“उत्तराखंड मेरी मातृभूमि” यू एस में रहकर भी जड़ों से जुड़ा है वैज्ञानिक डॉ. शैलेश उप्रेती
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
अल्मोड़ा जिले के तल्ला ज्लूया (मनान) निवासी वैज्ञानिक-उद्यमी डॉ. शैलेश उप्रेती की कंपनी चार्ज सीसीसीवी (सी4वी) ने 5 लाख डॉलर (करीब 34.2 करोड़ रुपए) का पुरस्कार जीता है।बिंगमटन यूनिवर्सिटी में हुए अवार्ड समारोह में न्यूयॉर्क की लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने 9 महीने चली इस प्रतियोगिता को जीतने पर शैलेश को पुरस्कार दिया। इस प्रतियोगिता में विश्व की 175 कंपनियों ने हिस्सा लिया था। शैलेश की कंपनी चार्ज सीसीसीवी, न्यूयार्क को यह पुरस्कार 20 से 22 घंटे का बैकअप देने वाली बैटरी बनाने पर दिया गया है।न्यूयॉर्क राज्य ऊर्जा अनुसंधान और विकास प्राधिकरण की ओर से न्यूयार्क की अर्थव्यवस्था और पर्यावरण सुधार के विकल्प पर कार्य करने के मिशन को बढ़ावा के लिए दुनियाभर की कंपनियों में प्रतिस्पर्धा कराई गई थी। जनवरी में शुरू हुई प्रतियोगिता 8 चरणों में हुई और 6 अक्तूबर को पुरस्कार की घोषणा हुई थी। 30 नवंबर को न्यूयॉर्क में लेफ्टिनेंट गवर्नर कैथलीन होचूल ने डॉ. शैलेश को यह पुरस्कार दिया।यह तकनीक अगली पीढ़ी के लिए ऐसी बैटरी तैयार करती है, जिससे सौर ऊर्जा को स्टोर करने के साथ ही बिजली से चलने वाली कारों, ट्रकों और बसों को चलाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। ऐसी बैटरी के निर्माण के लिए न्यूयार्क और विश्व स्तर पर कई कंपनियों को इस तकनीक का लाइसेंस दिया गया है।उन्होंने बताया कि जो टेक्नोलॉजी हम विकसित करने की ओर अग्रसर हैं, वह प्लेटफार्म टेक्नोलॉजी से ली गई है। शैलेश के पिता रेवाधर उप्रेती ने बताया कि शैलेश ने 2013 में अमेरिका में बैटरी बनाने वाली सीसीसीवी बिंगमटन न्यूयार्क कंपनी की स्थापना की।डॉ. शैलेश उप्रेती ने बताया कि वह भारत में भी उन्नत लिथियम ऑयन बैटरी के निर्माण की योजना पर काम कर रहे हैं। मेक इन इंडिया अभियान के चलते भारत एक स्थायी सामाजिक और आर्थिक विकास के बदलाव को लाने को तैयार है। स्वच्छ भारत के बाद अगला मकसद हरित भारत हो सकता है, जिसमें देश की बिजली और परिवहन आवश्यकताओं को हरित ऊर्जा के विकल्पों में बदला जा सकता है। उन्होंने दावा किया कि भविष्य में बैटरी डीजल और पेट्रोल की जगह लेकर रहेंगे।डॉ. शैलेश उप्रेती को पहाड़ से काफी लगाव है। उन्होंने बेड़ूपाको डॉट काम नाम से वेबसाइट भी बनाई है, जो उनके पहाड़ के प्रति प्रेम को दर्शाता है। डॉ. शैलेश ने बताया कि उन्होंने ऐसी तकनीक को पेटेंट कराया है, जो न केवल लिथियम ऑयन बैटरी के जीवनकाल को 20 साल के लिए बढ़ाता है, बल्कि उसकी भंडारण क्षमता और शक्ति में सुधार के साथ ही आग या शॉर्ट सर्किट की स्थिति में उसका तापमान कम कर देता है।कुमाऊं विश्वविद्यालय के विजिटिंग प्रोफेसर तथा न्यू यॉर्क के सी 4 वी कंपनी के फाउंडर तथा सीईओ डॉक्टर शैलेश उप्रेती ने ऑनलाइन माध्यम से सिंक्रोनाइजिंग मॉलिक्यूल्स तो मशीन फॉर द बेटरमेंट ऑफ ह्यूमन कायिंद पर व्याख्यान दिया। डॉक्टर शैलेश उप्रेती ने विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा की बागेश्वर से हाईस्कूल करने के बाद उन्होंने भक्तोला से इंटर ,एसएसजे परिसर से बीएससी,मैक्स बाद आईआईटी दिल्ली से पीएचडी की और फिर अमेरिका चले गए ।