शीतलाखेत क्षेत्र में’ओण दिवस’ के रुप में ली महिलाओं -युवकों ने जंगल बचाने की शपथ-जिलाधिकारी
जिलाधिकारी वन्दना ने बताया कि वनाग्नि काल 2022 अपने चरम पर है। उन्हांेने बताया कि पर्वतीय क्षेत्र का अधिकांश भाग चीड़ बाहुल्य वनों से आच्छादित है तथा चीड़ वनों से गिरने वाला पिरूल वनाग्नि का वाहक होता है, यह भी देखा जा रहा है कि जंगलों से लगे हुए खेतों में कूड़ा एवं कृषि अवशेष जलाये जाने के कारण भी जंगलों में आग की घटनाएं दृष्टिगत हो रही है। जंगलों में आग लगने के कारण हमारी अमूल्य वन सम्पदा की हानि तो होती ही है, साथ ही उसका प्रभाव पर्यावरण, जल स्रोतों, वन्य जीवों पर भी पड़ता है तथा वनाग्नि के कारण प्राकृतिक आपदाओं की भी सम्भावनाएं प्रबल हो जाती है।
जिलाधिकारी ने अवगत कराया कि शीतलाखेत क्षेत्रान्तर्गत ग्राम नौला, सल्ला, धामस, बटगल रौतेला, शीतलाखेत आदि के समस्त ग्रामवासियों, महिला मंगल दल, युवक मंगल दल द्वारा ‘‘ओण दिवस‘‘ के रूप में ‘‘जंगल बचाओ पर्यावरण बचाओ‘‘ के रूप में यह शपथ ली गयी है कि वे वनाग्नि काल के माह मार्च से जून तक अपने खेतांे में स्थित कूड़ा एवं कृषि अवशेष नहीं जलायेंगे। उन्होंने बताया कि ग्रामवासियों की सक्रियता के दृष्टिगत वर्तमान तक उनकी ग्राम सभी में वनाग्नि का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। यह पहल सराहनीय रही है।
उन्होंने जनपद के समस्त ग्राम प्रधानों को एक पत्र के माध्यम से अपील की है कि व वनाग्नि की रोकथाम हेतु अपना पूर्ण सहयोग प्रदान करें तथा ग्रामसभा के वनों एवं समीपवर्ती जंगलों को आग से बचाने के लिये आवश्यक जन जागरूकता कार्यक्रम चलायेंगे तथा योजनाबद्व तरीके से वनाग्नि नियंत्रण के लिये कार्य करेंगे। उन्होंने कहा कि यदि ग्रामसभा सक्रिय रूप से वनाग्नि को रोकने के लिए कार्यक्रम चलाती हे तो यह पर्यावरण एवं जल संवर्द्धन में अत्यन्त महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस हेतु जिलाधिकारी ने जिला पंचायत राज अधिकारी को सभी सम्मानीय ग्राम प्रधानों को उक्त अपील पत्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिये है।