राष्ट्रपति द्वारा अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए उत्तराखंड के जहूर आलम और डॉ.राकेश भट्ट

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सी एम पपनैं

नई दिल्ली। देश का सबसे प्रतिष्ठित ‘संगीत नाटक अकादमी सम्मान’ वर्ष 2022 तथा 2023 का विशेष अलंकरण समारोह 6 मार्च 2024 विज्ञान भवन, नई दिल्ली में आयोजित किया गया। मुख्य अतिथि भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु के कर कमलों तथा केन्द्रीय संस्कृति, पर्यटन एवं उत्तर पूर्वी क्षेत्र विकास मंत्री मंत्री जी किशन रेड्डी, राज्यमंत्री विधि और न्याय (स्वतंत्र प्रभार) संसदीय कार्य एवं संस्कृति मंत्री भारत सरकार अर्जुन राम मेघवाल, संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा डॉ. संध्या पुरेचा तथा सचिव संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार गोविंद मोहन मंचासीनों की उपस्थिति में उक्त सम्मान प्रदान किए गए।

देश के सबसे प्रतिष्ठित ‘संगीत नाटक अकादमी सम्मान’ वर्ष 2023 से उत्तराखंड के सम्मानित होने वाले जहूर आलम को नाट्य निर्देशन तथा डॉ.राकेश भट्ट को लोक रंगमंच के क्षेत्र में महामहिम राष्ट्रपति के कर कमलों सम्मानित किया गया। उत्तराखंड की उक्त दोनों विभूतियों को ताम्रपत्र व एक लाख रुपया प्रदान किया गया।

सरोवर नगरी नैनीताल में जन्मे तथा नगर की प्रमुख नाट्य व सांस्कृतिक संस्था ‘युगमंच’ के संस्थापक सदस्य, पांच दशकों से निरंतर रंगमंच व नाट्य निर्देशन से जुडे़ रहे तथा क्षेत्रीय व राज्य स्तर पर करीब चौबीस सम्मानों से नवाजे जा चुके सुप्रसिद्ध रंगकर्मी व नाट्य निर्देशक जहूर आलम द्वारा अंधायुग, अंधेर नगरी, भारत दुर्दशा, जुलूस, एक था गधा, नाटक जारी है, होली थियेटर, कबिरा खड़ा बाजार में इत्यादि इत्यादि जैसे नाटकों के साथ-साथ टेली फिल्मों व सीरियलों में अभिनय कर अपार ख्याति अर्जित कर न सिर्फ अपना नाम रोशन किया बल्कि उत्तराखंड सहित देश के रंगमंच व विविध सांस्कृतिक विधाओं को समृद्ध करने में बड़ा योगदान दिया है।

रुद्रप्रयाग के ऊखीमठ विकास खंड स्थित मंगोली गांव के मूल निवासी व वर्तमान में दून विश्व विद्यालय में रंगमंच व कला प्राध्यापक डॉ.राकेश भट्ट विगत तीन दशकों से निरंतर रंगमंच से जुड कर नाट्य संस्था ‘उत्सव’ के द्वारा उत्तराखंड के पौराणिक पांडव नृत्य, चक्रव्यू, कमलव्यू, जीतू बग्ड़वाल तथा नंदा देवी पर लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुतियां मंचित कर ख्यातिरत रहे हैं। अब तक करीब तीस से अधिक नाटकों में अभिनय, निर्देशन, कोरियोग्राफी, संगीत निर्माण इत्यादि की विभिन्न विधाओं में प्रभावशाली कार्य कर गौरव हासिल कर चुके हैं। स्थानीय युवाओं के सांस्कृतिक क्षेत्र में प्रेरणाश्रोत हैं। जिस बल अंचल के स्थानीय युवा पौराणिक धरोहरों के संरक्षण और प्रसार में जुटे देखे जा सकते हैं।

संपन्न हुए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कारों के तहत गीत, संगीत, नृत्य तथा नाट्य कला की विभिन्न विधाओं पर श्रेष्ठ कार्य कर रहे देश के लगभग राज्यों के 92 प्रबुद्ध कलाकारों को राष्ट्रपति के कर कमलों अकादमी रत्न सदस्यता सम्मान तथा संगीत नाटक अकादमी सम्मान से सम्मानित होने का गौरव प्राप्त हुआ।

अकादमी रत्न सदस्यता सम्मान से विनायक खेडेकर, आर विश्वेश्वरन, सुनयना हजारीलाल, राजा और राधा रेड्डी, दुलाल राय तथा डी पी सिन्हा को राष्ट्रपति के कर कमलों नवाजा गया।

सम्मान समारोह का श्री गणेश, राष्ट्रगान से किया गया। तत्पश्चात केन्द्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा राष्ट्रपति को स्मृति चिन्ह भैट किया गया। संगीत नाटक अकादमी अध्यक्षा डॉ.संध्या पुरेचा द्वारा मंचासीन महामहिम राष्ट्रपति तथा अन्य मंचासीनों के साथ-साथ सम्मानित किए जा रहे सभी विभूतियों तथा खचाखच भरे विज्ञान भवन में उपस्थित प्रबुद्घजनों व पत्रकारों का स्वागत अभिनंदन कर, अकादमी की स्थापना, इतिहास, कार्यो व मिली उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया। कहा गया, विरासत को जीवंत रखने में सम्मानित हो रहे कलाकारों का बड़ा योगदान रहा है। अकादमी का व्यापक क्षेत्र है, विलुप्त होती लोककला का संरक्षण करना अकादमी का कार्य है। अकादमी गुरु शिष्य की परंपरा को बनाए रखने के लिए कृतसंकल्प है।

केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल द्वारा कहा गया, भारतीय संस्कृति को वैश्विक फलक पर बढ़ाना जरुरी है। साधक आता है तो संस्कृति खुश होती है।

केन्द्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी द्वारा सम्बोधन में सभी सम्मानित कलाकारों का भारत सरकार व स्वयं की ओर से आभार व्यक्त किया गया। बधाई दी गई। कहा गया, 92 कलाकारों को सम्मान दिया, यह सम्पूर्ण कला क्षेत्र व कलाकारों का सम्मान है। कहा गया, 1952 से अकादमी कार्यरत है। समस्त क्षेत्र में भारत की तरक्की को सराहा जा रहा है। भारत की महान कला संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने की कामना करता हूं।

व्यक्त किया गया, भारतीय संस्कृति व लोककला हमे एकता के सूत्र में बांधती है, पहचान दिलाती है। एक पीढी से दूसरी पीढी में आदान-प्रदान कराती है, जिससे प्रेरणा लें। भावी पीढी उस कला-संस्कृति को अपना कर अपना स्वयं के साथ-साथ देश व जन समाज का परंपरागत रूप में सांस्कृतिक व सामाजिक विकास करती है, कामना करता हूं यह क्रम बना रहे।

संस्कृति मंत्री द्वारा आहवान किया गया, सम्मानित सभी विभूतियां कला संस्कृति से जुडी सभी विधाओं में हाथ आगे बढ़ा, राष्ट्रनिर्माण में योगदान दें। सम्मानित हुए कलाकार, भावी पीढी का मार्ग दर्शन कर, देश-दुनिया में विश्वगुरु का परचम लहराऐ।

संस्कृति मंत्री द्वारा अवगत कराया गया, प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय लोक संस्कृति को एक दृष्टिकोण के रूप में आगे रख, प्रोत्साहन देने की योजना है, जिसे बडे पैमाने पर आगे बढ़ाया जायेगा। सम्मानित कलाकारों से केन्द्रीय संस्कृति मंत्री द्वारा आग्रह किया गया, वे लोक संस्कृति के संवर्धन व संरक्षण पर अपने स्वतंत्र विचार व राय देकर संस्कृति मंत्रालय को दिशा प्रदान कर सकते हैं, जो राष्ट्र निर्माण की मजबूती के लिए महत्वपूर्ण होगा।

सम्मान समारोह मुख्य अतिथि महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा व्यक्त किया गया, सात दशकों से विभिन्न कला विधाओं को बढ़ावा मिला है। अकादमी द्वारा किए जा रहे कार्य महत्त्वपूर्ण हैं। भारत की सांस्कृतिक विरासत का महत्त्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन काल से ही कलाकारों को सम्मान मिलता रहा है। भारत की कलाओं में व्यापक समग्रता मिलती है, जो अन्य में दुर्लभ है। कला में मनुष्य स्वयं को अभिव्यक्त करता है। कला के सामाजिक उद्देश्य भी होते हैं। कलाकार अपनी कला के माध्यम से पूर्वाग्रहों को चुनौती देते हैं, लोगों को जगाते रहते हैं। यह विभिन्न कलाओं का अंग है।

महामहिम राष्ट्रपति ने कहा, आज मानसिक समस्या बढ़ रही है, भौतिक सुख को महत्व दे रहे हैं। कला से जुड़ाव हमे आगे बढ़ाता है, हमे मूल से जोड़ता है। लोक जीवन में संचार पैदा करने के लिए लोकगीत, लोकसंगीत का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अकादमी के द्वारा किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा करती हूं। जो कलाकार साधन संपन्न नहीं हैं अकादमी ऐसे कलाकारों को महत्व देगी। कला लोगों में समरसता व सदभाव पैदा करती है। अकादमी की गतिविधियां लोगों के कर्तव्यों से जुड़ी हुई हैं। नाटक के विभिन्न रूपों व विधाओं तथा अन्य कलाओं को और भी अधिक संपन्न बनाए।

मुख्य अतिथि द्वारा व्यक्त किया गया, हमारा देश, हमारी संस्कृति प्राचीन काल से चली आ रही है। देश मे अलग-अलग बोली भाषाऐ हैं। अलग-अलग लोककलाऐ हैं। पूरा जीवन कला को समर्पित करने वालो को सम्मान मिलना चाहिए। जो कला का संवर्धन व संरक्षण कर रहे हैं, अकादमी उनको प्रोत्साहन दे, सम्मान दे। हमारी लोककला व संस्कृति बहुत समृद्ध है। इसके संवर्धन व संरक्षण का हर प्रयास किया जाए।

महामहिम राष्ट्रपति द्वारा कहा गया, भारतीय कला का हर पक्ष सुंदर व मजबूत है, यह हमारी संस्कृति का मुख्य भाग है। जो जीवन को आगे बढ़ाते हैं, मनोरंजन करवाते हैं, चेतना जगाते हैं। सरकार ही नहीं हम सबका कर्तव्य बनता है, अपनी लोककला व संस्कृति को समृद्ध करे। लोककला का हास न होने दै। सभी सम्मानित हुए कलाकारों को पुन: बधाई देते हुए महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु द्वारा संबोधन समाप्त किया गया। राष्ट्रगान के साथ ही अकादमी सम्मान समारोह का समापन हुआ।
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