कुक्कुट रोग का नाम ‘रानीखेत डिजीज़’ होने पर आपत्ति जाते हुए प्रतिनिधिमंडल ने सीएम से की मुलाकात,कहा नाम बदलवाने के लिए करें प्रयास

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रानीखेत:भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेश सह मीडिया प्रभारी विमला रावत के नेतृत्व के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर पूर्व में ब्रिटेन के न्यू कैसल शहर से उपजे विषाणु का नाम रानीखेत डिजीज रखे जाने पर आपत्ति जताते हुए इसका नाम बदलने के लिए अपने स्तर पर प्रयास करने का अनुरोध किया।
प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री को बताया कि सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थल है रानीखेतकको लेकर ब्रितानी दौर में मुर्गियों में होने वाली एक बीमारी का नाम तत्कालीन ब्रिटिश सरकार के विशेषज्ञों ने रानीखेत वायरस रख दिया था। जबकि रानीखेत से कुक्कुट रोग से कोई लेना देना नहीं था। यह रोग कुक्कुट की सबसे गंभीर विषाणु जनित बीमारियों में से एक है। इस रोग के विषाणु पैरामाइक्सों को पहले न्यू कैसल डिजीज के नाम से जाना जाता था। ब्रिटिश शासनकाल में अंग्रेज वैज्ञानिकों ने इस बीमारी नाम रानीखेत विषाणु यानि रानीखेत वायरस रख दिया।
महोदय आपके संज्ञान में लाना है कि 1938 में ब्रिटेन के न्यू कैसल नगर में मुर्गियों में जानलेवा रोग फैला। तब विषाणुजनित रोग का नाम न्यू कैसल रखा गया। मगर कुछ समय बाद यही रोग भारत में फैला तो अंग्रेजी हुकूमत ने इसका नाम बदलकर रानीखेत वायरस नाम दे दिया। वर्ष 2012 में रानीखेत वायरस में अभियान भी चला। प्रधानमंत्री कार्यालाय (पीएमओ) में शिकायत भी दर्ज कराई गई थी। दरअसल, रानीखेत वायरस नाम दिए जाने से कुमाऊं के एक विख्यात व खूबसूरत पर्यटक स्थल की छवि धूमिल होती है।
महोदय, यह भी संज्ञान में लाना है कि स्वतंत्रता के बाद भारत सरकार को गुलामी के दौर में दिए गए आपत्तिजनक नामों को बदल देना चाहिए था। मगर अफसोस कि 74 वर्षों बाद भी रानीखेत की खूबसूरती पर लगे बदुनमा दाग को धोया नहीं जा सका है। जबकि मुर्गियों में फैला वायरस विदेशी धरती से उपजा था लेकिन तब के अंग्रेज विज्ञानियों ने इसका नाम रानीखेत वायरस रखा जो स्वीकार योग्य नहीं है। इस नाम के कारण विदेशों में कुमाऊं के रानीखेत की छवि बीमारग्रस्त नगर के रूप में हो रही है। मात्र सात किमी दूर चिलियानौला स्थित हैड़ाखान मंदिर में विदेशी श्रद्धालु हवन यज्ञ के लिए पहुंचते हैं मगर आज भी संक्रमण के भय से विदेशी श्रद्धालु रानीखेत नगर में घूमने की हिम्मत नहीं कर पाता।
प्रतिनिधिमंडल ने बताया कि ब्रिटिशकाल में किसी बीमारी को स्थान विशेष के नाम से जोडऩे का चलन शुरू हुआ था। 2010 में “न्यू डेल्ही मेटालो बेटा लैटमसे” नामक रोग का पुरजोर विरोध हुआ था। भारत की राजधानी न्यू दिल्ली का नाम दिए जाने पर इस बीमारी का नाम बदला गया था। महोदय “जीका” बीमारी का नाम दिए जाने पर टाटा मोटर्स की जीका कार मॉडल का कंपनी ने अपनी कार के मॉडल का नाम ही बदल दिया था।

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प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री को जानकारी दी कि विश्व स्थास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने वर्ष 2015 में एक वैकल्पिक व्यवस्था भी दी है। इसके तहत यदि किसी मित्र राष्ट्र को किसी बीमारी के नाम पर नकारात्मक बोध होता है तो उसे बदल देना चाहिए। साथ ही मुख्यमंत्री से विनम्र अनुरोध करते हुए केंद्र सरकार से वार्ता कर रानीखेत वायरस नाम बदल कुमाऊं की पर्यटक नगरी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छवि सुधारने के लिए ठोस पहल करने की मांग की।
बाद में प्रतिनिधि मंडल ने विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी और पशुपालन मंत्री सौरभ बहुगुणा को भी इस आशय का ज्ञापन सौंपा।प्रतिनिधि मंडल मेंपूर्व पार्षद माया बिष्ट,नवीन रावत,रेखा आर्या आदि शामिल रहे।

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