पैंशनर्स के आंदोलन को दो माह पूरे, आज स्याल्दे विकासखंड के पैंशनर्स ने दिया धरना
भिकियासैंण:- तहसील मुख्यालय पर उत्तराखंड गवर्नमेंट पैशनर्स संगठन के आन्दोलन को आज दो महीने पूरे हो गए हैं। लेकिन सरकार ने अभी तक आन्दोलनकारियों की सुध नहीं ली है। सरकार के इस अड़ियल रुख से आंदोलनकारियों का आक्रोश बढ़ रहा है।
आज पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार स्याल्दे विकासखंड के पैशनर्स ने धरना दिया। धरना स्थल पर आन्दोलनकारियों द्वारा जमकर सरकार विरोधी नारे लगाए गए और जनकवि गिर्दा के प्रेरणादायक गीतों से वातावरण गुंजायमान हो गया। बैठक को संबोधित करते हुए संगठन के अध्यक्ष तुला सिंह तड़ियाल ने कहा कि, हमारे आन्दोलन को आज दो महीने पूरे हो गए हैं परन्तु सरकार को इस आंदोलन से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने कहा एक ओर मोदी सरकार हवाई जहाज के किराए में भी सीनियर सिटीजन को 50 प्रतिशत छूट देने की बात करती है वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार पैशनर्स की पैंशन से जबरन उनकेे वेतन लेबल के अनुसार न्यूनतम 250 और अधिकत्तम 1000 रुपए की कटौती कर रही है। यह संविधान के अनुच्छेद 300 के अनुसार अवैधानिक है। महज़ इस कटौती को बन्द करने व अभी तक काटी गई राशि मय ब्याज वापस करने की मांग को लेकर चले यह आन्दोलन 60वें दिन में प्रवेश कर गया है। ऐसा अभूतपूर्व आन्दोलन अभी तक के इतिहास में देखने को नही मिला है। आन्दोलनकारियों को देखकर हर कोई हैरान हो जा रहा है। कोई एक पैर के सहारे बैशाखी से आ रहा है तो किसी के कमर में पेशाब की थैली लटकी हुई है देखने से लगता है उसका अभी अभी आपरेशन हुआ है किसी के हार्ट की सर्जरी हुई है तो कोई दवाईयां अपने जेब में रख कर ला रहा है। एक सौ वर्ष की उम्र पार कर चुके व्यक्ति भी इस आंदोलन में सिरकत कर रहा है 91 वर्ष की उम्र पार चुके श्री देब सिंह घुगत्याल जी ने मांग नहीं माने पर सरकार को आमरण अनशन करने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा उत्तराखंड ऐसा पहला राज्य है जहां पैंनशनर्स से गोल्डन कार्ड के नाम पर जबरन वसूली हो रही है। लेकिन सुविधा के नाम पर यह कार्ड फिसड्डी साबित हो रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में अभी तक दस प्रतिशत लोगों के कार्ड नहीं बने हैं । लेकिन कटौती बदस्तूर जारी है । उन्होंने कहा उत्तराखंड स्वास्थ्य प्राधिकरण लूट का अड्डा बना हुआ है। बैठक को पूर्व प्रधानाचार्य गंगा दत जोशी, देब सिंह घुगत्याल, ए पी लखचौरा, बालम सिंह बिष्ट, मोहन सिंह नेगी, किसन सिंह मेहता, डॉ विश्वम्बर दत्त सती,भगवन्त सिंह बंगारी, धनीराम टम्टा, मदन सिंह नेगी, तुला सिंह तड़ियाल देबी दत्त लखचौरा, बालम सिंह रावत, गंगा दत्त शर्मा, राम सिंह बिष्ट, देब सिंह बंगारी, कमल नाथ गोस्वामी, राजेन्द्र सिंह मनराल, गोपाल दत्त बवाड़ी, शंकर दत्त बवाड़ी आदि लोगों ने सम्बोधित किया।