डॉक्टर शैलेश ने कहा की लिथियम बैटरी सोडियम बैटरी से बहुत कारगार है।तथा लिथियम बैटरी कार , स्कूटी में इस्तेमाल हो रही है। जो उसकी कारगरता एवम मानव की सहायता कर रही है। विज्ञान ने मानव का जीवन सरल किया है । डॉक्टर उप्रेती ने कुमाऊं विश्वविधालय को शोध हेतु 8 लाख रुपया प्रदान किया है ।रसायन तथा भौतिकी के दो दो शोधार्थियों को 8000 रुपया तथा आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी विद्यार्थियो तीन को 5000 रुपया प्रदान करेंगे। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने मंगलवार को सचिवालय में विभिन्न देशों में निवास कर रहे प्रवासी उत्तराखंडियों से वर्चुअल संवाद करते हुए उन्हें विदेशों में उत्तराखंड का ब्रांड अम्बेसडर बताया। उन्होंने कहा कि प्रवासी उत्तराखंड वासियों ने अपनी मेहनत, लगन एवं बौद्धिक क्षमता से उत्तराखंड के बाहर देश-विदेश में अपनी पहचान बनायी है। उन्होंने सभी से अपेक्षा की कि वे अपनी जन्म भूमि के किसी दुर्गम क्षेत्र के गांव को गोद लेकर उसके समग्र विकास में सहयोगी बनें। इसमें राज्य सरकार भी सहयोगी रहेगी।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रवासी उत्तराखंडवासियों के सहयोग एवं सहायता के लिये पूर्व में प्रवासी सेल बनाया गया था। इसे और अधिक सुविधा युक्त बनाये जाने के लिये प्रवासी उत्तराखण्ड बोर्ड का भी गठन किया जायेगा। साथ ही प्रवासी भारतीय दिवस की भांति राज्य में देश व विदेशों में रहने वाले प्रवासियों का सम्मेलन आयोजित किया जायेगा ताकि उनके विचार एवं सुझावों पर चिन्तन एवं मनन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि इस मंथन से निकलने वाला अमृत निश्चित रूप से देश व प्रदेश के विकास में फलीभूत होगा।संवाद के दौरान) ने आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, चीन, अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, फ्रांस सहित 12 देशों में रह रहे 22 प्रवासी उत्तराखंडियों के विचार व सुझाव जाने। उन्होंने सभी के सुझावों पर आवश्यक कार्यवाही का आश्वासन देते हुए प्रदेश हित में संचालित योजनाओं की जानकारी भी साझा की। सभी प्रवासियों ने प्रदेश में शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन, सूचना तकनीकि आदि के क्षेत्र में सहयोग का भी आश्वासन मुख्यमंत्री को दिया। सभी प्रवासी लोग अपने पैतृक क्षेत्रों से जुड़ने के लिये भी उत्साहित नजर आये ताकि उनकी भावी पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ सके।प्रवासियों से अपेक्षा की कि देवभूमि उत्तराखण्ड आपके पूर्वजों की पैत्रिक भूमि है। आपकी भावी पीढ़ी भी अपनी जड़ों से जुड़ी रहे इसके लिये भी प्रयासरत रहने की उन्होंने जरूरत बतायी। अक्सर उत्तराखण्ड राज्य की बात के साथ पलायन का सन्दर्भ भी जुड़ता है दूसरी तरफ डॉ शैलेश की तरह कुछ युवा प्रतिभाएं अपनी जड़ों को सींचने का काम भी कर रही हैं। अन्डोला परिवार की तरफ से को भी बधाई और साधुवाद कि उन्होंने यह शुभ समाचार सभी उत्तराखंडवासियों तक पहुंचाया. कुमांऊ विश्वविद्लाय के सोवन सिंह जीना परिसर 1997 से 2000 में अल्मोड़ा कैंपस से ही रसायन विज्ञान से एमएससी पढ़ाई के दौरान जूनिये था.लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं।