।
अवलोकन कर व्यक्त किया जा सकता है, जौनसार बावर की विशेष पहचान यहां की पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही लोक संस्कृति की परंपरा के साथ-साथ अंचल के लोगों की आवाभगत व परस्पर उच्च जन भावना की परिपाटी का चलायमान रहना मुख्य विशेषता रही है। नि:स्वार्थ भाव से एक दूसरे के लिए समर्पित रहने वाले जौनसारी समाज में अनेकों ऐसी विशेषताऐ दृष्टिगत होती हैं, जो वैश्विक फलक पर हो रहे बिखराव के दौर में भी एक जुट, एक मुट होकर दुनिया के लिए प्रेरणा का संदेश देने का काम कर रही है।
देखा जा रहा है वैश्विक फलक पर चलायमान लाखों बोलियां और भाषाऐ अपनी संस्कृति समेत या तो खत्म हो चुकी हैं या फिर विलुप्ति की कगार पर हैं, लेकिन जौनसार बावर का सामाजिक और सांस्कृतिक वजूद अपनी बोली-भाषा के साथ परंपरागत रूप में आज भी यथावत चलायमान है, उसका संवर्धन पीढ़ी दर पीढ़ी होता चला गया है। जौनसार बावर के गांवो में ही नहीं, प्रवास में भी जौनसार का जनमानस जहां कहीं भी प्रवासरत है उनकी पारंपरिक लोकसंस्कृति और समाज की जड़े आपस में गहरी पैंठ बनाए हुए है।
जौनसार बावर का उत्सवधर्मी समाज अपनी सरल सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक मान्यताओं के चलते अपने आप में विशिष्ट स्थान रखता है। नृत्य संगीत जौनसारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। त्योहारों के दौरान महिलाऐ घाघरा, कुर्ती, झगा, मेकड़ी और ढाँटू के साथ-साथ पारंपरिक जेवरो में हाथों में सोने की चूड़ियां, नाक मे बुलाक या नथ, गले मे कोंठी, चांदी का सूच, कानों मे तुंगल, दोसरू व सिर पर मांग टीका तथा पुरुष ऊन की जंगोल (पयजामा), झगा (कुर्ता), डिगुवां टोपी के साथ लम्बा चौड़ा पहन, लोक संगीत की धुन मे मशगूल हो वरदा, नाटी, हारुल और रासो जैसे लोकनृत्य करते नजर आते हैं।
इस जनजातीय क्षेत्र का सामाजिक और सांस्कृतिक ताना बाना यहां के वाशिंदों के अराध्य
देवताओं और उनके नायको के इर्द-गिर्द घूमता हुआ मिलता है। जो आयोजित सांस्कृतिक आयोजन को देख स्पष्ट दृष्टिगत होता नजर आया है।
दिल्ली एनसीआर में प्रवासरत जौनसारी जनमानस के मध्य सांस्कृतिक विशेषताऐ और परंपराऐ कायम हैं, जो इस समाज के लोगों की खास पहचान है। जौनसार की लोकसंस्कृति कुमाऊ और गढ़वाल से बिल्कुल अलग है। यह समुदाय अपने तीज-त्योहारों व आयोजनों को जश्न पूर्वक मनाता है। सभी पर्वो पर महिला हो या पुरुष अपने परंपरागत पहनावे में ही दिखाई देते हैं। अपने पारंपरिक वेषभूषा में लोकनृत्य बारदा, नाटी और हारुल सभी समारोहों मे प्रदर्शित करते हैं। झैता, रासो भी जौनसारी महिलाओं के लोकनृत्यो में सुमार रहे हैं।
देश ही नहीं बल्कि दुनिया में अनूठी लोकसंस्कृति और परंपराओ के लिए विख्यात इस क्षेत्र की परंपराऐ व रीति-रिवाज भी अनूठे हैं। जिसके लिए इस क्षेत्र को इस आधुनिक दौर में भी खास तौर से जाना पहचाना जाता है। पौराणिक लोकसंस्कृति व पहनावा आज की आधुनिकता के बदलते युग में भी यहां के जनमानस के मध्य कायम है। महिलाओं का ऐसा पहनावा कहीं देखने को नहीं मिलता है, जहां पूरा शरीर वस्त्र से ढका रहता है। साथ ही कोई भी आयोजन हो उसे सामूहिक रूप से मनाकर अपनी एक जुटता को प्रदर्शित करना भी इस समाज के लोगों की विशेषता रही है।
इस वर्ष 2025 में जनजाति विभाग से जुड़े केंद्रीय कैबिनेट मंत्री जुएल ओराम का जौनसार बावर जनजातीय कल्याण समिति द्वारा आयोजित पौष त्योहार महोत्सव में शिरकत करने से निश्चय ही जौनसारी समाज के लोगों को अत्यधिक बल मिलता नजर आया है, मंत्री महोदय के आगमन ने अंचल के लोगों का दिल भी जीता है। इस समाज के लोगों का उत्साह वर्धन कर इस समाज की भावी उम्मीदों को कायम रखा है।
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