तो क्या हरीश रावत रामनगर से शमशीर उठाकर देंगे, रणजीत के “कांपते हाथों से कभी शमशीर नहीं उठती..” का जवाब?
अपने राजनैतिक गुरु हरीश रावत से संबंधों में तल्खी आने के बाद रणजीत रावत ने उनपर तंज कसा था कि कांपते हाथों से कभी शमशीर नहीं उठा करती।तो क्या अब हरीश रावत रामनगर सीट से ही शमशीर उठाकर रणजीत रावत को इसका जवाब देने जा रहे हैं? रामनगर सीट से रणजीत रावत की लम्बे वक्त की तैयारी के बीच अंत समय में हरीश रावत ने अपना नाम फंसाकर जिसतरह उन्हें सल्ट खदेड़ने की योजना बनाई है उसे देखकर तो लगता है की रामनगर में कांग्रेस के लिए अब राह आसान नहीं।
कांग्रेस ने बीती रात्रि अपनी सुलझ चुकी सीटों में टिकट की घोषणा की थी और उलझी हुई सीटों पर टिकट का बंटवारा रोक दिया था इन्हीं में रामनगर सीट भी है।दस दिन पहले तक यहां से रणजीत रावत की तैयारियों को देखते हुए ये सीट उनके लिए तय मानी जा रही थी और हरीश रावत के डीडीहाट से चुनाव लड़ने की खबरें मीडिया में तारी थी लेकिन सप्ताह भर से रामनगर सीट से पूर्व सीएम रावत का नाम उभरने से रणजीत रावत और हरीश रावत की अंदरूनी लडा़ई ने सुर्खियां पाना शुरू कर दिया था।दर असल रामनगर से कांग्रेस के तीन दावेदारों ने पार्टी नेतृत्व को प्रस्ताव भेज कर हरीश रावत को रामनगर से टिकट देने पर उनका समर्थन करने की बात कही थी।वहीं रणजीत रावत के प्रबल समर्थक नगर पालिका अध्यक्ष हाजी मो.अकरम ने भी रणजीत के अलावा किसी और को टिकट दिए जाने पर खुद चुनाव लड़ने की घोषणा की थी। इस तरह टिकट से पहले ही यहां कांग्रेस में गुटबाजी स्पष्ट दिखाई देने लगी ।
सूत्र बताते हैं कि जल्द ही जारी होने वाली दूसरी लिस्ट में हरीश रावत का नाम रामनगर से और रंजीत रावत का नाम सल्ट से जारी कर दिया जा सकता है।सूत्र यह भी बताते हैं कि रणजीत रावत सल्ट से लड़ने को तैयार नहीं हैं क्यों कि पिछले कुछ वर्षों में रामनगर में वह अपनी सियासी जमीन मजबूत कर चुके हैं ऐसी स्थिति में उनके रामनगर सीट से निर्दलीय लड़ने की भी संभावना जताई जा रहीं है।कुल मिलाकर अब तक के हालात ऐसे बन रहे हैं कि अगर रामनगर सीट से कांग्रेस हाईकमान ने हरीश रावत को हरीझंडी दी तो किसी दौर में जय- वीरू जैसी जोडी़ बने हरीश रावत और रणजीत रावत एक ही मैदान में आने से रामनगर का चुनाव दिलचस्प जरूर बन जाएगा।